नई दिल्ली: आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि ठोस कचरों के निस्तारण के लिए ऐसी वैज्ञानिक और नवीन तकनीक जरुरी है जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ ही सामाजिक और आर्थिक रूप से व्यावहारिक भी हो।
विश्व पर्यावास दिवस के मौके पर नई दिल्ली में शहरी ठोस कचरा प्रबंधन विषय पर आयेाजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री पुरी ने कहा कि सरकार ने शहरी विकास क्षेत्र के लिए ठोस कचरा प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 100 फीसदी शहरी आबादी को ठोस कचरा प्रबंधन सेवा के दायरे में लाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से शहरी क्षेत्रों के ठोस कचरे का प्रबंधन शहरी आबादी के गुणवत्तापूर्ण रहन-सहन के लिए जरूरी है।
श्री पुरी ने कहा कि सम्मेलन का विषय हमें यह याद दिलाता है कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। आदतों में बदलाव और जन-सामुदायिक भागीदारी टिकाऊ ठोस कचरा प्रबंधन के लिए बेहद अहम है। इसके जरिए ही शहरों और मानव बस्तियों को सुरक्षित और टिकाऊ बनाया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में 88.4 मेगावाट बिजली कचरे से पैदा की जाती है। इसी तरह कचरे से 15.69 लाख मीट्रिक टन खाद बनाई जाती है। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों से अनुरोध किया कि वह कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए नगर निगमों के कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दे। उन्होंने बेहतर कचरा प्रबंधन के लिए हूडको, एचएसएमआई और एनआईयूए जैसे संगठनों से भी सहयोग की अपील की। श्री पुरी ने कहा कि देश में ठोस कचरा प्रबंधन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में धन का आवंटन किया गया है।
आवास और शहरी मामलों के सचिव श्री दुर्गाशंकर मिश्रा ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल कचरा प्रबंधन में सभी तरह के घरेलू और औद्योगिक कचरों की रि-साईकिलिंग और उन्हें फिर से इस्तेमाल करने की व्यवस्था रहती है। उन्होंने कहा कि कचरा निस्तारण में जनता की भागीदारी भी महत्वपूर्ण हैं साफ-सफाई के प्रति अपनी आदतों में बदलाव लाकर लोग इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते है।
इस अवसर पर श्री पुरी ने कई संदर्भ पुस्तिकाएं जारी की और चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने वाले स्कूली बच्चों को पुरस्कार प्रदान किए।