नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने इस बार अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बड़ी वृद्धि की है। 2017-18 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ा कर 4195.48 करोड़ रूपए कर दिया गया है। यह पिछले बजट के 3827.25 करोड़ रूपए के मुकाबले 368.23 करोड़ रूपए यानी 9.6 प्रतिशत अधिक है। श्री नकवी ने कहा कि बजट में बढ़ोतरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण में मदद मिलेगी।
श्री नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों को बेहतर शिक्षा देने के साथ ही उनके कौशल विकास पर भी जोर दे रही है, ताकि अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मुहैया कराये जा सके। श्री नकवी ने कहा कि इस बार के बजट में से 2600 करोड़ रूपए से ज्यादा विभिन्न स्कालरशिप, फ़ेलोशिप और कौशल विकास की योजनाओं जैसे “सीखो और कमाओ”, “नई मंजिल”,”नई रौशनी”, “उस्ताद”, “गरीब नवाज़ कौशल विकास केंद्र”, “बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप” पर खर्च किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) के तहत भी शैक्षिक विकास की गतिविधियों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर धन खर्च किया जायेगा।
मेरिट-कम-मीन्स स्कालरशिप पर 393.5 करोड़ रूपए, प्री-मेट्रिक स्कालरशिप पर 950 करोड़ रूपए, पोस्ट-मेट्रिक स्कालरशिप पर 550 करोड़ रूपए, “सीखो और कमाओ” पर पिछले साल के मुकाबले 40 करोड़ रूपए की वृद्धि के साथ 250 करोड़ रूपए, “नई मंज़िल” पर 56 करोड़ रूपए की वृद्धि के साथ 176 करोड़ रूपए, मौलाना आज़ाद फ़ेलोशिप स्कीम पर 100 करोड़ रूपए खर्च किये जाने का प्रावधान है। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के लिए 113 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के हुनर को बढ़ावा देने, उन्हें देश-विदेश के बाजार मुहैय्या कराने के लिए “उस्ताद” योजना के तहत 22 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा “प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम” (MsDP) के लिए पिछले बार से 141 करोड़ रूपए अधिक बढ़ाकर इस बार के बजट में 1200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। एमएसडीपी का उद्देश्य अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में आधारभूत सुविधाएँ जैसे स्कूल, अस्पताल, सड़क, “सद्भाव मंडप” आदि इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना है।
श्री नकवी ने कहा कि 2017-18 में 35 लाख से ज्यादा छात्रों को विभिन्न स्कॉलरशिप दी जाएगी। इसके अलावा 2 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार परक ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक विकास और सशक्तिकरण में माननीय प्रधानमंत्री का नया 15-सूत्रीय कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस योजना में 11 मंत्रालयों और विभागों की 24 योजनाएं शामिल हैं। विभिन्न मंत्रालय अपने फण्ड का लगभग 15 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के विकास पर खर्च कर रहे हैं। बजट 2017-18 में इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा खर्च किये जाने वाले बजट में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
श्री नकवी ने कहा कि पिछले बजट में घोषित 3827 करोड़ में से लगभग 2800 करोड़ रूपए स्कालरशिप, ट्रेनिंग सहित अन्य शैक्षिक गतिविधियों के लिए खर्च किये गए। इनमे 1816 करोड़ रूपए की छात्रवृतियां शामिल हैं। पिछले वर्ष लगभग 90 हजार अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं को “सीखो और कमाओ” के तहत प्रशिक्षण दिया गया।
लगभग 70 हजार महिलाओं को “नई रौशनी” के तहत ट्रेनिंग दी गई। इसके अलावा एमएसडीपी के तहत 650 करोड़ रूपए शैक्षिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर खर्च किये गए हैं।
