नई दिल्ली: बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव एशियन सिनेमा, चयन समिति के प्रोग्रामर, यंग वू किम ने आज भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव 2015 में मीडिया के साथ बातचीत की। यंग वू किम ने कहा कि वृत्त चित्रों और लघु फिल्मों सहित भारतीय फिल्में हर साल बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में दिखाई जा रही हैं। ‘3-इडियट्स’ और ‘माइ नेम इज़ खान’ दर्शकों में बहुत लोकप्रिय रही थी। उन्होंने कहा कि भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं और फिल्मों के लिए प्रत्येक भाषा का एक बाजार है। फिल्मोत्सव में फिल्मों के चयन के मानदण्ड के बारे में पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पहले कोई फिल्म पसन्द की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि बुसान फिल्मोत्सव युवा फिल्म निर्माताओं को अवसर प्रदान करता है।
फिल्मोत्सव और बिक्री की प्रमुख, हेरीटिक आउटरीच, सुश्री आयोनास्टेस ने भी मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि फिल्मों की सफलता और बिक्री के लिए फिल्मों का विपणन बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि फिल्मों को पूरा करने से पूर्व उसकी रणनीति अग्रिम रूप से बनाए जाने की जरूरत है और फिल्म निर्माताओं को वितरकों के साथ अग्रिम रूप से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव फिल्मों के विपणन के लिए अच्छा मंच प्रदान करते हैं। भारतीय फिल्मों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्म निर्माताओं को ऐसे प्रयास करने चाहिए जिनसे उनकी फिल्मों के बारे में लोग अग्रिम रूप से जान सके। फिल्मों के सह-उत्पादन के प्रश्न का जवाब देते हुए सुश्री आयोनास्टेस कहा कि सह-उत्पादन बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन छोटे बजट के भारतीय फिल्म निर्माताओं को जो सह-उत्पादन नहीं करते हैं उन्हें अपनी फिल्म के विपणन की रणनीति पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। जब तक फिल्म अच्छी है यह मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं रहता है कि जब फिल्म एक व्यक्तिगत फिल्म है या कोई सह-उत्पादन है।