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घरेलू प्रसव को समाप्त करने के लिए जागरूकता आवश्यक: अरूण कुमार सिन्हा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश में 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं, जो मातृ मृत्यु का सबसे बड़ा कारक है। इसके अतिरिक्त उच्च रक्त चाप एवं पूर्व से उपस्थिति बीमारियों की समय से पहचान न होना भी मातृ मृत्यु दर को बढ़ाता है। प्रदेश में गत 10 वर्ष से जननी सुरक्षा योजना कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप संस्थागत प्रसव 17 प्रतिशत से बढ़कर 68 प्रतिशत हो गया है। अभी भी 30 प्रतिशत से अधिक घरेलू प्रसव हो रहे हैं जिसको खत्म करने के लिए जागरूकता आवश्यक है। ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस को और मजबूती प्रदान करने तथा ग्रामीण अंचलों में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की उचित देखभाल के प्रति बढ़ती हुयी जागरूकता को संस्थापित करने हेतु कल से 21 अक्टूबर तक ‘‘मातृत्व सप्ताह’’ के द्वितीय चरण का आयोजन किया जा रहा है।
यह बात प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री अरूण कुमार सिन्हा ने आज यहां जनपथ सचिवालय स्थित स्वास्थ्य सभागार में प्रेस प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान कही। उन्हांेने कहा कि गत जनवरी माह में प्रदेश के सभी गांवों में मातृत्व सप्ताह का आयोजन किया गया था। इस दौरान 17,65,104 (लगभग 28 प्रतिशत) गर्भवती महिलाओं का चिन्हीकरण कर 15,97,102 गर्भवती महिलाओं की समस्त जांचें की गयीं। उन्होंने कहा कि 1,14,000 हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का चिन्हीकरण किया गया और उनकी ब्लाक/जनपद स्तरीय चिकित्सा इकाइयों पर जांचें कराई गयी। इस अभियान के फलस्वरूप ग्रामीण अंचलों में हीमोग्लोबिन तथा ब्लड प्रेशर की जांच तथा जटिलता वाली गर्भावस्था के चिन्हीकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
श्री सिन्हा ने कहा कि जननी सुरक्षा योजना की प्रोत्साहन धनराशि प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों के आधार को बैंक खाते के साथ जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है। यह जानकारी प्रत्येक गर्भवती महिला तक पहुंचाने के लिए मातृत्व सप्ताह एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसके लिए ए0एन0एम0, आंगनबाड़ी व आशाओं को लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिये गये हैं।
निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, श्री आलोक कुमार ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार गर्भावस्था में 180 आयरन की गोली और प्रसव के पश्चात महिलाओं को 180 आयरन की गोलियां दी जायेंगी। इसी प्रकार कैल्शियम की 360 गोली प्रसव पूर्व एवं 360 गोली प्रसव पश्चात 06 महीने तक दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि सभी गर्भवतियों को 4 से 6 माह के मध्य 01 एलबेन्डाजाॅल की गोली भी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि हाई रिस्क प्रेगनेन्सी वाली महिलाओं की पहचान तथा सुरक्षित प्रसव तक फालोअप के लिए ए0एन0एम0 व आशा कार्यकत्र्रियों के लिये प्रोत्साहन धनराशि का प्राविधान किया गया है। ए0एन0एम0 को 200 रुपये तथा आशाओं को 300 रुपये प्रति लाभार्थी की दर से प्रोत्साहन धनराशि प्रदान की जाएगी।

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