लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने केन्द्र सरकार से ब्रिक्स (BRICS) न्यू डेवलेपमेन्ट बैंक (NDB) तथा द् एशियन इन्फ्राॅस्ट्रक्चर इन्वेस्टमेन्ट बैंक (AIIB) की सामान्य शर्ताें, ब्याज दरों तथा अन्य बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने इन नवीन गठित बैंकों को प्रचलित व्यवस्था में प्रभावी विकल्प बनाने हेतु अपने सुझाव भी दिए हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री द्वारा इन बैंकों की स्थापना में भारत सरकार की भूमिका की सराहना की गयी है। उन्होंने लिखा है कि इन बैंकों का पूर्ण संचालन वर्ष 2016 के प्रथम त्रैमास से सम्भावित है तथा आशा जतायी है कि इससे केन्द्र के साथ-साथ राज्यों को भी अपनी आवश्यकताओं विशेष रूप से अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु भविष्य में अधिक सुलभता एवं उचित ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
श्री यादव ने अपने पत्र में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के 30 जून, 2015 और 27 जुलाई, 2015 के अर्द्धशासकीय पत्रों का उल्लेख करते हुए कहा है कि इन पत्रों के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य से ऐसी परियोजनाओं के प्रस्ताव मांगे गये हैं, जिनका वित्त पोषण इन दोनों नवीन गठित बैंकों द्वारा किया जा सकता है। इन पत्रों में बैंकों द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले ऋण के सम्बन्ध में नियम एवं शर्तें तथा ऋण की ब्याज दर का उल्लेख नहीं है।
इसके साथ ही, केन्द्र सरकार की भूमिका क्या होगी, यह भी स्पष्ट नहीं है। बैंक की सामान्य शर्तें ऋण की अवधि एवं ब्याज दर आदि के अभाव में राज्य सरकार द्वारा अपने ऋणों के प्रतिदान की स्थिति आगणित नहीं की जा सकती है, जिस कारण परियोजना विशेष से सम्बन्धित प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को भेजा जाना सम्भव नहीं हो पा रहा है। श्री यादव ने यह भी लिखा है कि इन बैंको की सामान्य शर्ताें, ब्याज दर आदि अन्य बिन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट होने के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा तत्परता के साथ प्रदेश के विकास हेतु परियोजना का प्रस्ताव उपलब्ध कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि वर्तमान परिदृश्य में राज्यों को बाजार ऋण (Market Borrowing) के साथ-साथ विश्व बैंक (World Bank) एशियन डेवलेपमेन्ट बैंक (Asian Development Bank), यूरोपीयन इन्वेस्टमेन्ट बैंक (EIB) तथा अन्य राष्ट्रीय स्तर की वित्तीय संस्थाओं यथा नाबार्ड (NABARD) हुडको (HUDCO) आदि से रियायती ब्याज दर पर ऋण सरलतापूर्वक प्राप्त हो रहा है। अतः इन नये बैंकों को प्रचलित व्यवस्था में यदि एक प्रभावी विकल्प बनाया जाना है तो इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा एक व्यवस्था विकसित की जानी होगी, जिसमें राज्यों को इन बैंकों से ऋण, वर्तमान में ऋण प्रदाता वित्तीय संस्थाओं से कम ब्याज दर एवं आसान शर्ताें पर उपलब्ध कराया जाय अन्यथा राज्य इन बैंकों से ऋण लेने में रूचि नहीं दिखाएंगे।
श्री यादव ने पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product) के 3 प्रतिशत की ऋण सीमा से राज्य पहले से ही बंधे हुए हैं तथा इस स्थिति में राज्य को और अधिक ऋण इन नए बैंकों से लेने की गुंजाइश नहीं हैं। पत्र से विदित हो रहा है कि ब्रिक्स न्यू डेवलपमेन्ट बैंक(NDB) तथा द एशियन इन्फ्राॅस्ट्रक्चर इन्वेस्टमेन्ट बैंक (AIIB) द्वारा विशिष्ट परियोजनाओं के लिए ही ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अवस्थापना विकास की अपार सम्भावनाएं हैं, जिसके लिए ऋण की वृहद आवश्यकता है।
इन दोनों संस्थाओं से अवस्थापना विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराने में केन्द्र सरकार अग्रणी भूमिका निभा सकती है बशर्ते कि इन ऋण को राज्यों के लिए निर्धारित 3 प्रतिशत की ऋण सीमा से बाहर रखा जाय, क्योंकि राज्य द्वारा ऋण सीमा के अधीन प्राप्त हो रहे ऋण से ही कतिपय वचनबद्ध देनदारियों का वित्त पोषण किया जाता है, जिस कारण अवस्थापना विकास सुविधाओं में निवेश हेतु पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाती है। राज्यों में वित्तीय अनुशासन बनाये रखने के लिए यह प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है कि अतिरिक्त दिये जाने वाले ऋण की सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का अधिकतम एक प्रतिशत तक होगी तथा मात्र राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus) वाले राज्यों को ही यह सुविधा उपलब्ध होगी।