नई दिल्ली: केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप पुरी ने कहा कि शहरी ठोस अपशिष्ट के दीर्घावधि प्रबंधन के लिए व्यवहारिक बदलाव और नागरिक/समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण है। श्री पुरी आज नई दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में भाग ले रहे निगम आयुक्तों और गंगा तट पर बसे शहरों के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। आवास व शहरी मामले के मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गाशंकर मिश्रा, जल संसाधन तथा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) मंत्रालय के सचिव श्री यू.पी. सिंह और एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने भी प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस कार्यशाला में गंगा तट पर बसे 43 शहरों के अधिकारियों ने भाग लिया। इससे पहले संयुक्त सचिव और स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के राष्ट्रीय मिशन निदेशक श्री वी.के. जिंदल ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
श्री पुरी ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के माध्यम से गंगा संरक्षण का कार्य सरकार की प्राथमिकता है। इस संबंध में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत गंगा तट पर बसे शहरों के लिए खुले में शौच से मुक्ति तथा प्रभावी ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े कार्यक्रमों को समर्थन दे रहा है। 40 गंगा शहरों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है और मार्च 2019 तक गंगा तट पर बसे सभी शहरों को ओडीएफ घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्रालय ने भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) को गंगा तट पर बसे शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के वास्तविक आकलन के लिए नियुक्त किया है। परिषद तीसरे पक्ष एजेंसी (टीपीए) के रूप में कार्य करेगी। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संदर्भ में परिषद ने कार्यशाला में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिन्दु हैं:
- ठोस अपशिष्ट को रोकने के लिए गंगा में मिलने वाले नालों में स्क्रीन लगाना –स्थिति
- नदी सतह की सफाई और अपशिष्ट निपटान व्यवस्था
- नदी तटों की स्वच्छता की स्थिति
- घाटों की स्वच्छता की स्थिति
- ठोस कचरा प्रसंस्करण और शोध संयंत्र की उपलब्धता – डिजाइन, क्षमता और वास्तविक कार्य क्षमता
श्री पुरी ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संदर्भ में गंगा शहरों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए टीपीए एक प्रभावी उपाय है। गंगा में प्रदूषण को कम करने के लिए 3 मिशन कार्य कर रहे हैं- एसबीएम-शहरी, अमृत तथा एनएमसीजी। ये तीनों मिशन परस्पर समन्वय के माध्यम से कार्यरत हैं।
कार्यशाला में श्री दुर्गाशंकर मिश्रा ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के तहत गंगा तट पर बसे शहरों के लिए विशेष श्रेणी के पुरस्कारों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा वार्षिक स्वच्छता सर्वे के चौथे संस्करण का कार्य जारी है (जनवरी 4 से 31 जनवरी, 2019)।
इस अवसर पर श्री हरदीप पुरी ने प्रकाशनों की एक श्रृंखला जारी की, जिसका शीर्षक है ‘स्मार्ट सिटी मिशन : जर्नी सो फार’। इसके अंतर्गत एक कॉफी टेबल बुक, स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2018 की एक पुस्तिका तथा साप्ताहिक न्यूज लेटर का एक संकलन शामिल है।
इस कार्यशाला में 5 प्रमुख गंगा राज्यों – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल-के गंगा शहरों के प्रतिनिधियों ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की कार्य योजना पर अपने विचार व्यक्त किए।