देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि सोमवार को आयोजित होने वाली कैबिनेट बैठक में प्रदेश के बडे विकास खण्डो में उप विकास खण्डो की स्थापना पर विचार-विमर्श किया जायेगा। उन्होने कहा कि अभी तक इस संबंध में भारत सरकार से स्थिति स्पष्ट न होने के कारण उप विकास खण्डो को नया स्वरूप दिये जाने पर विचार किया जाना जरूरी हो गया है। उन्होने कहा कि प्रदेश में विकास खण्डो की मांग जिलो की मांग से पुरानी है। इसका रोड़ मैप तैयार किया जाना भी जरूरी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश में वर्षा आधारित पर्वतीय खेती को बढ़ावा देने के लिये सामुहिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिये लीजिंग पाॅलिसी भी कैबिनेट में रखी जायेगी, ताकि जमीन के मालिक को यह विश्वास रहे कि उसकी जमीन सुरक्षित है तथा खेती करने वाला भी निश्चित होकर खेती कर सके। उन्होने कहा कि प्रदेश में जमीनों के बिखराव की भी समस्या है, इसका एक मात्र निदान चकबन्दी हो सकता है, इस सम्बंध में भी कैबिनेट में चर्चा की जायेगी। पर्वतीय क्षेत्रो में लोग खेती की ओर आकर्षित हो सके, इसके लिये अपने खेत में काम करने वाली महिला को भी मनरेगा श्रमिक के रूप में पंजीकृत किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि अभी तक सामुहिक खेती के लिये एक लाख की धनराशि ब्याजमुक्त दिये जाने का प्राविधान था, इसे अब अनुदान के रूप में दिये जाने की व्यवस्था की जायेगी, इससे महिला स्वंय सहायता समूह को प्राथमिकता दी जायेगी। उन्हांेने कहा कि इस संबंध में कराये गये अध्ययन में जानकारी मिली है कि इससे हम 20 प्रतिशत लोगो को खेती से जोडने में सफल होंगे।
उन्होने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रो में मण्डी न होने के कारण वहां के उत्पादो को बाजार से लिंकेज करने में कठिनाई होती है इसके लिये मैदानी क्षेत्रो की बड़ी मण्डियो की उपमण्डी पर्वतीय क्षेत्रो में स्थापित किये जाने का प्रस्ताव भी कैबिनेट के समक्ष रखा जायेगा। इससे पर्वतीय क्षेत्रो के उत्पादों को बाजार उपलब्ध हो सकेगा तथा पर्वतीय खेती को सही दिशा मिलने के साथ ही गांवो और बाजार का संबंध भी जुड़ सकेगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने आउट सोर्सिंग के माध्यम से सेवायोजित कार्मिकों से अपील की है कि वे अपने प्रकरणों को उलझायें नहीं, हम संवैधानिक व कानूनी दायरे के अन्तर्गत उनके मामलों को सुलझाने का प्रयास कर रहे है। गेस्ट टीचरों के मामले में भी उच्च न्यायलय के निर्णय से सरकार के हाथ बंधे है। इस प्रकार से एसे मामलों में काॅज आॅफ एक्शन पैदा हो रहा है। नियम व कानून से संबंधित प्रकरणों पर किसी प्रक्रिया के तहत ही कार्यवाही की जा सकती है। गेस्ट टीचरों की भर्ती मामले में भी चयन बोर्ड बनाकर ब्लाॅक कैडर में उनकी निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही नियुक्ति की गई थी। उन्होंने इन सभी कार्मिकों से संयम रखने की भी अपेक्षा की है। इस प्रकार लगभग 55 हजार कार्मिकों की समस्या का तुरन्त समाधान निकालना सम्भव नहीं है। ये सभी लोग संयम रखे, अपने प्रकरण में उलझाव पैदा न करें। इस संबंध में कोई फार्मूला निकालने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि भविष्य में राज्य में होने वाली भर्तियों का धीरे-धीरे व्यवस्था के तहत लाया जायेगा, इस संबंध में पुरानी व्यवस्था को अपनाये जाने की व्यवस्था की जायेगी।
उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग से पहले प्रशासनिक ईकाईयों के गठन का मसला भी सुलझा दिया जायेगा। इस संबंध में अभी तक 22 स्थानों से मांगें आयी है। इनका सभी तथ्यों के आधार पर परीक्षण आदि करने पर 02-03 जगह ही सामने आ रही है। इस संबंध में फिर से प्रस्तावों पर कार्यवाही हेतु विचार-विमर्श किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पूरा परीक्षण किया जाना जरूरी है ताकि एसे मामलों में सुलझाव के बजाय उलझाव पैदा न हो।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केन्द्र से जो भी धनराशि दी जाती है वह संवैधानिक व्यवस्था के तहत दी जाती है। वित्त आयोग द्वारा वित्तीय संसाधनों के बंटवारें में केन्द्रीय करों में राज्य का जो हिस्सा निर्धारित किया है, उसमें 200 करोड़ की कमी उत्तराखण्ड हिस्से में हो रही है। 14वें वित्त आयोग के प्रभावी होने से राज्य को 1700 करोड़ रूपये कम मिल रहे है। इस अन्तर को केन्द्रीय वित्त मंत्री ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने बाह्य सहायतित योजनाओं में राज्य की योजनाओं को 90-10 के अनुपात में लाने के लिये वित्त मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने राज्य के सांसदों से अपेक्षा की है कि वे केन्द्रीय सहायता के अवशेष 200 करोड़ रूपये उपलब्ध कराने में सहायोग करें। उन्होंने कहा कि सीएसएसआर के तहत बाढ़ नियन्त्रण आदि कार्याें के लिये राज्य के अंशदान के भुगतान के बाद भी 750 करोड़ रूपये तथा एसपीए के अधीन स्वीकृत योजनाओं का भी भुगतान नही किया जा रहा है।