नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आगामी गन्ना सत्र 2018-19 के लिए बी भारी शीरा/आंशिक गन्ना रस से बने इथनॉल की कीमत में संशोधन/निर्धारण तथा 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल की ऊंची कीमत तय करने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी इथनॉल आपूर्ति वर्ष 1 दिसंबर, 2018 से 30 नवंबर, 2019 के लिए इस प्रकार है-
- बी भारी शीरा/आंशिक गन्ना रस से निकाले गए इथनॉल की मिल कीमत 52.43 रुपये प्रति लीटर निर्धारित (वर्तमान मूल्य 47.13 रुपये प्रति लीटर)करना।
- इथनॉल उत्पादन के लिए 100 प्रतिशत गन्ना रस देने वाली और चीनी बनाने का कार्य नहीं करने वाली मिलों के लिए 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल का मिल मूल्य 59.13 रुपये प्रति लीटर (वर्तमान मूल्य 47.13 रूपये प्रति लीटर) तय करना। इसके अतिरिक्त जीएसटी तथा परिवहन शुल्क देय होंगे। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को वास्ताविक परिवहन शुल्क निर्धारित करने की सलाह दी गई है ताकि लंबी दूरी का इथनॉल का परिवहन कार्य हतोत्साहित न हो।
- ओएमसी को (1) 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल (2) बी भारी शीरा/आंशिक गन्ना रस (3) सी भारी शीरा तथा (4) क्षतिग्रस्त अनाज/अन्य स्रोत को क्रमानुसार प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है।
प्रभावः
- इस निर्णय से विभिन्न कार्यों के लिए गन्ने की अधिक खपत में कमी आएगी, किसानों के बकाया गन्ना मूल्य चुकाने के लिए मिलों की तरलता बढ़ेगी और इथनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम क लिए अधिक इथनॉल उपलब्ध होगा।
- सभी डिस्टिलरी योजना का लाभ उठा सकेंगी और बड़ी संख्या में डिस्टिलरी ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथनॉल आपूर्ति करेंगी। इथनॉल आपूर्तिकर्ताओं को समर्थन मिलने से गन्ना किसानों के बकाये में कमी आएगी और इस प्रक्रिया में गन्ना किसानों की कठिनाईयां कम होंगी।
- बी भारी शीरा/आंशिक गन्ना रस तथ 100 प्रतिशत गन्ना रस से तैयार इथनॉल की खरीद के लिए ऊंचे मूल्य पेश किए जाने के कारण ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथनॉल की उपलब्धता पहली बार बढ़ेगी।
- पेट्रोल में इथनॉल मिलाने के अनेक लाभ हैं। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी, कृषि क्षेत्र को समर्थन मिलेगा, पर्यावरण अनुकूल ईंधन उपलब्ध होगा, प्रदूषण में कमी आएगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
पृष्ठभूमिः
सरकार ने पायलट आधार पर 2003 में इथनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम लांच किया था जिसे बाद में अधिसूचित 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों तक बढ़ाया गया ताकि वैकल्पिक तथा पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सके। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता में कमी लाना और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
सरकार ने 2014 से इथनॉल के प्राशसिक मूल्य को अधिसूचित किया है। इस निर्णय से पिछले चार वर्षों में इथनॉल की आपूर्ति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर इथनॉल की खरीद की गई। यह खरीद 2017-18 में 140 करोड़ लीटर हो गई।
निरंतर रूप से गन्ने का अधिक उत्पादन होने के कारण गन्ने का भाव कम हो रहा है। परिणामस्वरूप गन्ना किसानों की बकाया राशि बढ़ रही है क्योंकि गन्ना किसानों को भुगतान करने की क्षमता उपयोग में कम है। सरकार ने गन्ना किसानों की बकाया राशि में कमी लाने के लिए अनेक निर्णय लिए हैं।
देश में गन्ना उत्पादन सीमित करने के उद्देश्य से सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। इनमें इथनॉल उत्पादन के लिए बी भारी शीरा/गन्ना रस लगाने की अनुमति शामिल हैं। पहले के अनुमानित मूल्य से गन्ने का मिल मूल्य बढ़ने के कारण बी भारी शीरा/आंशिक गन्ना रस तथा 100 प्रतिशत गन्ना रस के मूल्यों में संशोधन की आवश्यकता है।
यह ध्यान देने की बात है कि सी भारी शीरा से तैयार इथनॉल की तुलना में बी भारी शीरे को अपनाने गन्ने में 20 प्रतिशत की कमी आती है और लगभग 100 प्रतिशत इथनॉल उपलब्धता बढ़ती है। दूसरी ओर गन्ना रस से तैयार इथनॉल से गन्ने में 100 प्रतिशत की कमी आती है और लगभग 600 प्रतिशत इथनॉल उपलब्धता बढ़ती है।