देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का आखिरी दांव भी बेकार जाता दिख रहा है। यानि वह अपने बेटे रोहित शेखर तिवारी को सक्रिय राजनीति में स्थापित नहीं करा पाए, क्योंकि अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी ऐलान कर दिया है कि रोहित शेखर चुनाव नहीं लड़ेंगे। दरअसल, रोहित शेखर को चुनाव लडने के लिए जिन सीटों का विकल्प दिया गया, वहां से वह खुद चुनाव लडने को तैयार नहीं हैं। वह तो लालकुंआ सीट से चुनाव लडना चाहते थे, जहां पहले ही नवीन दुम्का को भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर रखा है।
लंबे समय तक कांग्रेस में राजनीतिक पारी खेलने वाले एनडी तिवारी अपने बेटे रोहित शेखर तिवारी को राजनीति में स्थापित कराने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर पहुंचे। जहां उनके बेटे रोहित ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। हालांकि एनडी तिवारी का अमित शाह के आवास पर जाने से ही संदेश चला गया कि अब वह भाजपा के साथ हैं। दरअसल, एनडी तिवारी भी भाजपा में ही शामिल हुए थे, लेकिन 91 वर्ष के एनडी तिवारी को भाजपा में शामिल कराने पर जो बवाल हुआ, उसे देख कर भाजपा शाम को ही बैक पफुट पर आ गई। कहा कि तिवारी सिर्फ अमित शाह को आशीर्वाद देने आए थे। सूत्रों की मानें तो भाजपा ने रोहित शेखर को हल्द्वानी और रामनगर सीट से प्रत्याशी बनाने की पेशकश की। रामनगर तो पूर्व में एनडी तिवारी का क्षेत्र रहा है। बताते हैं कि रोहित शेखर लालकुंआ से ही टिकट चाहते थे, क्योंकि वह पिछले कई महीनों से लालकुंआ से ही तैयारी कर रहे थे। भाजपा ने पहले ही यहां से नवीन दुम्का को प्रत्याशी घोषित कर दिया था और भाजपा प्रत्याशी बदलने को राजी नहीं हुई।
अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने साफ कर दिया है कि रोहित शेखर चुनाव नहीं लड़ेंगे। यानि भाजपा ने एनडी तिवारी के साथ होने का संदेश तो दे दिया, मगर एनडी तिवारी अपने बेटे रोहित शेखर को सक्रिय राजनीति में स्थापित कराने की ख्वाहिश पूरी नहीं कर सके। हालांकि भाजपा की छह सीटों पर अभी प्रत्याशियों की घोषणा होनी बाकी है, लेकिन अजय भट्ट के बयान के बाद इस बात की संभावना कम ही है कि इस सूची में कहीं रोहित शेखर का नाम होगा। यानि यूं कहा जाए कि एनडी तिवारी का आखिरी दांव अब बेकार जाता दिख रहा है। रोहित शेखर भाजपा में जाकर भी अपना मंसूबा पूरा करते नहीं दिख रहे हैं। अब देखना यह है कि तिवारी की विधानसभा चुनाव में भूमिका क्या रहेगी।
बीएचबीसी न्यूज।