देहरादून: न्यू-कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में मुख्यमंत्री हरीश रावत व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रेणुका रावत ने ’’खिलती कलियां-मुख्यमंत्री बाल पोषण अभियान’’ का शुभारम्भ किया। खिलती कलियां अभियान के अन्तर्गत जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा प्रदेश के अति-कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकेे पोषण स्तर में सुधार लाने हेतु लगातार माॅनिटरिंग की जाएगी। कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री श्री रावत व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रेणुका रावत ने चार बच्चों, 2 वर्ष 6 माह की सुमारला व 11 माह के आहिल, नमन व पलक को गोद लिया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस तरह की योजनाओं में सहभागिता जागृत समाज का परिचायक है। उन्होंने कहा कि यह शुरूआत केवल औपचारिक बन कर न रहे इसके लिए हम सभी का दायित्व है कि जिन बच्चों को गोद लिया गया है उनके बारे में लगातार जानकारी लेते रहें। समाज कल्याण विभाग व महिला व बाल विकास विभाग देहरादून से प्रारम्भ इस योजना को अभियान के रूप में पूरे प्रदेश में चलाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं के पोषण पर विशेष ध्यान दिया है और उनको दिए जाने वाले भोजन में मंडुआ, सोयाबीन, आयोडिनयुक्त नमक को शामिल कर पोष्टिकता का स्तर बढ़ाने का प्रयास किया है। खुशी की बात है कि प्रदेश में पिछले एक वर्ष में मातृत्व मृत्यु दर में 7 प्रतिशत की कमी आई है। इसमें और भी कमी किए जाने की आवश्यकता है। सीएम ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों में औद्योगिक संस्थानों को भी आगे आना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों व महिलाओं के लिए स्पेशल मेडिकल कैम्प आयोजित करे।
श्रीमती रेणुका रावत ने कहा कि ‘खिलती कलियां’ अभियान बच्चों में कुपोषण को दूर करने में सहायक होगा। अगर हम सभी 2-2 बच्चों को गोद लें तो बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने में बड़ा सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान से जुड़कर हम समाज के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में सक्षम होंगे। श्रीमती रावत ने कहा कि इस कार्यक्रम को और वृहद रूप देना होगा। योजना की सार्थकता तभी है जबकि गोद लिए गए बच्चों के पोषण, शिक्षा पर लगातार नजर रखी जाए।
प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत आई.सी.डी.एस कार्यक्रम में आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से छः वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण के उन्मूलन हेतु प्रयास किये जाते है। ‘‘खिलती कलियां अभियान’’ के अन्तर्गत जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों द्वारा कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने हेतु निरंतर अनुश्रवण किया जायेगा। इस अभियान का उद्देश्य कुपोषण उन्मूलन में सामूहिक दायित्व को प्रोत्साहित किया जाना है, ताकि कुपोषण के उन्मूलन हेतु समाज के सभी वर्गों में जागरूकता तथा उत्तरदायित्व का प्रसार किया जा सके। प्रदेश में लगभग 3700 अति कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए हैं। एक वर्ष में प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने का लक्ष्य लिया गया है। देहरादून से प्रारम्भ किए गए इस अभियान को सभी जिला मुख्यालयों, विकासखण्ड मुख्यालयों तक ले जाया जाएगा।