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बीजापुर हाउस में पर्यटन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत साथ में कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै

उत्तराखंड
देहरादून: राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में पारम्परिक कला ऐंपण की पेटिंग्स लगाई जानी अनिवार्य की जाएगी। शुक्रवार को बीजापुर हाउस में पर्यटन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन पर किए गए निवेश से प्रतिफल व रोजगार सृजन सुनिश्चित किया जाए। टिहरी महोत्सव व जागेश्वर महोत्सव का फाॅलोअप प्लान तैयार किया जाए। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बनाए जा रहे हेलीपेडों व हवाई पट्टियों के आसपास विभिन्न पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएं। पर्यटन के बड़े केंद्रों को उत्तराखण्ड के उत्पादों के बिक्री केंद्रों के रूप में भी विकसित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जागेश्वर, औली, केदारनाथ आदि स्थानों पर पर्यटन विकास के लिए भारी मात्रा में निवेश किया गया है। इस निवेश से आय प्राप्ति व स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की पुख्ता योजना तैयार की जाए। चारधाम यात्रा अब सामान्य स्थिति में आ चुकी है। पर्यटन विभाग अब चारधाम, मसूरी व नैनीताल के अलग हटकर पर्यटन के नए स्थलों व दूसरे आयामों पर भी फोकस करे। राफ्टिंग, बुग्याल, शीतकालीन पर्यटन के लिए विशेषज्ञ लोगों को साथ में जोड़ा जाए। टिहरी में लगभग 100 करोड़ रूपए का निवेश कर दिया गया है। इससे राज्य को रिटर्न भी मिलना चाहिए। वहां दो पार्ट में योजना बनाई जाए। एक योजना टिहरी के लिए जबकि दूसरी योजना चिन्यालीसौड़ के लिए हो। चिन्यालीसौड़ की योजना को चारधाम से लिंक किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने जागेश्वर में साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने,वहां के देवदार के जंगलों में वन विभाग के सहयोग से इको-टूरिज्म के तहत ‘‘ध्यान वृक्ष’’ के कन्सेप्ट पर काम करने, छोटे-छोटे चेकडेम की श्रृंखला विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अनदेखे हिमालय पर काॅफीटेबिल बुक तैयार करने व विभिन्न मेलों व आयोजनों का एक्टीवीटी कलेंडर बनाने के भी निर्देश दिए। जागेश्वर में पारम्परिक शैली में बने भवनों के संरक्षण के लिए इंसेंटिव की योजना तैयार की जाए। नंदादेवी, कटारमल, कौसानी, बैजनाथ, ग्वालदम, पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। बागेश्वर में कृत्रिम झील की सम्भावना देखी जाए। मुन्स्यारी-धारचूला पर अलग कन्सेप्ट के साथ योजना बनाई जाए। काठगोदाम से खैरना मार्ग का नाम नीम करौली बाबा के नाम पर जबकि खैरना से अल्मोड़ा तक के मार्ग का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा जाए। बैठक में पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव आनंदवर्धन, सचिव शैलेश बगोली, डीएस गब्र्याल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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