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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

उ0प्र0 असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा नियमावली, 2016 मंजूर

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है।

इस नियमावली के प्रख्यापन से असंगठित कर्मकारों को केन्द्र सरकार की अधिसूचित 10 योजनाओं के साथ भविष्य में विभिन्न अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ सुलभ हो सकेगा। इसी प्रकार इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा भी अधिसूचित की जाने वाली भावी योजनाओं का लाभ भी सुलभ होगा।

प्रदेश में असंगठित कर्मकारों की संख्या लगभग 4.5 करोड़ है। इस नियमावली के प्रख्यापन से इन असंगठित कर्मकारों को केन्द्र की वर्तमान अधिसूचित योजनाओं जैसे, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन स्कीम, राष्ट्रीय कुटुम्ब फायदा स्कीम, जननी सुरक्षा योजना, हथकरघा बुनकर समग्र कल्याण स्कीम, हस्तशिल्प कारीगर समग्र कल्याण स्कीम, मास्टर क्राफ्ट व्यक्तियों के लिए पेंशन योजना, मछुआरों के कल्याण और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्कीम तथा उनका विस्तार, जनश्री बीमा योजना, आम आदमी बीमा योजना एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा तथा समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की जाने वाली अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा।

ज्ञातव्य है कि असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 एक केन्द्रीय अधिनियम है जो 16 मई, 2009 से पूरे प्रदेश में प्रभावी है। अधिनियम की धारा 14 की उपधारा 1 के तहत उ0प्र0 असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा नियमावली, 2016 को प्रख्यापित करके इस अधिनियम को प्रदेश में लागू किया जा रहा है।

उ0प्र0 राज्य ऊर्जा संरक्षण निधि नियमावली, 2016 मंजूर

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य ऊर्जा संरक्षण निधि नियमावली, 2016 के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। उ0प्र0 राज्य ऊर्जा संरक्षण, निधि उत्तर प्रदेश राज्य अभिहित अभिकरण द्वारा प्रशासित होगी।

ऊर्जा संरक्षण निधि नियमावली, 2016 के अन्तर्गत ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा के कार्यकुशल उपयोग के सम्बन्ध में वैयक्तिक उपभोक्ताओं, उद्योगों, वाणिज्यिक, संगठनों, छात्रों, कृषकों आदि को सूचना प्रसारित करने के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों हेतु राज्य अभिहित अभिकरण के माध्यम से व्यय उपगत किए जाएंगे।

ऊर्जा के कार्यकुशल उपयोग एवं उसके संरक्षण के लिए कार्मिकों और विशेषज्ञों के प्रशिक्षण हेतु राज्य अभिहित अभिकरण द्वारा उपगत व्यय की पूर्ति की जाएगी। उपस्करों और उपकरणों के ऊर्जा उपभोग के प्रमाणीकरण और या सत्यापन सम्बन्धी परीक्षण के लिए परीक्षण सुविधाएं सृजित करने में परीक्षण और प्रमाणीकरण प्रक्रिया विकसित की जाएगी। ऊर्जा कार्यकुशलता केन्द्र और केन्द्र सरकार की परियोजनाओं में प्रोत्साहन हेतु और उसमें अंशदान करने के लिए ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा कार्यकुशलता से सम्बन्धित निदर्शन, परियोजनाओं को विकसित करना तथा निष्पादित करने का भी कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश में क्रियान्वित किए गए केन्द्रीय रूप से प्रायोजित योजनाओं और ऊर्जा कार्यकुशलता केन्द्र की योजनाओं के समरूप अनुदान की पूर्ति भी की जाएगी।

ऊर्जा संरक्षण निधि को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय संचालन समिति गठित होगी, जिसकी बैठक प्रत्येक 03 माह में कम से कम एक बार आयोजित की जाएगी। यह समिति अभिकरण द्वारा कार्यान्वित किए गए क्रिया-कलापों की प्रगति की समीक्षा एवं अनुश्रवण करेगी।

फिल्म, टेलीविजन एवं लिबरल आटर््स संस्थान की स्थापना सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर

