देहरादून: प्रदेश में औद्योगिकरण को बढ़ावा देने के लिए 10 करोड तक के इन्वेस्टमेंट प्रस्तावो को स्वीकृत करने का अधिकार जिलाधिकारियों को दिये जाय, भूमि सम्बन्धी अभिलेखो का डाटा तैयार कर उसे रजिस्ट्रेशन से जोड़ा जाए, पर्वतीय क्षेत्रो में उद्योगो का बढ़ावा देने के लिये स्टाम्प ड्यूटी में छूट दिये जाने का प्राविधान किया जाय। सिड़कुल द्वारा सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगो के लिये भी भूमि आरक्षित की जाय।
यह निर्देश मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शुक्रवार को बीजापुर अतिथि गृह में ईज आफ डूइंग बिजनेस से सम्बंधित बैठक में विभागीय अधिकारियों को दिये। उन्होने कहा कि इस क्षेत्र में प्रदेश को देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त होना हमारे लिये सम्मान की बात है। इस दिशा में हम अपना सर्वोच्च स्थान कायम रख सके इसके लिये सभी सम्बंधित विभागो को अपनी कार्यकुशलता पर ध्यान देना होगा।
ईज आॅफ डूइिंग बिजनेस में उŸाराखण्ड के पिछले एक सप्ताह से लगातार प्रथम रैंकिंग पर रहने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा है कि इस स्थान को बनाए रखने का चैलेंज हमें स्वीकार करते हुए प्रतिस्पर्धी भावना से काम करना होगा। वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में जो कमियां रह गई हैं, उन्हें सुधारने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होने उद्योगो की स्थापना के लिये विभिन्न नगरो का मास्टर प्लान तैयार करने तथा नई टाउनशिप विकसित कर उसमे उद्योगो आदि के लिये स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिये। इसमें विकास प्राधिकरणों के साथ ही नगर निकायों को भी सम्मिलित किया जाय, विभागीय अधिकारी उद्योग एवं व्यापर को बढ़ावा देने के लिये सहयोगी की भूमिका निभाये। उद्यमियों को ऐसा अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया जाय ताकि अधिक से अधिक उद्यमी हमारे यहा आये। प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग दक्ष युवाओ की सूची उपलब्ध कराये ताकि उद्यमियों को उनकी आवश्यकता अनुसार दक्ष युवा उपलब्ध हो सके।
मुख्यमंत्री हरीश ने प्रदेश में व्यवसाय एवं उद्योगो के लिये अनुकूल वातावरण बनाने के लिये इन्वेस्ट उत्तराखण्ड पोर्टल के अन्तर्गत सभी सम्बंधित विभागो को जोडने पर भी बल दिया। एनआईसी से यूजर फ्रेंडली साफ्टवेयर भी तैयार करने को कहा। उन्होने कहा कि ऐसा सिस्टम तैयार किया जाय ताकि जो भी उद्यमी उद्योग या व्यवसाय आरम्भ करना चाहे उसे पूरी जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाय। इसमें महिला उद्यमियों व महिला स्वंय सहायता समूहो की मदद के लिये भी कम्पोनेट तैयार किया जाय। उन्होने परम्परागत कार्य करने वालो को भी प्रोत्साहित करने को कहा ताकि उनका भी व्यवसाय बढ़े। मुख्यमंत्री श्री रावत ने उद्यमिता के विकास के लिये विभिन्न विभागो को इसमें जोड़ने को कहा।
गौरतलब है कि भारत सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के अधीन औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग द्वारा वर्ष 2015 में राज्यों की रैंकिंग के लिए विश्व बैंक की सहायता से अध्ययन प्रारम्भ किया गया। ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में राज्यों को रैंकिंग देने के लिए अनेक बिंदु निर्धारित किए गए। वर्ष 2015 में उŸाराखण्ड 23 वें स्थान पर था। इसे गम्भीरमा से लेते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रदेश में सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। नई व्यवस्था में जिला स्तर पर अधिकांश स्वीकृतियों का प्राविधान किया गया। मुख्य सचिव को इसकी लगातार समीक्षा के निर्देश दिए।
वर्ष 2016 की रैंक्रिग के लिए भारत सरकार के नीति एवं संवर्द्धन विभाग द्वारा कुल 340 कार्य बिंदुओं का निर्धारण किया गया जो कि 10 क्षेत्रों से सम्बन्धित हैं। इसमें सूचना तक पहुंच व पारदर्शी व्यवस्था, सिंगल विंडो, भूमि की उपलब्धता, निर्माण स्वीकृति की सुचारू व्यवस्था, पर्यावरणीय पंजीकरण सिस्टम, श्रम नियमन, बिजली कनेक्शन प्राप्त करना, आॅनलाईन टैक्स रिटर्न भरना, निरीक्षण सुधार व वाणिज्यिक विवादों के निपटारे का सिस्टम शामिल हैं।
बैठक में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव वित्त राजस्व एवं नगर विकास डी0एस0गब्र्याल, सचिव न्याय आलोक कुमार वर्मा, अपर सचिव डाॅ0 पंकज पाण्डेय, रणवीर सिंह चैहान, प्रबन्ध निदेशक सिडकुल आर0राजेश कुमार, अपर निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
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