देहरादून: आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्धतियां हमारी चिकित्सा व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग हैं। उत्तराखण्ड के दूरदराज के क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने में आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्साधिकारियों की अहम भूमिका है। गुरूवार को जीएमएस रोड़ स्थित एक होटल में आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के पंचम द्विवार्षिक प्रान्तीय अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। इन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना एक बड़ी चुनौति है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सामान्य ड्यूटी के साथ ही अतिरिक्त करने का प्रयास करना चाहिए। आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के मांग पत्र के प्रत्येक बिंदु को गौर से पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वे इस बात पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं कि निदेशक का पद उसी संवर्ग के पास रहना चाहिए। वेटरनरी डाक्टरों के समान ही एनपीए व चिकित्सा प्रमाण पत्रों पर प्रतिहस्ताक्षर की मांग पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने सहानुभूतिपूर्वक विचार किए जाने के प्रति आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने संघ की स्मारिका ‘‘संजीवनी’’ का भी विमोचन किया।