नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को रियल एस्टेट कम्पनी आम्रपाली समूह को बड़ा झटका देते हुए उसकी 4० कंपनियों के बैंक खाते सील करने और सम्पत्तियों को कुर्क करने का निर्देश दिया। शीर्ष न्यायालय ने इसके साथ ही 4० कंपनियों के निदेशकों के बैंक खातों को सील करने और उनकी निजी संपत्तियों को भी कुर्क करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने यह आदेश दिया। खंडपीठ के दूसरे सदस्य न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित हैं। न्यायालय ने शहरी आवास मंत्रालय के सचिव और राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष को गुरुवार को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए समन जारी किया।
न्यायालय ने शहरी आवास मंत्रालय के सचिव राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (एनबीसीसी) के अध्यक्ष से आम्रपाली समूह के निर्माण के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें कल न्यायालय में उपस्थित रहने को कहा है। शीर्ष न्यायालय ने आम्रपाली समूह के मामिल अनिल कुमार शर्मा को कल अपराह्न दो बजे तक उनकी 4० कंपनियों के सभी चार्टर्ड अकाउंटेंट, निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया। आम्रपाली की ओर से वकील अमरजीत सिंह पटवालिया ने न्यायालय को बताया कि एनबीसीसी ने एक विज्ञापन जारी करके सह निर्माताओं से अभिरुचि पत्र मांगा था। न्यायालय ने अपने आदेशों के उल्लंघन को लेकर आम्रपाली, उत्तर प्रदेश सरकार और एनबीसीसी को कड़ी फटकार लगायी।
शीर्ष न्यायालय ने अपने आदेशों के उल्लंघन पर नाराजगी जताते हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायालय ने आम्रपाली द्वारा बार-बार वकील बदले जाने पर भी अप्रसन्नता जाहिर की। न्यायालय ने पाया कि आम्रपाली ने बहुत से छलपूर्ण सौदे किये हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि वह समूचे सिस्टम के साथ धोखाधड़ी कर रही है।