सुप्रीम कोर्ट ने CBSE बोर्ड के मामले पर फैसला सुनाते हुए छात्रों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि इंप्रूवमेंट एग्जाम के नंबर फाइनल नहीं माने जाएंगे, बल्कि असल परीक्षा और इंप्रूवमेंट एग्जाम, दोनों में से जिसमें बेहतर नंबर होंगे, उसे अंतिम माना जाएगा.
कोर्ट ने सीबीएसई की पुरानी नीति को रद्द कर छात्रों के हित में यह बड़ा फैसला लिया है.
क्या थी CBSE की स्कीम
इससे पहले बोर्ड की स्कीम के तहत इंप्रूवमेंट एग्जाम दे रहे उम्मीदवारों के सामने संशय की स्थिति रहती थी. नियम के अनुसार, इंप्रूवमेंट एग्जाम में प्राप्त स्कोर ही फाइनल माना जाता था. ऐसे में, कुछ मामलों में यह देखा गया कि छात्रों के नंबरों में सुधार होने के बजाय नंबर कम हो गए. इसी पर फैसला लेते हुए कोर्ट ने इस स्कीम को खत्म कर दिया और कहा कि जिस भी परीक्षा में बेहतर नंबर हों, उसे ही फाइनल माना जाए.
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला लिया है. बेंच ने कहा कि, छात्र केवल अपने ओरिजिनल स्कोर के रिजल्ट को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं और यदि उनके द्वारा इंप्रूवमेंट एग्जाम में मिले कम नंबरों पर रिजल्ट बनाया जाता है, तो उनके द्वारा लिए गए एडमिशन प्रभावित होंगे.
सीबीएसई ने अपने जवाबी हलफनामे में पीठ को बताया कि उसने अपनी नीति में आंशिक संशोधन किया है ताकि इंप्रूवमेंट परीक्षा में ‘फेल’ होने वाले छात्रों को अपना ‘पास’ रिजल्ट बरकरार रखने की अनुमति मिल सके. बेंच ने बोर्ड के वकील से कहा था कि वह अपनी इंप्रूवमेंट एग्जाम स्कीम पर पुनर्विचार के मुद्दे पर निर्णय ले.
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