पिछले 6 महीनों में लगभग 262 करोड़ की लागत से लगभग 200 “सद्भाव मंडप” और 16 “गुरुकुल” प्रकार के आवासीय स्कूलों को स्वीकृति दी गई है। “सद्भाव मंडप” विभिन्न प्रकार के सामाजिक-शैक्षिक-सांस्कृतिक एवं कौशल विकास की गतिविधियों का संपूर्ण केंद्र होंगे साथ ही यह किसी आपदा के समय राहत केंद्र के रूप में भी इस्तेमाल किये जा सकेंगे। इसके अलावा अभी तक हमने 16 “गुरुकुल” प्रकार के स्कूलों को स्वीकृति दी है जिनमे तेलंगाना में 7, आंध्र प्रदेश में 6, कर्नाटक में 2 और झारखण्ड में 1 आवासीय स्कूल शामिल हैं। साथ ही हम जो मदरसें मुख्यधारा की शिक्षा भी दे रहे हैं उन्हें भी मदद दे रहे हैं।
अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे हमारे प्रयासों में “प्रोग्रेस पंचायत”, “हुनर हाट”, “गुरुकुल जैसे स्कूलों की स्थापना, “गरीब नवाज़ स्किल डेवलपमेंट सेंटर शुरू करना, छात्राओं के लिए “बेगम हजरत महल स्कालरशिप”, अल्पसंख्यकों के लिए 5 विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान स्थापित करना एवं 500 से ज्यादा उच्च शैक्षिक मानकों से भरपूर आवासीय विद्यालय एवं रोजगार परक कौशल विकास केंद्र शामिल हैं। इसके अलावा 12वी पांच वर्षीय योजना में एमएसडीपी में विभिन्न राज्यों को लगभग 5300 करोड़ रूपए स्वीकृत किये गए।
“हुनर हाट”:
श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के कारीगरों/शिल्पकारों के हुनर को हौसला देने और उन्हें देश-विदेश के मार्किट मुहैय्या कराने के लिए दूसरे “हुनर हाट” का आयोजन 11 से 26 फरवरी, 2017 के बीच स्टेट इम्पोरिया कांपलेक्स, बाबा खड़क सिंह मार्ग, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में किया जायेगा। “शिल्प और पाक कला का संगम” थीम पर आधारित इस “हुनर हाट” की खासियत देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए शिल्प और पारंपरिक व्यंजन होंगे।
श्री नकवी ने कहा कि इस प्रदर्शनी का आयोजन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की उस्ताद (विकास के लिए पारंपरिक कला/शिल्प कौशल में प्रशिक्षण का उन्नयन) योजना के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) के माध्यम से किया जा रहा है। “शिल्प और पाक कला का संगम”का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के दस्तकारों/खानसामों की बेजोड़ कलाकृतियों तथा लजीज व्यंजनों की विरासत की प्रदर्शनी, प्रोत्साहन एवं बिक्री से, उनके हुनर को हौसला देना है।
इस “हुनर हाट” के लिए लगभग 24 राज्यों के दस्तकारों और व्यंजन विशेषज्ञों से लगभग 550 आवेदन प्राप्त हुए। श्री नकवी ने कहा कि 100 कारीगर/शिल्पकार और 30 बावर्ची अपने हुनर को लोगों के सामने रखेंगे। इस “हुनर हाट” में कुल 130 स्टाल लगाए जायेंगे। इस “हुनर हाट” में कला और शिल्प के साथ-साथ देश के विभिन्न व्यंजनों का “बावर्चीखाना” भी होगा।
इस प्रदर्शनी में पहली बार हस्तशिल्प और हथकरघा के बेजोड़ नमूनों जैसे मकराना संगमरमर के उत्पाद, सीकर से बंधेज, राजस्थान से मोजरी, तेलंगाना से बंजारा कढ़ाई, अलीगढ़ से हाथ से बने ताले और डोर हैंडल, नागालैंड के कोकून डेकोरेटिव प्रोडक्ट और मिजोरम के पारंपरिक शिल्प को प्रदर्शित किया जायेगा। 13 राज्यों के व्यंजन विशेषज्ञों द्वारा तरह-तरह के लजीज व्यंजनों को लाया जा रहा है। इन व्यंजनों में लखनऊ का अवधी मुगलई, राजस्थान से दाल बाटी चूरमा एवं थाली, पश्चिम बंगाल से संदेश एवं रसगुल्ला, केरल से मालाबारी फूड, बिहार का लिट्टी चोखा आदि शामिल हैं।
श्री नकवी ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि पिछले साल नवम्बर में प्रगति मैदान में लगाए गए पहले “हुनर हाट” की तरह ही इस बार बाबा खड़क सिंह मार्ग, कनॉट प्लेस पर लग रहे “हुनर हाट” को भी कामयाबी मिलेगी।