नई दिल्ली: भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संज्ञान में यह आया है कि कुछ अनाधिकृत साइटें/संगठन/एनजीओ/व्यक्ति ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत नकद प्रोत्साहन के नाम पर फॉर्म वितरित कर रहे हैं। इस योजना में भारत सरकार की ओर से व्यक्तिगत ‘नकद हस्तांतरण घटक’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत सामाजिक व्यवस्था में बेटियों के प्रति रूढिवादी मानसिकता बदलना, पीसी और पीएनडीटी अधिनियम को सख्ती से लागू करना और बालिकाओं की शिक्षा को आगे बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इसके तहत जीवन चक्र निरंतरता के आधार पर महिला सशक्तिकरण से जड़े मुद्दों पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाता है। यह कोई डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) योजना नहीं है।
यह एक अत्यंत गंभीर मसला है और अगर आपको किसी ऐसी घटना के बारे में जानकारी मिलती है तो कृपया इस बारे में निकटतम पुलिस स्टेशन और संबंधित जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करें। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों के जाल में न फंसने की सलाह दी है। मंत्रालय ने लोगों को यह भी सलाह दी है कि वे इस संबंध में अपने व्यक्तिगत विवरण को किसी से भी साझा न करें। इस बारे में मेरठ और मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पहले ही एफआईआर दाखिल की जा चुकी हैं। इस तरह का मसला लखनऊ में भी संज्ञान में आया है। उल्लेखनीय है कि इस तरह के फॉर्मों का वितरण पूरी तरह से अवैध है और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत कोई भी नकद प्रोत्साहन किसी भी रूप में जुड़ा हुआ नहीं है।