देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये जनसहभागिता पर भी ध्यान दिया जाय।
उन्होने कहा कि शिक्षकों को सहयोगी बनाने के साथ ही शिक्षा से जुडे विशेषज्ञों की भी मदद ली जाय। उन्होने डायट व एनसीआरटी का ढांचा एवं सेवा नियमावली भी शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिये है।
मंगलवार को बीजापुर अतिथि गृह में शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि रमसा व सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत कार्यरत शिक्षको व कार्मिको को वेतन समय पर मिले इसके लिये केन्द्र सरकार से वित्तीय सहायता की प्रत्याशा में वेतन भुगतान कर दिया जाय।
उन्होने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये कन्सलटेंसी कमेटी का गठन किया जाय, ताकि शिक्षको की समस्याओं का समय-समय पर निराकरण होता रहे। उन्होने शिक्षा उन्नयन काउसिल के गठन पर भी बल दिया जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने माॅडल स्कूलो की नियमालवली भी शीघ्र तैयार की जाय। सभी को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना हमारा उद्देश्य है इसके लिये समेकित प्रयासों की उन्होने जरूरत बतायी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि दिसम्बर माह के अंत तक प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाचार्य की कमी को दूर कर दिया जाए। ऐसे प्रवक्ताओं जिनकी सेवा लम्बे समय से ली जा रही है, उन्हें पदोन्नत कर प्रधानाचार्य के पद पर तैनाती दी जाए। बैठक में विद्यालयों में अध्यापकों की कमी के संबंध में भी चर्चा की गई। इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्यालय को शिक्षाविहीन न रखा जाय। अध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए अतिथि शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित की जाय।
बैठक में वित्त मंत्री डाॅ. (श्रीमती) इन्दिरा हृदयेश, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, मुख्य प्रधान सचिव राकेश शर्मा, अपर मुख्य सचिव एस राजू, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव शिक्षा एम.सी जोशी, महानिदेशक शिक्षा डी. सेन्थिल पांडियन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।