नई दिल्ली: कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि बिहार में किसान सहभागिता बीजोत्पादन प्रणाली के गठन और उसे मजबूत बनाने का काम शीघ्र शुरू किया जाएगा। मंत्री महोदय ने बताया कि 50 किसान सहभागिता बीजोत्पादन प्रणाली पूरे बिहार के सभी जिलों में शुरू करने का प्रस्ताव है, जिसमें 12,500 किसानों की सहभागिता होगी। प्रस्ताव किया गया है कि इन इकाइयों को राज्यभर के राज्य बीज फार्मों में स्थापित किया जाएगा। बिहार में इस समय 244 राज्य बीम फार्म हैं,
जिनमें से 7 फार्मों का रकबा 50 हेक्टेयर से अधिक है। स्थान का चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि उक्त स्थान बाढ़ से प्रभावित न हो सके। इसके लिए कोसी नदी की बाढ़ और अन्य बाढ़ के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ये इकाइयां ऊंचे स्थानों पर बनाई जाएंगी, ताकि उन्हें बाढ़ से नुकसान न पहुंचे।
किसान सहभागिता बीजोत्पादन प्रणाली के जरिये बीजों की नई किस्मों और आधुनिक प्रौद्योगिकी की जानकारी कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा बिहार के किसानों को दी जाएगी।
आशा की जाती है कि प्रत्येक इकाई में कम से कम 2,000 टन बीजों का उत्पादन होगा। कुल मिलाकर 10 लाख क्विंटल बीजों के उत्पादन का प्रस्ताव है। इन बीजों को उत्पादन के बाद बिहार के किसानों में वितरित किया जाएगा। यदि अतिरिक्त बीजों की संभावना होगी, तो उन्हें झारखंड के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस तरह आने वाले वर्षों में फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी।
देखा गया है कि बीज एवं पौधारोपण सामग्री (एसएमएसपी) की धनराशि पर्याप्त नहीं है, इसलिये यह प्रस्ताव किया गया है कि राज्य को एक विशेष पैकेज के जरिये निधियां उपलब्ध कराई जाएं, ताकि बिहार के 10 करोड़ लोगों को लाभ हो सके, चूंकि उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीजों की प्रमुख भूमिका होती है, इसलिए यह प्रयास जरूरी है कि उनकी उपलब्धता समय पर हो सके।
12वीं योजना के मध्यावधि मूल्य निर्धारण में कहा गया है कि बीज श्रृंखला में नई किस्मों के निरूपण के लिए उचित मूल्य निर्धारण और वितरण सुविधा सहित सहभागिता बीजोत्पादन कार्यक्रम की आवश्यकता है।
चावल के राष्ट्रीय औसत उत्पादन 2,416 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले बिहार में 2013-14 में चावल की उत्पादकता 1,753 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही, जबकि पंजाब में यह आंकड़ा 3,943 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। गेंहू के संबंध में राष्ट्रीय औसत उत्पादन 3,123 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले बिहार में गेंहू का उत्पादन 2,427 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि हरियाणा में यह आंकड़ा 4,170 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। बिहार में ज्वार का उत्पादन 3,287 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि तमिलनाडु में सबसे अधिक उत्पादन 4,745 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। तमिलनाडु में रागी के अधिकतम उत्पादन 2,360 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले बिहार में रागी का उत्पादन 900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। बिहार गंगा के मैदानी क्षेत्र में स्थित है, लेकिन पंजाब और हरियाणा की तुलना में फसलों का उत्पादन क्षमता से काफी कम होता है।
बिहार में बीजोत्पादन प्रणाली बहुत कमजोर है। वर्ष 2014-15 के रबी मौसम के दौरान राज्य बीज निगम द्वारा उपलब्ध और प्रमाणित बीज उत्पादन केवल 1,26,153 क्विंटल (12 प्रतिशत) और राज्य एजेंसी द्वारा उपलब्धता 78470 क्विंटल (7.46 प्रतिशत) है, जबकि राज्य की आवश्यकता 10,50,860 क्विंटल है।
इसी तरह वर्ष 2014-15 के खरीफ मौसम के दौरान राज्य बीज निगम द्वारा उपलब्ध और प्रमाणित बीज उत्पादन केवल 64,454 क्विंटल (15.64 प्रतिशत) और राज्य एजेंसी द्वारा उपलब्धता 500 क्विंटल (1.21 प्रतिशत) है, जबकि राज्य की आवश्यकता 3,33,965 क्विंटल है। राज्य ज्वार, अरहर, मूंग, उड़द, धेनचा के बीजों का उत्पादन नहीं होता, जबकि राज्य कृषि विभाग, बीआरबीएन और राज्य कृषि विश्वविद्यालय में वृहद तकनीकी श्रम शक्ति उपलब्ध है।