देहरादून: रविवार देर सायं बीजापुर अतिथि गृह में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने संस्कृति विभाग की बैठक ली। मुख्यमंत्री श्री रावत ने संस्कृति विभाग के कार्याें कि सराहना करते हुए कहा कि यह बहुत हर्ष की
बात है कि अब हमे अपना राज्य गीत मिल चुका है तथा इस राज्य गीत में पूरे प्रदेश कि संस्कृति, इतिहास, भूगोल व हमारी पहचान का समावेश किया गया है। वस्तुतः यह गागर में सागर भरने जैसा प्रयास है। इसमेें हमारी भाषाओं का आदर करते हुए उत्तराखण्डी भावना को लिया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री रावत ने राज्य गीत का संक्षिप्त रूप भी तैयार करने को कहा, ताकि औपचारिक समारोही में गीत की प्रस्तुति की जा सके। परंतु इससे गीत की मूल भावना प्रभावित न हो।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा हमारे राज्य के पहाडी क्षेत्रों के पहनावा को फैशन शो में माध्यम से संकलित कर एक मंच प्रदान करने का निदेशक संस्कृति विभाग को दिया। उन्होने कहा कि प्राचीन शैली आधुनिक समय की रफ्तार से विलुप्त होती जा रही है। जिसको संकलित एवं संरक्षित किया जा सकंे। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसी पगड़ी टोपी होनी चाहिए, लेकिन वे कण्डाली, भांग, बिमल आदि के रेशे से बनी टोपी होनी चाहिए। उन्होने कहा कि प्रदेश के प्राचीन बावन गढों की शैली सभ्यता के निर्माणिक भवनों को संकलित कर चयन के तहत संग्रालय में प्रदर्शित किया जायेगा। जिससे बाहर से आने वाले पर्यटको को भी इसको जानने का मौका मिलेगा। जिससे पर्यटक को ज्ञात हो जायेगा कि यह शैली भी पहाडों में विद्यमान है। उन्होने कहा कि पहाडों की संस्कृति को संजोये रखने हेतु राज्य सरकार हर स्तर पर कार्य कर रही है।
इस अवसर पर प्रदेश कांगे्रश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, विधायक ललित फस्र्वाण, सचिव युवा कल्याण शैलेश बगोली, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी सहित अन्य उपस्थित थे।
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