बांग्लादेश के सलामी बल्लेबाज तमीम इकबाल ने कलाई में चोट के बावजूद खेलकर टीम के लिए खेलकर बेहतरीन मिसाल पेश की। दूसरे ही ओवर में सुरंगा लकमल की गेंद पर पुल शॉट लगाते समय दूसरे ओवर में उनकी कलाई पर चोट लग गई थी और वह रिटायर्ड हर्ट होकर पवेलियन लौट गए थे।
इसके बाद जब बांग्लादेश के 47वें ओवर में नौ विकेट हो गए थे तो तमीम इकबाल उपचार के बाद फिर मैदान पर लौटे और मुशफिकुर का साथ निभाया। दोनों ने महत्वपूर्ण 32 रन जोड़े। हालांकि तमीम के स्कोर में कोई इजाफा नहीं हुआ, लेकिन एक छोर पर खड़े होकर उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तमीम के साहस से भारत के पूर्व कप्तान और स्पिनर अनिल कुंबले की उस घटना की याद ताजा हो गई जब 2002 में एंटीगुआ टेस्ट में उन्होंने विंडीज के खिलाफ जबड़े में चोट के बावजूद पट्टी बांधकर गेंदबाजी की थी।
तमीम इकबाल के साहस की तारीफ हर कोई कर रहा है। उन्होंने चोटिल हाथ वाले ग्लव को बीच से फाड़कर अपनी उंगलियां बाहर निकाल रखी थी। स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि इकबाल दर्द से बहुत परेशान हैं। इकबाल ने सुरंगा लकमल की गेंद पर एक हाथ से बैकफुट डिफेंस किया। इस पर मैदान में मौजूद फैंस ने तालियों की गड़गड़ाहट से तमीम इकबाल का हौसला बढ़ाया।
इसके बाद मुश्फिकुर रहीम ने इकबाल को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं दिया और अकेले मोर्चा संभालते हुए बांग्लादेश को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। रहीम ने पारी के आखिरी ओवर में दो छक्के जमाए, जो बहुत ही आकर्षक रहे। बता दें कि तमीम इकबाल चार गेंदों में नाबाद 2 रन बनाकर पवेलियन लौटे। निश्चित ही इकबाल की इस जीवटता से क्रिकेट फैंस को प्रेरणा मिली होगी।