पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने आज देश में 146 राष्ट्रीय पार्क और वन्यजीव अभयारण्यों की प्रबंधन प्रभावशीलता का मूल्यांकन (एमईई) जारी किया। वर्तमान में, भारत में 903 संरक्षित क्षेत्रों के नेटवर्क में देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5 प्रतिशत हिस्सा आता है। संरक्षित क्षेत्रों के प्रभाव का आकलन करने के क्रम में प्रबंधन प्रभावशीलता के मूल्यांकन की जरूरत होती है।
एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में श्री जावडेकर ने कहा कि जिसे दूसरे देश हासिल नहीं कर सके, उसे भारत ने हासिल कर लिया है और आज वह जैव विविधता संपन्न देश बन गया है। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, “भारत में बाघों की वैश्विक आबादी की 70 प्रतिशत, एशियाई शेरों की 70 प्रतिशत और तेंदुओं की 60 प्रतिशत आबादी का होना भारत के जैव विविधता संपन्न देश होने का प्रमाण है, क्योंकि बड़ी बिल्ली की श्रेणी में आने वाले ये जानवर खाद्य श्रृंखला में शीर्ष पर होते हैं और उनकी बढ़ती संख्या से पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के बेहतर होने का पता चलता है।”
श्री जावडेकर ने यह भी घोषणा की कि इस साल से प्रत्येक वर्ष देश में 10 सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय पार्कों, 5 तटीय एवं समुद्री पार्कों और शीर्ष 5 चिड़ियाघरों की सूची जारी की जाएगी और उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।
संरक्षित क्षेत्रों (पीए) का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) पीए प्रबंधकों के लिए एक मुख्य साधन के रूप में उभरा है और सरकारों व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन प्रणालियों की क्षमताओं व कमजोरियों को समझने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
वर्तमान मूल्यांकन के परिणाम औसतन 62.01 प्रतिशत एमईई अंक के साथ उत्साहजनक रहे हैं, जो 56 प्रतिशत के वैश्विक औसत से ज्यादा है। मूल्यांकन के इस चरण के साथ, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने 2006 से 2019 तक सभी स्थलीय राष्ट्रीय पार्कों और वन्यजीव अभायरण्यों के मूल्यांकन के एक चक्र को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
एमईई एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो वन्यजीव और संरक्षित क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर मूल्यवान मार्गदर्शन उपलब्ध कराता है, साथ ही समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के एमईई का विस्तार करता है। समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के लिए एक नया खाका डब्ल्यूआईआई और एमओईएफएंडसीसी द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है। कार्यान्वयन के लिए यह एक बेहद उपयोगी दस्तावेज होगा।
पर्यावरण मंत्री ने भारतीय चिड़ियाघरों के लिए प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई-जू) की रूपरेखा को भी लॉन्च किया, जो विशेष, समग्र और स्वतंत्र तरीके से प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन प्रक्रिया (एमईई-जू) के माध्यम से देश के चिड़ियाघरों के मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देशों, मानदंडों और संकेतकों का प्रस्ताव करता है।
मूल्यांकन मानदंड और संकेतक पारम्परिक अवधारणाओं से इतर पशु कल्याण, पशुपालन, स्थायी संसाधन और वित्त शामिल हैं। एमईई-जू की प्रक्रिया भारत भर में चिड़ियाघरों में उच्चतम मानकों के विकास की दिशा में बढ़ रही है और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जवाबदेही, पारदर्शिता, नवाचार, तकनीक के उपयोग, सहयोग और ईमानदारी के बुनियादी मूल्यों का पालन करते हैं।