नई दिल्ली: आज पूरे देश में धनवंतरी जयंती के अवसर पर भारत का पहला राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। नई दिल्ली में‘आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण’विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर आयुर्वेद दिवस का लोगो जारी किया गया और राष्ट्रीय धनवंतरी आयुर्वेद पुरस्कार दिए गए।
‘आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण’विषय पर गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि आज पूरे देश में पहला राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय प्रधानमंत्री के विजन तथा आयुष राज्यमंत्री श्री श्रीपद यशो नाइक के कठिन परिश्रम को जाता है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह प्रसंशनीय है कि इस बार मधुमेह विषय पर विशेष दिवस समर्पित किया गया है। उऩ्होंने कहा कि भारत में पिछले 15 वर्षों में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ी है, विशेषकर युवा पीढ़ी में। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मधुमेह नियंत्रण और प्रबंधन के संबंध में सरकार का फोकस युवाओं और गर्भवती महिलाओं पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव के मधुमेह के एक महत्वपूर्ण कारण होने से इस बीमारी का आयुर्वेद, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग तथा जीवन शैली प्रबंधन सहित समग्र प्रबंधन होना चाहिए।
आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद यशो नाइक ने इस अवसर पर आयुर्वेद के माध्यम से मिशन मधुमेह लांच किया है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्रीपद नाइक ने कहा कि आयुर्वेद का संबंध संपूर्ण जीवन से है। इसलिए आयुर्वेद को केवल निदान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसे स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करने वाली पद्धति के रूप में समझा जाना चाहिए। उऩ्होने कहा कि काफी समय से धनवंतरी जयंती को आयुर्वेद दिवस घोषित करने की मांग की जा रही थी इसलिए सरकार ने धनवंतरी जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस बनाने का निर्णय लिया।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष किसी एक बीमारी को, थीम बनाकर इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलायी जाएगी और पूरे वर्ष अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसीलिए वर्ष 2016 के लिए मधुमेह मिशन को पहला थीम घोषित किया गया।
आयुष सचिव श्री अजित एम शरण ने कहा कि आयुर्वेद सहित पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य आधारित अनुसंधान के लिए 200 अनुसंधान फेलोशिप गठित किए गए हैं। इसी तरह भारत सरकार आयुर्वेद में मानक विकसित करने और आधुनिक विज्ञान तथा विश्व के लिए इसे स्वीकार्य बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग कर रही है।
इस अवसर पर प्रो. वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक श्री अशोक वैद्य, प्रो. अभिमन्यु कुमार और आयुष राज्यमंत्री के सलाहकार (आयुर्वेद) डॉ. मनोज नेसारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सीसीआरएएस द्वारा आयुर्वेद अनुसंधान पर विकसित सार संग्रह “मधुमेह देखभाल के लिए आयुर्वेद” का लोकार्पण किया गया। संगोष्ठी में मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आयुर्वेद प्रोटोकॉल जारी किया गया। इस अवसर पर मधुमेह के लिए स्वस्थ्य खानपान पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा विकसित पुस्तिका भी जारी की गई। मधुमेह नियंत्रण के लिए सामान्य योग प्रोटोकॉल पर पुस्तिका का लोकार्पण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर 2 अक्टूबर, 2016 को किया था।
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इस अवसर पर आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में जानेमाने व्यक्तियों- प्रोफेसर प्रेमवती तिवारी, श्री परशुराम यशवंत वैद्य खादीवाले तथा वैद्य कृष्ण कुमार को राष्ट्रीय धनवंतरी पुरस्कार दिये गए।
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गोष्ठी में आयुर्वेदिक डॉक्टर, अनुसंधानकर्ता, शिक्षाविद, विद्वान, विद्यार्थी उपस्थित थे। गोष्ठी स्थल पर आयुर्वेदिक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई।