नई दिल्ली: आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद यसो नाइक ने आज नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) द्वारा आयोजित ‘उत्कृष्टता की ओर बढ़ने – आयुष राष्ट्रीय संस्थानों के प्रमुखों के एक दो दिवसीय सम्मेलन’ का उद्घाटन किया। सम्मेलन को राष्ट्रीय आयुष संस्थानों को पथप्रदर्शक के रूप में विकसित करने के साथ अनुसंधान में गुणवत्ता, अस्पताल में देखभाल की सेवाओं, शिक्षा, सामंजस्य और बुनियादी ढांचे को सुधारने के उद्देश्य के साथ आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य आयुष संस्थानों की स्थिति को आईआईटी और आईआईएम के समकक्ष बनाना है। सम्मेलन के दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली के बीच समझौता-पत्र पर भी हस्ताक्षर हुए।
उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए श्री नाइक ने कहा कि आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय आयुष संस्थानों को एक पथप्रदर्शक के रूप में विकसित करना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि विश्व में बदलती स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी हो गया है कि नीतियों, कानून, अनुसंधान, विकास, वित्त पोषण, प्रशिक्षण और व्यवसायिक विकास, गुणवत्ता नियंत्रण के संदर्भ में दवा की पांरपरिक प्रणालियों की व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है।
आयुष मंत्री ने कहा कि जो तनाव या समाज के अन्य आयु वर्ग के समूहों में अन्य कारणों से पैदा होने वाले विकारों को दूर करने के लिए आयुर्वेद जीवनशैली के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
बैठके के दौरान आयुष सचिव श्री राजेश कोटेचा ने आयुष प्रणालियों के लिए मानदंड विकसित करने और शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्रों में राष्ट्रीय महत्व के आयुष संस्थानों को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने प्रणाली के व्यवस्थित करने में आयुष प्रथाओं के पांच मौलिक कारकों – शिक्षा, सेवा, अनुसंधान, सार्वजनिक स्वास्थ्य और संवर्धन के बारे में बात की। उन्होंने उम्मीद जताई कि आयुष के सिद्धांतों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में लागू किया जाएगा।
आईआईटी, दिल्ली के निदेशक डॉ. वी आर राव ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने पर खुशी व्यक्त की। सम्मेलन में कई राज्यों के आयुर्वेद विश्वविद्यालयों, आयुर्वेद अनुसंधान संस्थानों ने भाग लिया।