अपनी तरह की पहली पहल में केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने विनिर्माण, स्टाफिंग एजेंसी, ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन, होटल उद्योग आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले मानव संसाधन प्रमुखों के साथ बातचीत की।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीसीआई) द्वारा इस बातचीत प्रक्रिया को सुगम बनाया गया। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव श्री सुनील बर्थवाल ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा सेवा देने में सुधार, वर्क फ्रॉम होम (घर से काम), राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल की सेवाओं का बेहतर उपयोग और श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए चर्चा शुरू की और प्रतिभागियों से टिप्पणियां आमंत्रित कीं।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा
सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने विभिन्न संगठनों के मानव संसाधन प्रमुखों के साथ बातचीत का संचालन किया और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की इस पहल का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि सीआईआई बड़ी संख्या रोजगार पैदा करने की अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह वाकिफ है और कोविड की स्थिति से निपटने और विनिर्माण क्षेत्र को निरंतर समर्थन देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने चार श्रम संहिताओं के निर्माण की सराहना की और जल्द से जल्द लागू करने का अनुरोध किया। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने अन्य बातों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में गारंटीशुदा रोजगार की शुरूआत, उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए शिक्षा पाठ्यक्रम को फिर से उन्मुख करना, रोजगार सृजन के लिए अप्रेन्टस्शिप का उपयोग बढ़ाने जैसे अहम सुझाव दिए।
श्री भूपेंद्र यादव ने सभी प्रतिभागियों को उनके बहुमूल्य सुझावों के लिए धन्यवाद देते हुए उन्हें मंत्रालय के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए न केवल कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी अधिक होनी चाहिए बल्कि अधिक महिलाएं निर्णय लेने वाले पदों पर होनी चाहिए।”
श्री यादव ने यह भी कहा कि ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड और ईएसआई निगम की पिछली बैठकों में नियोक्ताओं और कर्मचारियों को शामिल करते हुए सहयोगात्मक दृष्टिकोण रखने के लिए, उन्होंने ईपीएफओ के 6.5 करोड़ सदस्यों के शिकायत निवारण में सुधार, क्षमता निर्माण, चल रही परियोजनाओं की प्रभावी निगरानी, सामाजिक सुरक्षा के तहत कवरेज बढ़ाना और तकनीकी पहलू को मजबूत करने के लिए समितियों का गठन किया है।
चूंकि ईएसआईसी श्रमिकों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करता है, मंत्री ने बताया कि अलवर और बिहटा (पटना) दोनों अस्पतालों में पेशेवर रोगों के अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। ईएसआईसी में 40 वर्ष से अधिक आयु के बीमित व्यक्तियों के लिए मुफ्त चिकित्सा जांच की योजना को नया रूप दिया गया है और पांच अस्पतालों में पायलट आधार पर शुरू किया गया है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि अस्पताल परियोजनाओं के चल रहे निर्माण की निगरानी के लिए ईएसआईसी में एक डैशबोर्ड भी विकसित किया गया है।
श्री यादव ने कहा कि प्रमाण आधारित नीति निर्माण और अंतिम छोर तक सेवाओं की प्रभावी और सही तरीके से पहुंच सुशासन के स्तंभ हैं। इसी उद्देश्य से उनके मंत्रालय ने प्रवासी और घरेलू कामगारों के लिए नए सर्वेक्षण शुरू किए हैं। इसके आगे, अनौपचारिक और औपचारिक दोनों क्षेत्रों के लिए एक व्यापक डेटाबेस बनाने के उद्देश्य से संगठित क्षेत्र के लिए अखिल भारतीय तिमाही आधारित रोजगार सर्वेक्षण (एआईक्यूईईएस) के अलावा, 9 या उस से कम कर्मचारी काम करने वाले प्रतिष्ठानों के लिए एक क्षेत्र आधारित फ्रेम सर्वेक्षण भी शुरू करने का निर्णया लिया गया है।
दो तिमाही स्थापना आधारित रोजगार सर्वेक्षण के परिणाम जारी कर दिए गए हैं। जुलाई से सितंबर 2021 की अवधि के लिए दूसरी क्यूईएस की रिपोर्ट में इस बात का पता चला है कि 9 चयनित क्षेत्रों में अनुमानित कुल रोजगार 3.10 करोड़ है जो अप्रैल से जून, 2021 की अवधि की तुलना में 2 लाख स्थायी नौकरियों से अधिक है। महिला कामगारों की संख्या में (प्रतिशत के आधार पर) भी वृद्धि दर्ज की गई है और यह 32.1% है जो कि क्यूईएस के पहले दौर की तुलना में अधिक है।
केंद्रीय मंत्री ने ई-श्रम पोर्टल की सफलता का भी उल्लेख किया जो श्रमिकों के स्व-पंजीकरण की अनुमति देता है और लगभग 400 श्रेणियों में उनके व्यवसायों का खाका तैयार करता है। वर्तमान में, ई-श्रम पोर्टल की क्षमता प्रति दिन 45 लाख असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीकरण की है, जो अगस्त 2021 में इसके लॉन्च के समय से प्रति दिन लगभग 10 लाख बढ़ गई है। अब तक 21 करोड़ से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया जा चुका है। ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करने वाले सभी श्रमिकों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 2 लाख रुपये का मुफ्त बीमा मिलता है और प्रत्येक श्रमिक को एक डाउनलोड करने योग्य पहचान पत्र मिलता है, जिसका खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
चर्चा का समापन करते हुए मंत्री ने कहा कि इस तरह की बातचीत सभी हितधारकों के साथ नियमित आधार पर होगी। साथ ही उन्होंने श्रमिकों के कल्याण और अच्छे रोजगार के सृजन के लिए नीति निर्माण में उद्योग के सीईओ और मानव संसाधन प्रमुखों के सहयोग की मांग की।