लखनऊ: प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री श्री रामगोविन्द चैधरी ने समस्त प्रधानाचार्यों तथा सहायक अध्यापकों प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों को सम्बंधित अपने पत्र में लिखा है कि आशा है कि आप सपरिवार कुशलमंगल होंगे।
अन्य बोर्ड के स्कूलों की भांति इस वर्ष हमारे प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों का शिक्षा सत्र 01 अप्रैल, 2015 से प्रारंभ हो गया है। और मुझे विश्वास है कि आप नवीन सत्र हेतु पूरे उत्साह के साथ तैयार होंगे। नवीन शिक्षा सत्र 2015-16 शासन की अपेक्षानुरूप रहे इसके लिए आपको अग्रिम शुभकामनाएं।
विगत वर्षों में अध्यापकों की भारी कमी के कारण आप पर शिक्षण का बहुत अधिक दबाव रहा है जिसके कारण शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होना स्वाभाविक था, परंतु इस बीच एक लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हो जाने के फलस्वरूप लगभग सभी विद्यालयों में छात्रों की संख्या के अनुपात के शिक्षकों की तैनाती हो चुकी है। हो सकता है कि कुछ जनपदों में अभी भी वांछित शिक्षक न हों इसके लिए नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है और एक-दो माह में ही अपेक्षित शिक्षक विद्यालयों में उपलब्ध हो जाएंगे। इसके अतिरिक्त अधिक से अधिक अध्यापकों को प्रोन्नति के अवसर उपलब्ध कराने हेतु अनुभव की शर्तों में शिथिलिता करते हुए काफी संख्या में प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों की पदोन्नतियां की जा रही है।
आप पर छात्रों को शिक्षा और संस्कार देने के साथ-साथ उन्हें नैतिक रूप से समृद्धशाली बनाने की भी जिम्मेदारी है, किंतु आपके बीच कार्य करते हुए मेरा अनुभव है कि परिषदीय अध्यापक इसमें अपेक्षानुरूप सफल नहीं हो पा रहे हैं। समय-समय पर किए गए विभिन्न सरकारी निरीक्षणों में हमारे कक्षा 5 से 8 तक के छात्र दो-तीन के पहाड़े भी नहीं सुना पाये है। हिन्दी के पाठों के सरल वाक्यों को ठीक से पढ़ नहीं पाए है। यह हमारे लिए चिंतनीय है। नित्य ही समाचर पत्रों या मीडिया चैनलों मे बड़े हास्यपद ढंग से प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने मे हमारी विफलता की चर्चा होती रहती है। इस सबसे मुझे अत्यंत पीड़ा होती है।
जनप्रतिनिधियों एवं समाचार पत्रों से प्राप्त सूचना के अनुसार अध्यापक समय से विद्यालय नहीं पहुच रहे है, पठन-पाठन में भी अपेक्षित रूचि नहीं ले रहे हैं, जिसके कारण हमारे विद्यालयों की छात्र संख्या में गिरावट आ रही है। इस बात की पुष्टि के लिए दूरदर्शन चैनलों द्वारा कुछ स्टिंग आपरेशन किए गए, जिसमें स्कूलों की दशा, गंदगी, सभी छात्रों से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर न दे पाने यहां तक कि शिक्षकों द्वारा भी माननीय प्रधानमंत्री/माननीय मुख्यमंत्री जी तक का नाम सही न बता पाने को जोर-शोर से दिखाया गया। यह देखकर मुझे तो बहुत असहज स्थिति का अनुभव हुआ, पता नहीं आपकों क्या अनुभूति हुई होगी।
