18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

‘आत्मनिर्भर भारत’ भारत एवं दुनिया के लिए लागत प्रभावी गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण पर केंद्रित है: राजनाथ सिंह

देश-विदेश

भारत-स्वीडन रक्षा उद्योग सहयोग पर ‘कैपिटलाइज़िंग अपॉर्चुनिटीज़ फ़ॉर ग्रोथ एंड सिक्योरिटी’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन 08 जून, 2021 को किया गया। इसका आयोजन रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) और स्वीडिश सिक्योरिटी एंड डिफेंस इंडस्ट्री (एसओएफएफ) के माध्यम से किया गया था। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि थे जबकि स्वीडन के रक्षा मंत्री श्री पीटर हल्टक्विस्ट विशिष्ट अतिथि थे। स्वीडन में भारत के राजदूत श्री तन्मय लाल, भारत में स्वीडन के राजदूत श्री क्लस मोलिन, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री राज कुमार, दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय और स्वीडिश रक्षा उद्योगों के प्रतिनिधि एवं एसआईडीएम और एसओएफएफ के अधिकारियों ने भी वेबिनार में भाग लिया।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा शुरू की गई अनेक प्रगतिशील नीतियों तथा प्रक्रियागत सुधारों को सूचीबद्ध किया, जिन्होंने घरेलू और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए रक्षा उद्योग का रूपांतरण कर दिया है। उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का आदर्श वाक्य ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ है, साथ में उन्होंने जोड़ा कि इस अभियान में रक्षा क्षेत्र की परिकल्पना भारत के आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए की गई है और यह भारत और दुनिया के लिए लागत प्रभावी गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण पर केंद्रित है।

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 पर, रक्षा मंत्री ने कहा कि यह घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करता है और भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एफडीआई उदारीकरण और कारोबार करने में सुगमता जैसे नीतिगत फैसले दुनिया की शीर्ष रक्षा कंपनियों को आकर्षित कर रहे हैं और भारत में संयुक्त उद्यम प्रतिष्ठान हैं। एफडीआई नियमों में आसानी और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 में खरीद (ग्लोबल – मैन्युफैक्चर इन इंडिया) की शुरूआत विदेशी ओईएम को भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा पेश किए गए अवसरों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करती है। उन्होंने कहा, “विदेशी ओईएम व्यक्तिगत रूप से विनिर्माण सुविधाएं स्थापित कर सकते हैं या ‘मेक इन इंडिया’ अवसर को भुनाने के लिए एक संयुक्त उद्यम या प्रौद्योगिकी समझौते के माध्यम से भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकते हैं।”

श्री राजनाथ सिंह ने स्वीडन की कंपनियों को उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि वे राज्य सरकारों द्वारा दिए जा रहे अनूठे प्रोत्साहनों और भारत में अत्यधिक कुशल कार्यबल की उपलब्धता से लाभान्वित हो सकते हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि भारत-स्वीडन साझेदारियों की अधिक संभावनाएं हैं, उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय रक्षा उद्योग की मजबूत क्षमताओं और पारस्परिक हित के क्षेत्रों में सह-विकास और सह-उत्पादन हेतु स्वीडिश कंपनियों के साथ सहयोग करने की भारतीय रक्षा उद्योग की इच्छा पर प्रकाश डाला।

“स्वीडिश फर्मों की पहले से ही भारत में प्रमुख उपस्थिति है। स्वीडिश और भारतीय रक्षा उद्योग में सह-उत्पादन और सह-विकास हेतु काफी गुंजाइश है। भारतीय उद्योग स्वीडिश उद्योगों को पुर्ज़ों की आपूर्ति भी कर सकता है। प्रौद्योगिकी केंद्रित एफडीआई नीति से भारतीय उद्योग स्वीडिश कंपनियों के साथ आला और सिद्ध सैन्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग कर सकेंगे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के पास 41 आयुध कारखानों, नौ रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और 12,000 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा समर्थित निजी क्षेत्र के उद्योगों के विस्तार के साथ एक विशाल रक्षा औद्योगिक आधार है, साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योगों के पास हवा, भूमि, समुद्र और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए उच्च तकनीक वाली रक्षा प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विशेषज्ञता है। “भारत में एक मजबूत जहाज निर्माण उद्योग है। भारतीय शिपयार्डों द्वारा निर्मित जहाज वैश्विक मानकों के हैं और अत्यंत लागत प्रभावी हैं। उन्होंने कहा कि भारत और स्वीडन पारस्परिक लाभ के लिए जहाज निर्माण उद्योग में सहयोग कर सकते हैं। श्री राजनाथ सिंह ने दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने के लिए एसआईडीएम, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और एसओएफएफ के निरंतर प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एसआईडीएम और एसओएफएफ के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए जिसमें आपसी उद्देश्यों को आगे ले जाने के लिए एक समर्पित संयुक्त कार्य समूह का गठन किया जाएगा।

श्री राजनाथ सिंह ने ‘एसआईडीएम सदस्य निर्देशिका 2020-21’ के पहले संस्करण का विमोचन भी किया- जो भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र का 360º कोण से अवलोकन है। निर्देशिका में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में 437 कंपनियों की क्षमताओं का उल्लेख है, यह भारतीय उद्योग के बारे में जानकारी पाने की पहुंच को आसान बनाती है और वैश्विक रक्षा समुदाय के लिए एक ठोस संदर्भ के रूप में कार्य करती है। निर्देशिका में नवीनतम 108 वस्तुओं की खरीद की दूसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को भी शामिल किया गया है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC531VV.JPG

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More