लखनऊ: ‘‘सोशल आॅडिट निदेशालय एक अत्यन्त महत्वपूर्ण विभाग है, इस निदेशालय द्वारा पिछले दिनों बेहतरीन कार्य किया गया है’’। ग्राम्य विकास मंत्री श्री अरविन्द कुमार सिंह ‘गोप’ आज यहां सोशल आॅडिट निदेशालय एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान के संयुक्त तत्ववाधान में ‘‘सोशल आॅडिट पारदर्शिता, जन सहभागिता तथा जवाबदेही हेतु प्रभावी टूल’’ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पहली बार ग्राम्य विकास में अच्छे कार्य के लिये अधिकारियों को सम्मानित करके इसे ऐतिहासिक कार्यशाला बनाया गया है। आन्ध्र प्रदेश के बाद हमारा प्रदेश दूसरे स्थान पर है इसका श्रेय उन्होंने ग्राम्य विकास की टीम को दिया। उन्होंने कहा कि यदि आदमी की सोच बड़ी हो तो वो बड़े काम आराम से कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई बढ़िया काम हो तो उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए और गलत काम करने वालों के प्रति सख्त कार्यवाही होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि कोई भी काम जब जमीनी स्तर पर टीम भावना से किया जाता है तभी वह शिखर पर पहुँचता है। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री को बधाई दी एवं कहा कि हम सभी लोगों को उनके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़ा होना चाहिये।
राज्य स्तरीय इस कार्यशाला में प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्री दीपक त्रिवेदी महानिदेशक, राज्य ग्राम्य विकास संस्थान श्री एन.एस. रवि महानिदेशक सोशल आडिट निदेशालय के मार्गदर्शन में विभिन्न जनपद से आये हुये मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी खण्ड विकास अधिकारीगण एव अन्य अधिकारी तथा राज्य ग्राम्य विकास संस्थान के अधिकारी सिविल सोसाइटी संस्था के प्रतिनिधि तथा मीडिया के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
निदेशक सोशल आडिट श्री राजवर्धन ने कहा कि सोशल आडिट निदेशालय प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। अब तक राज्य ग्राम्य विकास संस्थान के द्वारा एक लाख बारह हजार लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। वर्ष 2013-14 में कुल पचास हजार गांवों में सोशल आडिट का कीर्तिमान निदेशालय को प्राप्त है। समय के साथ-साथ सोशल आडिट विधा में काफी परिवर्तन आये और उसको एक्ज़िट कान्फ्रेंस और वीडियोग्राफी के रूप में सम्मिलित किया गया। राज्य ग्राम्य विकास संस्थान को इस उपलब्धि के लिये उन्होनें आभार व्यक्त किया।
प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन एवं महानिदेशक, राज्य ग्राम्य विकास संस्थान श्री एन.एस. रवि ने उक्त कार्यशाला के लिए ग्राम्य विकास मंत्री का हार्दिक आभार व्यक्त किया कि उन्होने अपना महत्वपूर्ण समय कार्यशाला को दिया। साथ ही प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को भी धन्यवाद दिया। उन्होने कहा कि आजादी के बाद जनतांत्रिक शासन को अपनाया गया। इस शासन की सफलता तभी है जब विकास के निर्णय में लोगों की भागीदारी हो। पहले सरकार योजनायें बनाती थी और उसका अंकेक्षण भी स्वंय करती थी। अब विकास के कार्यों में जनता की भागीदारी बन गई है। और जनसहभागिता और पारदर्शिता को बनाये रखने के लिये सोशल आडिट काफी महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि राज्य ग्राम्य विकास संस्थान द्वारा बनाये गये साहित्य को भारत सरकार के द्वारा भी सराहा गया और अन्य राज्यों ने भी हमारे साहित्य का अनुकरण किया। उन्होने कहा कि सोशल आडिट को अन्य विकास के कार्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिये और एक तिमाही या छमाही रिर्पोट भारत सरकार को भी प्रेषित की जानी चाहिये।
प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास ने इस कार्यशाला में सोशल आडिट निदेशालय की प्रशंसा की एवं राज्य ग्राम्य विकास संस्थान के सहयोग को सराहा। कार्यशाला में राज्य ग्राम्य विकास संस्थान द्वारा निर्मित ’’साहित्य पारदर्शी एवं ग्राम स्तरीय संसाधन व्यक्तियों हेतु संदर्भ साहित्य’’ का विमोचन प्रमुख सचिव द्वारा किया गया। ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को सोशल आडिट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रमाण-पत्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।