लखनऊ: बालगृहो में निवासित बच्चों के भरण पोषण हेतु प्रतिमाह प्राविधानित धनराशि में दो गुनी बढ़ोत्तरी करते हुए इसको चार हजार रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार महिला शरणालयों में रह रही महिलाओं के
संरक्षण हेतु मिलने वाली धनराशि को दो हजार रुपये से बढ़ाकर 5500 रुपये किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में बालकों के विकास एवं उत्थान के लिए शीघ्र ही बाल उत्थान कोष की स्थापना होगी।
यह बात प्रदेश की महिला कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती सैय्यदा शादाब फातिमा ने कही है। वे आज यहां प्रयाग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह के बच्चों को नववर्ष की बधाई देने पहुंची थी। उन्होंने शिशु बाल गृह के बच्चों को गुब्बारे एवं मिठाईयां देकर नववर्ष की बधाई दी। उन्होंने बच्चों के संग काफी समय बिताया। बालगृह के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य का भी आन्नद लिया। साथ ही बच्चों की पेंटिंग आदि को देखकर उनको प्रोत्साहित भी किया।
श्रीमती फातिमा ने वहां मौजूद खबरनवीसों से रूबरू होते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा शीघ्र ही रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष की तर्ज पर बाल उत्ताथ कोष की स्थपना की जायेगी। उन्होंने कहा कि इस कोष के माध्यम से बाल गृहों में निवासित बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने में सहायता दी जायेगी। बाल गृहों में रह रहे बच्चे भी अपनी कुशलता के अनुसार आम बच्चों की तरह डाक्टर, इंजीनियर, एयरफोर्स जैसी तमाम उच्च स्तरीय सरकारी सेवा में जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि पांचवीं के बच्चों से स्क्रीनिंग शुरू कराई जायेगी। बच्चे की काबलियत के अनुसार उनको उच्च शिक्षा लेने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा। वर्तमान में यह योजना 10 जनपदों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जायेगी।
श्रीमती फातिमा ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं एवं शिशुओं के संरक्षण हेतु काफी संवेदनशील है। इसी परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार ने बाल गृहों में निवासित बच्चों के पालन पोषण हेतु प्राविधानित धनराशि को दोगुना किया है। बाल गृहों के बच्चों के पालन पोषण हेतु प्रतिमाह प्रत्येक बच्चे पर दो हजार रुपये खर्च करने का प्राविधान था, अब इसे बढ़ाकर चार हजार रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार महिला शरणालय में रह रही महिलाओं के संरक्षण हेतु प्रतिमाह प्राविधानि धनराशि दो हजार रुपये को बढ़ाकर 5500 रुपये कर दी गई है।
राज्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए प्रत्येक जनपद में बाल मित्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया है। पहले हर जनपद में अधिकत्म 10 बाल मित्र रखने का प्राविधान था। नये नियम के तहत अब प्रत्येक जिले में 10 अधिक बाल मित्र भी रखे जा सकेंगे और इनकी न्यूनतम संख्या 10 से कम नहीं होगी। बाल मित्रों का चयन एक समित द्वारा किया जायेगा।
श्रीमती फातिमा ने बाल गृह की सफाई व्यवस्था पर भी असंतोष जताया। उन्होंने अधिकारियों/कर्मचारियों को निर्देश दिया कि इन बच्चों को अपने बच्चों की तरह समझे। जिस प्रकार आप अपने बच्चों का भरण पोषण करते हैं, उसी प्रकार इन बच्चों के भरण पोषण में सहायक बने। तभी इन बच्चों के माता-पिता की अपूर्णीय क्षति को कम किया जा सकेगा। इन बच्चों को आम बच्चों की तरह जीने का अधिकार हैं। इनकी देख-रेख में कोई लापरवाही न होने पाये, अन्यथा संबंधित को बख्शा नहीं जायेगा।