केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत के तेजी से बढ़ते निर्यात में योगदान देने के लिए ओडीओपी कार्यक्रम के तहत बिहार राज्य में विशाल क्षमता है। इसका उल्लेख करते हुए कि बिहार की जीडीपी तेजी से बढ़ रही है, उन्होंने कहा कि राज्य ने स्वास्थ्य तथा शिक्षा क्षेत्रों में तेज गति से बढोतरी की है।
श्री पीयूष गोयल ने कल राज्य के 110वें संस्थापना वर्ष, बिहार दिवस पर दिल्ली हाट में आयोजित बिहार उत्सव समारोहों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने प्रत्येक जिले में निर्यात के लिए उत्पादों की पहचान की है, चाहे यह भागलपुर का सिल्क हो, सीवान से फार्मास्यूटिकल हो, समस्तीपुर के बांस के उत्पाद हों या फिर मुजफ्फपुर के ‘शाही लीची ‘फल और ‘लहठी’ हों। उन्होंने कहा कि ये सभी उत्पाद दुनिया भर में विख्यात हैं।
इसका उल्लेख करते हुए कि बिहार असीम अवसरों की भूमि है, श्री गोयल ने कहा कि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए तथा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के साथ, राज्य के विकास में योगदान देने के लिए प्रदेश के युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के दिनों में, राज्य के एक उद्यमी प्रवीण चैहान ने बोध गया मंदिर के फूलों से प्राकृतिक डाई निकाली है। आज, उनकी डाई का उपयोग जापान तक के देशों में फैशन के कपड़ों के लिए किया जा रहा है।
श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘लुक ईस्ट’ नीति से ‘एक्ट ईस्ट’ नीति की ओर एक कदम और आगे बढ़ा दिया है जिसमें पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के अतिरिक्त बिहार, निकटवर्ती राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने पूर्वी भारत में कई विकास संबंधी परियोजनाएं आरंभ की हैं। सरकार ने परियोजनाओं को केवल शुरु ही नहीं किया है बल्कि उन्हें पूरा भी किया है।”
बिहार की समृद्ध विरासत का स्मरण करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि भारत के महानतम साम्राज्य- मौर्य साम्राज्य से लेकर गुप्त साम्राज्य तक, इसी भूमि में पैदा हुए तथा उन्होंने आधुनिक भारत की आधारशिला रखी।
उन्होंने कहा, ‘‘इस भूमि ने विश्व को लोकतंत्र का पहला पाठ पढ़ाया। वज्जी महाजनपद की राजधानी वैशाली का संचालन संघ (लोगों की सभाओं) द्वारा किया जाता था। बिहार ने राष्ट्रवाद की जड़ें भी मजबूत कीं। महात्मा गांधी ने 1917 में चंपारण सत्याग्रह के साथ बिहार से पहली सविनय अवज्ञा की शुरुआत की। बिहार ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन का भी नेतृत्व किया।”
श्री गोयल ने कहा, ‘‘बिहार प्राचीन भारत में -नालंदा और तक्षशिला के साथ शिक्षा का केंद्र था।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कहा जाता है- मैं चाणक्य की नीति हूं, मैं आर्यभट्ट का आविष्कार हूं, मैं महावीर की तपस्या हूं, मैं बुद्ध का अवतार हूं, मैं बिहार हूं।”
इसका उल्लेख करते हुए कि बिहार की महान भूमि ने भारत के गौरवशाली इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई है, श्री गोयल ने उम्मीद जताई कि बिहार के युवा अपने साहस और कड़ी मेहनत से राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
केंद्रीय मंत्रियों श्री गिरिराज सिंह, श्री अश्विनी कुमार चैबे तथा श्री आरसीपी सिंह ने भी समारोह में भाग लिया।