डेनमार्क के स्वास्थ्य मंत्री, मैग्नस ह्यूनिक ने केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह से भेंट की एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर चर्चा की।
मैग्नस ह्यूनिक ने डॉ. जितेंद्र सिंह को सूचित किया कि डेनमार्क का नोवो नॉर्डिस्क फाउंडेशन अस्थायी अस्पताल परियोजना की सफलता से प्रेरित होकर भारत में कार्यान्वयन के लिए 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की परियोजना तैयार कर रहा है। यह परियोजना कार्डियो-मेटाबोलिक रोगों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अनुसंधान-निर्देशित प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगी तथा यह कार्यक्रम प्रारंभिक चरण के मधुमेह और अन्य ऐसे सीएमडी रोगों के गैर-फार्मा प्रबंधन में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए एक स्थायी प्रणाली तैयार करेगा।
डेनमार्क के स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अपने भारतीय समकक्षों के साथ विशेष रूप से हरित सामरिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति की समीक्षा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत स्थित डेनिश दूतावास ने भारत में आपातकालीन अस्पतालों की सहायता करने के लिए नोवो नॉर्डिस्क फाउंडेशन की ओर से 01 करोड़ डेनिश क्रोनर (लगभग 12 करोड़ रुपये) का अनुदान दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे छह अस्पताल पहले से ही काम कर रहे हैं: इनमें पंजाब में दो और हरियाणा, नागालैंड और असम में एक-एक और मेघालय और नागालैंड में दो और निर्माणाधीन हैं। इन अस्पतालों की स्थापना बहुत ही कम समय में, नवीन सामग्रियों और प्रक्रियाओं के माध्यम से की गई और जिसमें स्टार्टअप भी शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ये अस्पताल भारतीय संगठनों सी-कैंप (सीएएमपी) बेंगलुरु और इन्वेस्ट इंडिया के सहयोग से राज्यों में स्थापित किए गए थे और यह पूरी कवायद विदेशी-केंद्र-राज्य-निजी सहयोग का एक उदाहरण है, जिसमें भारतीय स्टार्टअप और कॉर्पोरेट क्षेत्र भी शामिल हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत और डेनमार्क के गैर-सरकारी और निजी क्षेत्रों के बीच ऐसी साझेदारी हमारे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का संकेत है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि इस साल जनवरी में, भारत और डेनमार्क ने दिल्ली में आयोजित संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) समिति की बैठक के दौरान हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधन पर संयुक्त अनुसंधान और विकास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी।
संयुक्त समिति ने अपनी वर्चुअल बैठक में भविष्य के हरित समाधानों पर विशेष ध्यान देने के साथ दोनों देशों के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में राष्ट्रीय रणनीतिक प्राथमिकताओं और विकास-हरित अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में निवेश की रणनीति पर चर्चा की।
समिति ने मिशन-संचालित ऐसे अनुसंधान, नवाचार, और प्रौद्योगिकी विकास पर द्विपक्षीय सहयोग के विकास पर जोर दिया जिसे दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप – कार्य योजना 2020-2025 को अपनाते हुए सहमति व्यक्त की थी और जिसमें जलवायु और हरित संक्रमण, ऊर्जा, पानी, अपशिष्ट, भोजन, आदि शामिल हैं। वे साझेदारी के विकास के लिए 3-4 वेबिनार आयोजित करने पर सहमत हुए और ग्रीन हाइड्रोजन सहित हरित ईंधन में प्रस्तावों के लिए आमन्त्रण को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
संयुक्त समिति ने ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही पिछली दो संयुक्त वार्ताओं, साइबर-भौतिक प्रणाली और जैव संसाधन और माध्यमिक कृषि पर चल रही परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की।