लखनऊ: छाती का दर्द एक ऐसा संकेत है जिसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। छाती में दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं। पेट, हृदय मज्जा, तंतुओं के विकार के अलावा हड्डियों एवं फेफड़ों के अनेकानेक कारणों से भी सीने में दर्द उठ सकता है। रक्ताल्पता एवं एनीमिया की बीमारी भी चेहरे पर पीलापन, थकान, सीने में दर्द पैदा करती है। मगर उपरोक्त सभी कारणों में अधिक आम एवं महत्वपूर्ण वजह है हृदय की रक्तपूर्ति में कमी होना या रक्त की पूर्ति न होना।
खून की कमी होना इस बात का प्रतीक है कि हृदय की मज्जा प्रणाली को आवश्यक मात्रा में ख्ूान की पूर्ति करने वाली धमनियों में या तो रूकावट आ गई है या उनकी दीवारों में सिकुड़न पैदा हो गई है। खून की कमी में आंशिक या अस्थाई कमी की वजह से पैदा होने वाले विकार को एंजाइना पेक्टोरिया कहा जाता है।
एंजाइना पेक्टोरिया के होते ही सीने में जकड़न जैसा दर्द होने लगता है। यह दर्द कभी-कभी कंधे या बाजुओं तक फैल जाता है। हवा के दबाव के विपरीत चलते वक्त, चढ़ाई के समय, ठण्ड के दिनों में, भोजन करने के बाद इस दर्द की तेजी दिखाई देती है। जब हृदय के एक भाग को खून की आपूर्ति पूरी तरह से थम जाती हैं तो ऐसी अवस्था को हृदयघात या दिल का दौरा कहा जाता है।
जहां तक फेफड़ों और श्वसन क्रिया के विकारों की वजह से पैदा हुए छाती के दर्द का सवाल है तो इसका प्रमुख कारण फेफड़ों और श्वास प्रणाली में संक्रमण का होना है।
आमतौर पर होने वाली सर्दी या जुकाम में बुखार, नाक से पानी निकलना और खाॅसी के अलावा गले में दर्द भी होता है। रोग की उन्नत अवस्था में जब संक्रमण बहुत बढ़ जाता है, तब ऐसे में भोजन निगलने में परेशानी, बुखार एवं मुॅह का पूरी से न खुल पाना जैसी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं। इस कारण भी सीने में दर्द उठ जाता है। इसे एक आपात स्थिति माना जाता है। अम्लता या एसिडिटी, कब्ज, अर्जीण आदि पेट संबंधी विकारों, रीढ़ के जोड़ों का दर्द, पीठ दर्द, वायरस द्वारा फैलाया जाने वाला संक्रमण, मासिक धर्म की अधिकता या अनियमितता, यौन संक्रमण, गले का दर्द या सूजन आदि अनेक ऐसे कारण होते है जो सीने में दर्द उत्पन्न कर सकते हैं।
चालीस वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों को सीने के दर्द से सावधान रहना चाहिए। छाती के दर्द को मामूली समझकर किसी दर्द निवारक गोली का स्वयं ही प्रयोग करना जानलेवा हो सकता है। अतः ऐसी स्थिति में किसी कुशल हृदय रोग विशेषज्ञ से तत्काल उसका निदान एवं चिकित्सा अतिशीघ्र करवा लेनी चाहिए। प्रातःकाल टहलना, खान-पान पर नियंत्रण रखना आदि छाती के दर्द से निजात पाने के आसान उपाय हैं।