अल्मोड़ा: भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी के 129 वें जन्म दिवस एवं गो.ब. पंत राश्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के स्थापना दिवस समारोह का षुभारम्भ दीप प्रज्जवलन व पंडित पंत जी की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ समारोह के मुख्य अतिथि श्री अजय टम्टा, माननीय राज्यमंत्री, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया। अपने उदघाटन सम्बोधन में इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री अजय टम्टा ने संस्थान के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए सभी विषिश्ट अतिथियों एवं आगन्तुकों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि इस संस्थान के चहुॅंमुखी विकास हेतु विगत वर्श माननीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाष जावडेकर जी की घोशणा के अनुरूप इस संस्थान को राश्ट्रीय दर्जा प्राप्त हो गया है। यह माननीय प्रधानमंत्री जी के हिमालाय के प्रति लगाव एवं उनकी इस क्षेत्र के पर्यावरण एवं विकास हेतु प्रतिबद्धता की ओर एक कदम है। उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय की हिमालय के पर्यावरण एवं विकास के प्रति प्रतिबद्धता हेतु क्षेत्रीय जनता की ओर से आभार प्रकट किया। उन्होनें इस दिषा में संस्थान द्वारा हिमालयी जन-प्रतिनिधियों के लिए एक मंच के गठन को महत्वपूर्ण बताया जिसके माध्यम से समय-समय पर मार्गदर्षन प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि चीड़ के पिरूल से रेषा निकालकर उपयोगी वस्तुएँ जैसे – कागज, कपड़ा आदि बनाने हेतु उनका मंत्रालय प्रयास कर रहा है ताकि इस क्षेत्र के वनों में अग्नि की भी रोकथाम हो सके।
इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, के सचिव, श्री अजय नारायण झा, मंत्रालय की अपर सचिव डा. अमिता प्रसाद, गढ़वाल विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं पर्यावरण संस्थान के षाशी निकाय के सदस्य प्रो. एस.पी. सिंह, संस्थान के पूर्व निदेषक पद्मश्री प्रो. ए.एन. पुराहित, श्रीमती रंजना झा, श्रीमती मालती पुरोहित एवं गणमान्य अतिथि, उपस्थित थे। तत्पष्चात संस्थान के शोधार्थियों ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। कार्यक्रम के आरंभ में संस्थान के निदेषक डा. पीताम्बर ध्यानी ने सभी आगन्तुको का स्वागत करते हुए संस्थान के उद्देष्य व शोध एवं विकास क्रियाकलापों की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में संस्थान द्वारा नेषनल मिषन के माध्यम से भी शोध एवं विकास परियोजनाओं का संचालन भारतीय हिमालय क्षेत्र में किया जा रहा है, एवं संस्थान के उद्देष्यों की प्राप्ति हेतु आठ नये कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। उन्होंने इस अवसर पर जानकारी दी कि पर्यावरण संस्थान के बढ़ते हुए क्रिया-कलापों के मध्यनजर इसे अब पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उच्चीकृत करके राश्ट्रीय स्तर का संस्थान कर दिया है। जिस हेतु संस्थान मंत्रालय का विषेश आभारी है। तत्पष्चात 22वाँ पं. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव, प्रो. के. विजयराघवन, पद्मश्री द्वारा दिया गया। अपने व्याख्यान शीर्षक “प्रकृति एवं पोशण: आधुनिक युग में जीव विज्ञान“ की शुरूआत में पं. पंत जी को श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए उन्होने संस्थान के षोध एवं विकास कार्यों की सराहना की। अपने व्याख्यान का षुभारंभ करते हुए कहा कि आज से लगभग 12000 वर्श पूर्व पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति के उपरान्त मानव ने इस धरती की प्रकृति में अपने क्रियाकलापों से इच्छानुसार बदलाव किए जाने से हमारे समक्ष संसाधनों की चुनौती उत्पन्न हो गई है जिसको जीव-विज्ञान की मदद से हल करने की दिषा में प्रयास करना आवष्यक है। पर्यावरण संस्थान की वैज्ञानिक क्षमता को इस क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए आधारभूत संरचना व सुविधाएं चाहिएंेगी। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि बदलते वैष्विक परिवेष में हिमालयी पर्वतों की संवेदनषीलता के मध्यनजर यहाॅ पर्यावरण संगत आर्थिक विकास करना चुनौतीपूर्ण है। जिसके लिए विषेष सावधानी की जरूरत है। अपने संक्षिप्त सम्बोधन में इस कार्यक्रम के विषिश्ट अतिथि पर्यावरण मंत्रालय की अपर सचिव डा. अमिता प्रसाद ने कहा कि संस्थान की षोध-प्रगति को देखते हुए अब हमें अपनी जनता की खुषहाली हेतु इस्तेमाल करना है एवं षोध कार्य का वृहत स्तर पर क्रियान्वयन करना है। संस्थान के पूर्व निदेषक प्रो. पुरोहित ने संस्थान के वैज्ञानिकों व निदेषक को बधाई देते हुए अपने संस्थान के पूर्व निदेषक रहते हुए स्थानीय लोगों के सहयोग का स्मरण किया व संस्थान के षोध से निकले परिणामों को यहां की पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में लगाना चाहिए। संस्थान के षाशी निकाय के सदस्य एवं गढ़वाल विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सिंह ने अपने सम्बोधन में संस्थान की बढ़ती हुई पहचान एवं प्रबिद्धता के मध्यनजर षोधकार्य को पर्यावरण एवं विकास के मध्य सन्तुलन पर केंद्रित करने की आवष्यकता जताई।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में पर्यावरण मंत्रालय के सचिव श्री अजय नारायण झा ने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिकों को शोधकार्यों को पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान एवं सरकार की नीतियों में समावेष करने हेतु विषेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने आज के मुख्य वक्ता प्रो. विजय राघवन के जीव विज्ञान को समाज हेतु उपयोगिता को वर्तमान परिवेष हेतु आवष्यक बताया। उन्होंने संस्थान को नाम के अनुरूप पर्यावरण एवं सतत विकास की दिष में षोध के नये आयाम ढूंढकर समाधान देने की बात कही। इस समारोह में प्रमुख रूप से नगर पालिका अध्यक्ष, श्री प्रकाष जोषी, श्री केवल सती, पद्मश्री डा. ललित पाण्डे, विवेकानन्द पर्वतीय कृशि अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेषक डा. भट्ट, वैज्ञानिक डा. मिश्रा, कुमाउँ विष्वविद्यालय की डा. दिवा भट्ट, भाजपा के श्री लटवाल, वरिश्ठ पत्रकार श्री पी.सी. तिवारी, उदय किरौला, महिला हाट, अल्मोड़ा के श्री काण्डपाल, पूर्व निदेषक डी.आर.डी.ओ. डा. जोषी, संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डा. कोठयारी, संस्थान के वैज्ञानिक, कर्मचारी, स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित लगभग 250 लोग उपस्थित थे। समारोह के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के वरिश्ठ वैज्ञानिक ई. किरीट कुमार ने दिया। इस कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा लिखित तीन प्रकाषनों का विमोचन भी माननीय अतिथियों के द्वारा किया गया।
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