देहरादून: बाबासाहेब भीमराव रामजी अंबेडकर की जीवनी पर लिखी, लेखक शशि थरूर की पुस्तक ‘अंबेडकरः ए लाइफ’ का विमोचन हुआ। ‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ और श्रीसीमेंट के संयुक्त तत्वाधान में आईटीसी सोनार में आयोजित एक ‘किताब’ इवेंट में किताबों के शौकीन युवा और वयस्कों के अलावा ‘अहसास महिला’ और ‘फिक्की एफएलओ’ के सदस्यों ने भाग लिया।
इस मौके पर शशि थरूर ने कहा, डॉ. अंबेडकर की महानता को उनकी किसी एक उपलब्धियों से गिना नहीं जा सकता, क्योंकि सभी अलग-अलग रूप से असाधारण थे। थरूर ने इस दौरान अपने बहुआयामी व्यक्तित्व और जीवन के टर्निंग पॉइंट्स जैसे, ऐतिहासिक निर्णयों, सामाजिक बहिष्कार और कलंक, राजनीतिक झुकाव, अंतहीन संघर्षों और निश्चित रूप से उनके मजबूत व्यक्तित्व में गहरी अंतर्दृष्टि और उपाख्यानात्मक संदर्भों को साझा करते हुए अंबेडकर के शानदार जीवन का एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया।
‘अहसास महिला’ के ‘लखनऊ चौप्टर’ की ओर से माधुरी हलवासिया ने लेखक और संवादी श्री थरूर को दर्शकों से परिचित कराया, वहीं सुहेल सेठ ने थरूर की किताब क्यों हमे पढ़नी चाहिए, इसके महत्व को बताते हुए चर्चा को आगे बढ़ाया। यह निस्संदेह अंबेडकर पर बेहतरीन किताबों में से एक है।
सुहेल सेठ ने कहा, यह पुस्तक उस व्यक्ति को संदर्भित करता है, जिसे हमने भारतीय संविधान बनाने का श्रेय दिया है। दूसरा, यह पुस्तक उनके रूपरेखा की व्याख्या करता है। यह उस विशाल बौद्धिक संघर्ष को संदर्भित करता है, जहां डॉ. अंबेडकर को अपने समकालीन लोगों के साथ उलझना पड़ा था।
शशि थरूर ने बताया कि आप इस बात को महसूस करते हैं कि बाबा साहब अंबेडकर के अलावा शायद कोई दूसरा भारतीय नहीं है, जिसकी देश भर में इनसे ज्यादा मूर्तियां हों। भारत में ऐसा कोई गांव नहीं है जहां अंबेडकर की मूर्ति या प्रतिमा न हो। इन परिस्थितियों में वे संभवत सर्वाधिक पूजनीय भारतीय हैं। वह ऐसे व्यक्ति भी हैं जिनका कद उनकी मृत्यु के बाद बढ़ा है।
पीकेएफ की कार्यकारी ट्रस्टी अनिंदिता चटर्जी ने कहा, एक फाउंडेशन के तौर पर हम लगातार साहित्य, संस्कृति और सामाजिक कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं। ‘किताब’ प्रभा खेतान फाउंडेशन का एक सिग्नेचर इवेंट है, जिसकी कल्पना संदीप भूतोरिया ने की है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां, लेखकों, कवियों, बुद्धिजीवियों और विचारकों को अपनी किताबें लॉन्च करने और अपने विचार साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।