लखनऊ: आयुष, अभाव सहायता एवं पुनर्वास, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 धर्म सिंह सैनी ने उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ के प्रागंण में आज 90 राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर डा0 सिंह सैनी ने कहा कि आयुष डाक्टरों की सेवानिवृत्ति 62 वर्ष की आयु के स्थान पर 65 वर्ष करने की शीघ्र ही पहल की जा रही है, जिससे कि सेवानिवृत्त होने वाले डाक्टरों को यह लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार की कोशिश है कि आयुष जैसी विधा जन-जन तक पहुँचे और लोगों का इस पर विश्वास बढ़ सके क्योंकि आयुष पद्धति का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों के उच्चीकरण के साथ ही उपकरणों की कमी को दूर कर दिया गया है ताकि उपकरण पूरे होने से मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की बाधायें न आ सके। प्रदेश में होम्योपैथिक के 1575 चिकित्सालय, यूनानी के 254 और आयुर्वेद के 2104 चिकित्सालय हैं। इन चिकित्सालयों में जो कमियां है उसे भी दूर करने की कवायद चल रही है। उन्होंने कहा कि उन्नाव-10, ललितपुर-12, रायबरेली-01, बाराबंकी-13, हरदोई-21, सीतापुर-10, फतेहपुर-04, कानपुर नगर-05, प्रतापगढ़-06, संतकबीरनगर-06 और गोण्डा जनपदों में 02 राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों के उच्चीकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है।
आयुष राज्य मंत्री डाॅ0 धर्म सिंह सैनी ने कहा कि आयुष दवाओं की कमी को दूर करने के लिए प्रति चिकित्सालय 2 लाख से बढ़ाकर रु0 5 लाख किया जाने का प्रयास किया जा रहा है एवं आयुष मेडिकल काॅलेजों की प्रति ओ0पी0डी0 में औषधियों हेतु से रु0 2 लाख की मांग आयुष मंत्री भारत सरकार से की गयी है। इस मांग को जल्द ही पूरा करने का आश्वासन दिया गया है। इसके साथ-साथ चिकित्सकों की भर्ती शीघ्र से शीघ्र की जायेगी। उन्होंने कहा कि आयुष डाक्टर एवं स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए आयुष विभाग कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान राज्य में 7 करोड़ जनता के सापेक्ष 5,000 आयुष चिकित्सालय हैं जबकि उ0प्र0 में 23 करोड़ आबादी के सापेक्ष लगभग 4,000 आयुष चिकित्सालय हैं जो कि बहुत कम है। मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक आयुष चिकित्सालयों की संख्या बढ़ायी जाय जिससे प्रदेश की जनता को आयुष विधा का लाभ मिल सके।
सचिव, आयुष विभाग, श्री जयन्त नार्लिंकर ने कहा कि हमारी कार्य प्रणाली लीन, क्लीन, ग्रीन की तरह होनी चाहिए। इसकी पहल आयुष मिशन से करते हुए कहा कि लीन का अर्थ यह है कि निर्णय का स्तर दो-तीन क्रम तक ही होना चाहिए ताकि कार्यों को शीघ्रतम निष्पादित किया जा सके एवं क्लीन केवल स्वच्छता का प्रतीक ही नहीं बल्कि हमारे कार्यों में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता होनी चाहिए। ग्रीन से तात्पर्य हमारे आस-पास का माहौल हरा-भरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ द्वारा राजकीय आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक चिकित्सालयों के उच्चीकरण करने के लिए रु0 20.0 लाख मंजूर किये गये थे। इसमें रु0 15 लाख निर्माण कार्य, रु0 5 लाख उपकरण एवं रु0 10 हजार अन्य व्यवस्थाओं के लिए निर्धारित किये गये थे। पहले चरण में 232 राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों के उच्चीकरण का कार्य किया जा रहा है, जिसमें से 90 राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, शेष बचे चिकित्सालयों के उच्चीकरण का कार्य प्रगति पर है। इसका सुदृढ़ीकरण होने से मरीजों का चिकित्सालयों के प्रति आर्कषण बढ़ सकेगा, ताकि मरीजों को अच्छे वातावरण में बेहतर इलाज मिल सके।
इस कार्यक्रम के संचालक आयुष मिशन के कार्यक्रम प्रबंधक, श्री अरविन्द ने बताया कि उ0प्र0 के मरीज आयुष विधा से ज्यादा इलाज करवायें और निरोग रहें इसके लिए आयुष विभाग लगातार कार्य कर रहा है। इसी क्रम में आयुष मिशन द्वारा होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, यूनानी चिकित्सालयों का लागातार उच्चीकरण कराया जा रहा है। अभी भी कई चिकित्सालयों के उच्चीकरण का कार्य चल रहा है जो कि कार्यदायी संस्था अपने निर्धारित समय में पूरा करने की कोशिश कर रही है।
इस मौके पर विशेष सचिव यतीन्द्र मोहन, मिशन निदेशक, उ0प्र0 राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ श्री आर0एन0 बाजपेई, आयुष मिशन के वित्त प्रबंधक, श्री जे0पी0 सिंह, आयुर्वेद निदेशक, डाॅ0 एस0एन0 सिंह, यूनानी निदेशक, मो0 सिकन्दर हयात सिद्दकी, होम्योपैथी निदेशक, डाॅ0 वी0के0 विमल, डाॅ0 राजेश वर्मा, डाॅ0 अवधेश द्विवेदी, डाॅ0 बृजेश गुप्ता, डाॅ0 अब्दुल वहीद अंसारी, डाॅ0 सुनील कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।