कलकत्ता हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सोमवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने बंगाल सरकार की ओर से प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दीं।
2016, राज्य स्तरीय परीक्षा के जरिए ये सभी भर्तियां हुईं जिसमें घोटाले के आरोप लगे। इस फैसले का असर ग्रुप सी, डी और IX, X, XI, XII कैटेगरी के तहत भर्ती किए गए सभी शिक्षकों पर पड़ेगा। आज के फैसले से करीब 24,000 शिक्षकों की नौकरियां चली गईं।
जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने इस मामले पर आज सुनवाई की। अदालत ने नियुक्त लोगों को 6 हफ्ते के भीतर अपना वेतन लौटाने का आदेश दिया। साथ ही, राज्य सरकार को नई भर्ती अभियान चलाने का भी निर्देश दिया गया। यह भी कहा गया कि सीबीआई मामले में अपनी जांच आगे जारी रखेगी। इसके अलावा, उसे तीन महीनों में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया।
शिक्षक भर्ती में घोटाले के आरोप, कई गिरफ्तारियां
हाई कोर्ट का यह आदेश राज्य सरकार प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण, गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति पर भी लागू होगा। ये वो भर्तियां हैं जो पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की ओर से आयोजित 2016, राज्य स्तरीय परीक्षा से की गईं। मालूम हो कि एचसी के आदेश पर CBI ने मामले की जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी इस मामले में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और डब्ल्यूबी एसएससी में पदों पर रहे कुछ पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
गौरतलब है कि 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यथिर्यों ने 2016 एसएलएसटी परीक्षा दी थी। इस भर्ती को लेकर 5 से 15 लाख रुपये तक के घूस देने के आरोप लगे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और एससी के आदेश पर हाई कोर्ट ने खंडपीठ का गठन किया। जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की डिवीजन बेंच ने आज इस पर सुनवाई की, जो कि SSC की ओर से विभिन्न श्रेणियों में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के चयन से संबंधित कई याचिकाओं और अपीलों को लेकर हुई।
Source livehindustan.com