नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने छात्रों से कहा कि वे अनुशासित रहें। उन्होंने दूसरों की मदद जैसे उचित मूल्यों को अपनाने की जरूरत पर ज़ोर दिया। उपराष्ट्रपति यूनेस्को की देख-रेख में यूक्रेन और पोलैंड में आयोजित किए गए बहादुर बच्चे अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में ‘द इंटरनैशनलस मूवमेंट ऑफ चिल्ड्रेन एंड देयर फ्रेंड्स’ में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके छात्रों से बातचीत कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा कई चुनौतियां विभिन्न संस्कृतियों की समझ के अभाव के चलते उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधों को मजबूत करने, संपर्क बनाने और देशों के बीच शांति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न देशों की संस्कृतियों को समझने से बच्चों के वैश्विक नागरिक बनने में मदद मिलेगी। इससे बच्चों में विभिन्न विचारों, रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रति आदर और सहनशीलता पैदा होगी। उन्होंने बच्चों को प्रौद्योगिकी के नकारात्मक प्रभाव के प्रति आगाह किया और कहा कि ज्ञान अर्जित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग जरूर करें।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि वे एक लक्ष्य निर्धारित करें और उसे हासिल करने तक पूरी तत्परता के साथ कड़ी मेहनत करें। इस मौके पर उन्होंने विवेकानंद के उस विचार को दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था “उठो, जागो और लक्ष्य हासिल होने तक रुको नहीं।“
उपराष्ट्रपति ने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सिखने की सलाह दी लेकिन ये भी कहा कि मातृभाषा की अनदेखी ना करें। उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृति, मूल्यों, रीति-रिवाजों और पारंपरिक ज्ञान को साकार करता है और इसी वजह से किसी सभ्यता के विस्तृत सांस्कृतिक पहलू के संरक्षण के लिए भाषा को बचाना जरूरी होता है। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने हमारी संस्कृति और परंपरा पर आधारित छात्रों के प्रदर्शन का भी आनंद लिया।