परिषदीय विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, पाठ्य पुस्तके कार्य-पुस्तिकाएं, यूनिफार्म एवं मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था की गई है। वर्ष 2015-16 में उच्च प्राथमिक विद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर की भी व्यवस्था की जा रही है। विद्यालयों में पर्याप्त अवस्थापना सुविधाएं भवन, कक्षा कक्ष, शौचालय, पेयजल सुविधा आदि उपलब्ध हैं तथा कोई विशेष कमी प्रतीत नहीं हो रही है। हमारे विद्यालयों में उच्च शिक्षित, प्रशिक्षित एवं योग्य अध्यापक भी हैं, किन्तु इन सबके बावजूद परिषदीय विद्यालयों के प्रति जनमानस में विश्वास की कमी देखी जा रही है। अभिभावकगण अपने बच्चों के परिषदीय विद्यालयों में भेजने के बजाय फीस, पुस्तके एवं यूनीफार्म में अच्छी धनराशि व्यय कर दो-तीन कमरों के पब्लिक स्कूल के नाम से संचालित विद्यालयों में भेजने के प्रति उत्सुक है। यह अत्यंत चिंतनीय विषय हैं और इस समस्या का समाधान आपको ही करना है, क्योंकि बच्चों को परिषदीय स्कूल में लाने की प्रेरणा देने का आपसे बेहतर कोई माध्यम नहीं है।
गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने ‘स्कूल चलों अभियान‘ के माध्यम से अधिकाधिक बच्चों को परिषदीय/अनुदानित विद्यालयों में प्रवेश दिलाने की अपील की है। हमारा दायित्व बढ़ जाता है कि हम अधिकाधिक बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश दिलाकर इस अभियान को सफल बनाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास करें। यदि आप गंभीरता से सोचें तो यह पायेंगे कि हमारीे विद्यालय बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के मामले के अन्य विद्यालयों से कहीं अधिक सक्षम हैं किंतु फिर भी विद्यालय उत्कृष्टता और श्रेष्ठता की ओर अगसर नहीं हो पा रहे हैं।
मैं अध्यापकों के वेतन, सेवानिवृत्त लाभों एवं अन्य देयकों के समय से भुगतान हेतु समय-समय पर निदेशक एवं वित्त नियंत्रक को कड़े निर्देश दिए है और उससे आप लोगों की समस्याओं का काफी हद तक निवारण हुआ है फिर भी यदि आपकों किसी प्रकार से अपने भुगतान आदि के संबंध में परेशान होना पड़ रहा है तो आप उचित माध्यम से मुझसे संपर्क कर सकते हैं या पत्र लिख सकते हैं।
अध्यापकों की मंागों का समाधान करने के बावजूद भी उनकी अनुपस्थिति आदि के संबंध में हमें अनेक शिकायते प्राप्त होती रहती है। विद्यालय में उपस्थिति रहते है किन्तु परिश्रम एवं मनोयोग से बच्चो को पढ़ाते नहीं है। शासन ने आपकों सम्पूर्ण सुविधाएं, प्रतिष्ठित वेतन एवं सम्मान दिया है फिर भी आपमें से कई लोग अपने दायित्वों का भली प्रकार से निर्वहन नहीं कर रहे है। आपको निष्ठा के साथ अपने अध्यापन संबंधी दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए ताकि समाज में परिषदीय विद्यालय एवं अध्यापकों की गिती साख एवं प्रतिष्ठा स्थापित हो सके।
‘‘‘जागिए तभी सवेरा‘‘ वाली कहावत को चरितार्थ कर हमे इस शैक्षिक सत्र को पूर्ण उत्साह एवं मनोयोग के साथ शुरू करना होगा। बच्चों में शिक्षा की अभिरूचि पैदा कर शिक्षण कार्य करना चाहिए ताकि निर्धारित समयावधि में अपनी कक्षाओं में रह कर पठन-पाठन करें और सफलतापूर्वक अपनी शिक्षा पूरी करे। हमारा यह उद्देश्य यह होना चाहिए कि जब छात्र प्राथमिक/उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा पूर्ण कर विद्यालय छोड़े तो वह आगे की कक्षाओं की शिक्षा लेने हेतु पूर्ण रूप से तैयार एवं सक्षम हो। यह आपकेेेे लिए गौरवप्रद होगा और हमारे लिए भी संतोष होगा।
इस पत्र को आप मेरा निवेदन अथवा आदेश मानकर ग्रहण करें और यह सुनिश्चित करें कि समय से विद्यालय पहुंच कर बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा उपलब्ध कराते हुए उन्हें एक श्रेष्ठ नागरिक बनाने में योगदान करें, जो हम सबका दायित्व भी है।