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साहित्य, कला और संस्कृति से जोड़ने में पुस्तकों व डाक टिकटों की अहम भूमिका: कृष्ण कुमार यादव

देश-विदेश

अहमदाबाद में आयोजित हो रहे प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला (30 नवंबर-8 दिसंबर 2024) में जहाँ लोग पुस्तकों के माध्यम से ज्ञान अर्जित कर रहे हैं, वहीं डाक टिकटों के माध्यम से भी साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, अध्यात्म, विरासत, के विभिन्न पहलुओं से रूबरू हो रहे हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और नेशनल बुक ट्रस्ट एवं अहमदाबाद नगर निगम के तत्त्वावधान में आयोजित इस पुस्तक मेला में भारतीय डाक विभाग का स्टॉल भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि यह स्टॉल डाक टिकटों के संग्रहण और उनके महत्व के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है, जो ज्ञान और साहित्य के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार के डाक टिकट, विशेष आवरण, श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर आधारित खुशबूदार डाक टिकट सेट, खादी पोस्टकार्ड, वर्णमाला फिलेटली पुस्तकें, कॉफी मग, टी शर्ट सहित तमाम फिलेटलिक उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है। पुस्तक मेला भ्रमण के बाद लेटर बॉक्स के माध्यम से बच्चों द्वारा अपने अनुभवों को सहेजते हुए पत्र भेजने की सुविधा भी यहाँ उपलब्ध है। यह दृश्य बच्चों की रचनात्मकता और डाक सेवा के प्रति उनकी जिज्ञासा को दर्शाता है। पुस्तक मेले में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से भारत का संविधान लेते हुए सहित तमाम सेल्फी प्वाइंट भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु हैं ।

उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि पुस्तक मेला लोगों को साहित्य और संस्कृति से जोड़ने का एक मंच प्रदान करता है। वहीं, डाक विभाग अपनी प्रदर्शनी के माध्यम से एक अभिरुचि के रूप में डाक टिकटों और इनके अध्ययन के महत्व को उजागर कर रहा है। हर डाक टिकट के पीछे एक कहानी छुपी हुई है और इस कहानी से आज की युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत है। गुजरात की धरती पर जन्मे ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गाँधी जी ने अपने विचारों और कर्मों से पूरी दुनिया में प्रतिष्ठा हासिल की, यही कारण है कि दुनिया में सबसे ज्यादा देशों द्वारा डाक टिकट महात्मा गाँधी पर जारी हुए। श्री यादव ने इंगित किया कि डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। शिक्षा और डाक के रूप में भारत सरकार के दोनों ही विभाग शिक्षा और जानकारी फैलाने का सामूहिक प्रयास कर रहे हैं। यह आयोजन लोगों में ज्ञान की रुचि, उत्सुकता और साहित्यिक व शैक्षणिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

सहायक निदेशक श्री एम. एम. शेख ने बताया कि पुस्तक मेला में ‘माय स्टेम्प’ और ‘फिलेटेली डिपॉजिट एकाउंट’ की सुविधा भी उपलब्ध है। “माय स्टेम्प” सेवा के तहत, लोग अपनी फोटो, कोई खास दृश्य, या कोई विशेष डिजाइन को डाक टिकट पर छपवा सकते हैं। मात्र ₹300 के शुल्क में 12 डाक टिकटों की एक माय स्टेम्प शीट बनती है। विभिन्न राशियों, जन्मदिन, शुभ विवाह, सालगिरह, रिटायरमेंट जैसे तमाम यादगार पलों हेतु डाक टिकटों पर अपनी या परिजनों की तस्वीर लगवा सकते हैं। मात्र ₹ 200 में ‘फिलेटेली डिपॉजिट एकाउंट’ खुलवाकर घर बैठे रंग-बिरंगी डाक टिकटें और अन्य फिलेटलिक मदें प्राप्त कर सकते हैं। यह डाक टिकटों में अभिरुचि के लिए एक लाभकारी और मूल्यवर्धित निवेश का अवसर है। आगंतुक स्टॉल पर उपलब्ध डाक उत्पादों को काफी पसंद कर रहे हैं।

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