देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजापुर हाउस में मीडिया से वार्ता के दौरान बताया कि उन्होंने आपदा एवं फंडिग पेटर्न आदि बदलने से राजय को हुए नुकसान की भरपाई के लिये केन्द्रीय मदद दिये जाने सहित राज्य हित से जुड़े विभिन्न विषयों से संबंधित मामलो में प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री सहित अन्य केन्द्रीय मंत्रियों को 125 पत्र लिखे है। जिनमें 60 पत्र महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित है। उन्होंने कहा कि यही नहीं 71 बार विभिन्न केन्द्रीय मंत्रियों से विभिन्न विषयों के संबंध में उनके द्वारा उनसे भेंट कर वार्ता भी की गई है।
उन्होंने कहा कि यह कहना कि मुख्यमंत्री द्वारा राज्यहित से जुडे मामलों व आपदा सहित अन्य योजनाओं के लिये केन्द्र सरकार से आवश्यक आर्थिक मदद की मांग ही नही की गई सर्वथा असत्य व निराधार है। उन्होंने इस संबंध में भेजे गये पत्रों का पूरा विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सहित केन्द्रीय मंत्रियों से की गई मुलाकातों के नतीजे सार्थक भी रहे है। कई मामलों में राज्य को इससे बड़ी मदद भी मिली है। जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग, ग्रामीण विकास, एम.एस.एम.ई., रेलवे व वित्त से संबंधित विषय शामिल है। प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री ने राज्य को पूर्व में दिये गये स्पेशल पैकेज को रिस्टोर करने का आश्वासन दिया है, तथा राज्य को इस संबंध में जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई का भी आश्वासन दिया है। फंडिंग पैटर्न बदलने से राज्य को तुलनात्मक रूप से प्रतिवर्ष होने वाले 1700 करोड़ के नुकसान की भरपाई का भी अन्तरराज्जीय परिषद की बैठक में वित्त मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी राज्य के सांसदो का इसमें कोई योग दान नही है। जबकि उन्हें राज्य हित से जुडे़ विषयों पर अपने स्तर से पेरवी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में टैक्सटाईल पार्क, मिनि टैक्सटाईल पार्क राष्ट्रीय राजमार्गों व आन्तरिक राजमार्गों के प्रस्ताव को राज्य सरकार द्वारा लाइन अप किया गया था।
उन्होंने कहा कि राज्यहित में हमंे नकारात्मकता के बजाय सकारात्मक राजनीति की और ध्यान देना चाहिए। सांसदों को भी इससे संबंधित तथ्यों को उजागर करना चाहिए कि राज्य को कितना फायदा या नुकसान हो रहा है। पहले जो लोग 40 हजार करोड के फायदे की बात करते थे अब वे चुप है। पहले वे राज्य को हुए नुकसान को मानने को तैयार नही थे। हमारे सांसदों को राज्य के मामलों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कहना भी गलत है कि राज्य सरकार द्वारा समय पर केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन का वित्तीय उपयोग का उपयोगिता प्रमाण (यू.सी) समय पर नही भेजी जाती है। जबकि राज्य सरकार द्वारा सभी योजनाओं की यू.सी. समय पर केन्द्र को उपलब्ध करायी जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के मामलों में नकारात्मकता की धारणा नहीं बननी चाहिए। विकास के लिये किये जा रहे सामुहिक प्रयासों को भी नजरअदांज नहीं किया जाना चाहिए। हाल ही में राष्ट्रीय स्तर की संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट में राज्य के विकास से संबंधित सकारात्मक प्रगति के आकड़ों को गलत ठहराने का भी उन्होंने गैर जिम्मेदाराना व नकारात्मक राजनीति से प्रेरित बताया।
जीएसटी के संबंध में उन्होंने कहा कि इसके प्राविधानों का अध्ययन कर इस संबंध में निर्णय लिया जायेगा। अक्टूबर में विधानसभा का एक सत्र भी आयोजित किया जायेगा। उस समय इस पर भी निर्णय लिये जाने का प्रयास किया जायेगा।