देहरादून: वन एवं वन्यजीव, खेल, विधि एवं न्याय मंत्री उत्तराखण्ड सरकार दिनेश अग्रवाल ने मंथन सभागार में प्रेस वार्ता कर ईको-टूरिज्म के गठन तथा ईकों विंग द्वारा राज्य में कराये जा रहे कार्याें की जानकारी दी।
मा वन मंत्री ने कहा कि ईकोटूरिज्म प्राकृतिक क्षेत्रों की ऐसी उत्तरदायी यात्रा है जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदाय की सम्मानपूर्ण सहभागिता पर आधारित हो एवं उनके हितों की रक्षा करती हो। उन्होने ईकोटूज्मि की उपलब्धियों के बारे बताते हुए कहा कि वन विभाग द्वारा 63 वन विश्राम भवनों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है तथा उत्तराखण्ड ईकोटूरिज्म काॅपोरेशन लि0 की स्थापना की जा चुकी है, कार्पोरेशन का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक पर्यटन (नेचर टूरिज्म) गतिविधियों को संचालित करना , साहसिक पर्यटन गतिविधियों को संचालित करना, पर्यटकों को टैªकिंग, कैम्पिंग, राॅक क्लाइमिंग, राफ्टिंग, रोप वे बैलून आदि हवाई सैर को संचालित करना तथा पर्यटकों को प्राकृतिक पर्यटन हेतु आरक्षण की सुविधा सुगम करना आदि है। उन्होने बताया इसी माह 20 नवम्बर से 25 नवम्बर 2016 के मध्य फारेस्ट साईक्लिंग राइड आसारोड़ी से कड़वापानी तक आयोजित की जायेगी।
उन्होने बताया कि विभाग द्वारा इस वर्ष राजपुर नेचर फेस्टिवल का आयोजन क्रिश्चियन रिट्रीट एण्ड स्टडी सेन्टर राजपुर में 5 से 7 नवम्बर 2016 तक नेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें फेस्टिवल में हेरिटेज वाॅक, बर्ड वाॅचिंग, नेचर टेªल्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेन्टिंग प्रतियोगिता, फिल्म स्क्रीनिंग, फोटोग्राफी प्रदर्शनी आदि जायोजित की जायेगी उन्होन बताया कि अब-तक तीन बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जा चुका है। उन्होने बताया कि विभाग द्वारा कार्मिकों तथा ग्रामीणों को हाउस कीपिंग, कुकिंग व नेचर गाइड का प्रशिक्षण दिया गया, हाउस कीपिंग व कुकिंग का प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्थान इन्स्टीट्यूट आॅफ होटेल मैनेजमेंट द्वारा दिया जाता है तथा अब-तक हाउस कीपिंग व कुकिंग के 14 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में 359 ग्रामीणों व कार्मिकों को प्रशिक्षित किया गया। नेचर गाईड व बर्ड वाॅचिंग के 35 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं, जिनमें 864 प्रतिभागी को प्रशिक्षित किये गये।
उन्होने बताया कि प्रदेश में 30 ईकोटूरिज्म सर्किटस (कुमाऊ एवं गढवाल में 15-15 सर्किट्स) चिन्हित किये गये हैं। इन सर्किट्स के अन्दर चयनित ग्रामों में ईकोटूरिज्म गतिविधियां संचालित व विकसित की जायेगीं तथा इन क्षेत्रों के ग्रामीणों को ईकोटूरिज्म से जोड़ा जायेगा तथा स्थानीय ग्रामीणों को दक्षता विकास कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा। उन्होने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत चियनित ग्रामीणों को होम स्टे, टूरिस्अ लाॅज, लाॅग हट्स, मड हाउस आदि आवासीय व्यवस्था विकसित करने हेतु तकनीकि सहयोग व वर्षा जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबन्धन, शौचालय, स्नान गृह आदि में तकनीकि एवं आर्थिक सहयोग प्रदान किया जायेगा तथा स्थानीय उत्पादों एवं हस्तशिल्प की बिक्री को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।
उन्होने बताया कि प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जीव अभ्यारण्यों के साथ-2 राज्य में वन्यजीव पर्यटन से सम्बन्धित गतिविधियां विकसित की जा रही हैं, जिसमें प्रदेश की प्रथम लेपर्ड सफारी (हरिद्वार वन प्रभाग), प्रदेश की प्रथम टाइगर सफारी (कार्बेट नेशनल पार्क), सोनी वन विश्राम भवन (अल्मोड़ा वन प्रभाग) परिसर नन्धौर में नेचर कैम्प व माउन्टेन बाइकिंग, मर्चुला में रामगंगा नदी में रेपाटइल पार्क, मालसी डियर पार्क देहरादून में मिनी जू में उच्चीकृत करना। उन्होने बताया कि वन विश्राम भवनों में आनलाईन आरक्षण किया जा सकता है जिनमें वन विश्राम भवन खिर्सू, धनोल्टी, रामपुर मण्डी, फान्टो, महेशखान, विरही। इसके अतिरिक्त विभाग के 57 वन विश्राम भवनों से सम्बन्धित जानकारी विभागीय वेबसाईट वितमेजण्नाण्हवअण्पद पर उपलब्ध है।
उन्होने बताया कि प्रदेश में 273 टेªक रूट्स चिन्हित है जिनमें 242 गढवाल क्षेत्र तथा 31 कुमाऊ क्षेत्र में स्थित है। राज्य टेªकिंग गतिविधि को ईकोटूरिज्म काॅरपोरेशन द्वारा प्रोत्साहित किया जायेगा। इस कार्य में नेहरू इन्स्टीट्यूट आफ माउन्टेनियरिंग (एन.आई.एम), उत्तरकाशी से भी सहयोग किया जायेगा। उन्होने बताया कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की योजना ‘स्वदेश दर्शन’ के अन्तर्गत प्रदेश के वन विश्राम भवनों के जीर्णोद्धार हेतु एक वृहद योजना बनाई जा रही है। उन्होने बताया कि प्रदेश की ईकोटूरिज्म पाॅलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है जिसे शीघ्र ही अधिसूचित किया जायेगा। इस नीति का ध्येय प्रकृति आधारित पर्यटन के प्रभावों को न्यून करना तथा स्थानीय समुदायों की आजीविका के अवसरों में वृद्धि करना है।
उन्होने कहा कि पदे्रश में बन्दरो से निजात दिलाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं वर्तमान में मैदानी क्षेत्रों मंे अभियान चलाकर बन्दरों को पकड़ने का कार्य किया जा रहा है तथा पर्वतीय क्षेत्रों में अभी भी बन्दरों का आंतक है जिनके द्वारा किसानों की फसलों को काफी नुकसान उठाना पड रहा है। उन्होने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये है कि पर्वतीय क्षेत्रों में बन्दर को पकड़ने हेतु टीम भेज कर बन्दरों के आतंक से नि जात दिलाने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि वन विभाग द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार उत्तराखण्ड प्रदेश में लगभग एक लाख पचास हजार बन्दर है, जिन्हे पकड़ने हेतु प्रयास किये जा रहे हैतथा अब तक 7000 बन्दरों को पकडा जा चुके है।
इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।