देहरादून: बीजापुर हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ और उसके आसपास की तरफ के मार्ग पर अब भी कुछ अर्ध-अनुŸारित प्रश्न हैं। पहला प्रश्न रामबाड़ा से केदारनाथ तक व गरूड़चट्टी का क्षेत्र मिट्टी के कटाव व भूस्खलन आदि के कारण चुनौतिपूर्ण है। हमारा काम जारी है। केंद्र सरकार से लगभग 8 हजार करोड़ का जो पैकेज स्वीकृत हुआ था उसका बहुत छोटा भाग ही मिल पाया है। लेकिन हम अपने संसाधनों से दूसरे तरीके ढूंढ रहे हैं।
हमारे सामने दूसरी चुनौती है कि आपदा में लाखों टन मलबा आया था। हमने पहले भी कहा था कि इतने मलबे के नीचे शव दबे हो सकते हैं। विस्तृत फैले जंगल में भी शव हो सकते हैं। जब भी कोई शव या कंकाल मिला है, सरकार के ही प्रयासों से मिला है। हमने कभी भी काम्बिंग को रोका नहीं। हमने पहले भी कहा था कि बरसात के बाद फिर से सर्च आपरेशन प्रारम्भ किया जाएगा। हिटो केदार के तहत विभिन्न ट्रेक रूटों पर दलों को भेजने के पीछे का एक मकसद यह भी था। माटा के सहयोग से यह अभियान चलाया गया था। जैसे ही सूचना मिली एसडीआरएफ को इस काम लगाया गया। आईजी गढ़वाल को इसकी जिम्मेवारी दी गई कि मिलने वाले नरकंकालों का डीएनए कराते हुए विधिवत तरीके से दाह संस्कार किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने बताया कि वर्तमान काम्बिंग में अभी तक 31 नरकंकाल मिले हैं। इनमें से 23 का डीएनए कराते हुए अंतिम संस्कार कर दिया गया है। शेष 8 का अंतिम संस्कार आजकल में कर दिया जाएगा। जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि अनेक लोग केदारनाथ आपदा के समय जान बचाने के लिए त्रिजुगीनारायण मार्ग पर चले गए थे और वहां गुफा आदि स्थानों पर आश्रय लिया। बहुत ही दुखद है कि वे लोग भूख, प्यास, सर्दी व थकान के कारण दम तोड़ गए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आईजी गढ़वाल को 10 दिन का सघन काम्बिंग आपरेशन चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इस काम में माटा व स्थानीय लोगों की सहभागिता से यह आपरेशन संचालित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य का दायित्व है कि मिलने वाले नरकंकालों का अंतिम संस्कार किया जाए बल्कि विधिपूर्वक अस्थिविसर्जन भी किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ऐसे मामलों पर आरोप प्रत्यारोप नहीं होना चाहिए। मेरे द्वारा पूर्व में राके गए काम्बिंग आपरेशन को दुबारा प्रारम्भ करने के निर्देश दिए गए थे। हम सभी से बेहतर सुझावों का स्वागत करते हैं परंतु मात्र आरोप लगाना राज्य हित में नहीं हैं। आपदा सचिव को भी निर्देश दिए गए हैं कि एक बार फिर से देख लिया जाए कि मुआवजे की राशि प्राप्त करने से कोई पक्ष रह तो नहीं गया है। केदारनाथ क्षेत्र के जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई थीं उनके बच्चों की शिक्षा आदि के लिए 1 करोड़ रूपए से फंड स्थापित किया गया है। प्रति वर्ष इस फंड में 1-1 करोड़ रूपए जमा करते हुए 5 करोड़ रूपए तक की राशि इसमें रखी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इसी से जुड़े हुए एक और विषय पर स्पष्ट करना चाहता हूं कि हिटो केदार के समापन के अवसर पर सूफी गायक कैलाश खैर को आमंत्रित किया गया था। प्रत्येक राज्य सेलिब्रिटिज का उपयोग करता है। गुजरात ने जिस काम में 100 करोड़ रूपए खर्च किए वह काम हमने बहुत कम राशि से किया। भुगतान केवल गाना गाने के लिए नहीं बल्कि 40-40 मिनिट के 12 एपिसोड का सीरियल बनाया गया है। इसकी मार्केटिंग के बाद हमें इस पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति हो जाने की उम्मीद है। इस सीरियल में अन्य राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से जुड़ी विभूतियों को भी लिया गया है। स्पर्श गंगा कार्यक्रम में भी धनराशि खर्च की गई थी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारा अब भी ये दावा नहीं है कि हम सभी कंकाल खोज लेंगे। यह बहुत ही विस्तृत क्षेत्र है। राज्य के तौर पर हमारा दायित्व है कि हम हर तरीके से प्रयास करें। ‘‘जब मेरे द्वारा मुख्यमंत्री का दायित्व सम्भाला गया तो बहुत से लोगों ने कहा कि केदारनाथ यात्रा को 10 साल व चारधाम यात्रा को 3 साल के लिए रोक दिया जाए। परंतु अर्थव्यवस्था को नष्ट नहीं किया जा सकता था। असामान्य परिस्थितियों में असामान्य निर्णय लिए गए। मुझे आज संतुष्टि है कि हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई है। इस वर्ष चारधाम व हेमकुण्ट साहिब यात्रा पर श्रद्धालुओं की संख्या 15 लाख पहुंचने वाली है। वर्ष 2018 तक इस संख्या को 30 से 40 लाख तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।’