मंत्रिपरिषद ने लखनऊ में स्वायत्तशासी संस्था के रूप में एक फिल्म, टेलीविजन एवं लिबरल आटर््स संस्थान की स्थापना किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। वर्तमान में मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग विश्व के तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों में से एक है। अतः प्रदेश में फिल्म निर्माण तथा अभिनय की प्रतिभाओं के विकास हेतु एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में फिल्म, टेलीविजन एवं लिबरल आटर््स संस्थान की स्थापना की जाएगी, जिसका प्रशासकीय विभाग सूचना विभाग होगा।

फिल्म, टेलीविजन एवं लिबरल आटर््स संस्थान 04 चरणों में विकसित किया जाएगा। प्रथम चरण के अन्तर्गत राज्य शैक्षिक तकनीकी संस्थान, निशातगंज, लखनऊ के भवन/परिसर में दिसम्बर, 2016 से शिक्षण कार्य का प्रारम्भ एवं इसी अवसर पर शहीद पथ पर स्थित लखनऊ हाट के समीप पूर्णकालिक कैम्पस का शिलान्यास किया जाना प्रस्तावित है। इस संस्थान को मान्यता हेतु लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से सम्बद्ध किया जाएगा। इस संस्थान की स्थापना हेतु 5 करोड़ रुपए का प्राविधान कर दिया गया है। भविष्य में यथाआवश्यकता प्रस्तावित संस्थान की स्थापना आदि के सम्बन्ध में संशोधन हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का निर्णय लिया गया है।

सार्वजनिक, निजी एवं सहकारी क्षेत्र की नई आवासीय योजनाओं में दुर्बल एवं अल्प आय वर्गों के लिए आवासीय सुविधा सम्बन्धी नीति में संशोधन

मंत्रिपरिषद ने सार्वजनिक, निजी एवं सहकारी क्षेत्र की नई आवासीय योजनाओं में आर्थिक दृष्टि से दुर्बल एवं अल्प आय वर्गों के व्यक्तियों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने सम्बन्धी नीति में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव के अनुसार ई0डब्ल्यू0एस0 तथा एल0आई0जी0 के परिवारों की वार्षिक आय का पुनरीक्षण किया गया है। अब पूर्व में निर्धारित वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर ई0डब्ल्यू0एस0 आय वर्ग हेतु 3 लाख रुपए एवं एल0आई0जी0 आय वर्ग हेतु 3 लाख रुपए से अधिक एवं 6 लाख रुपए तक निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार ई0डब्ल्यू0एस0 तथा एल0आई0जी0 परिवारों की वार्षिक आय व भवनों की सीलिंग काॅस्ट पुनरीक्षित होने के फलस्वरूप तथा इन आय वर्गों के परिवारों की आवश्यकताओं के अनुरूप निवास योग्य समुचित तल क्षेत्रफल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ई0डब्ल्यू0एस0 के लिए बिल्ट-अप एरिया 35-40 वर्गमीटर तथा एल0आई0जी0 के लिए 41-48 वर्गमीटर होगा। आय सीमा तथा बिल्ट-अप एरिया की वृद्धि सम्बन्धी निर्णय से अधिकाधिक व्यक्तियों को योजना का सीधा लाभ मिलेगा तथा उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।

डाॅ0 राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तीकरण योजना की गाइडलाइन मंजूर

मंत्रिपरिषद ने डाॅ0 राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तीकरण योजना की गाइडलाइन को निर्गत किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

डाॅ0 राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तीकरण योजना, राज्य सरकार द्वारा 2015-16 में परिकल्पित की गई थी। वर्ष 2015-16 के केन्द्रीय बजट में राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान को केन्द्रीय सहायता से डिलिंक कर दिया गया था, जिससे पंचायतों में ई-गवर्नेन्स लागू करने में कठिनाई आ रही थी। राज्य सरकार पंचायतीराज संस्थाओं में ई-गवर्नेन्स की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है। पंचायतीराज संस्थाओं में ई-गवर्नेन्स की उत्तरोत्तर वृद्धि किया जाना ही डाॅ0 राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तिकरण योजना के क्रियान्वयन का मुख्य उद्देश्य है। इसके अलावा पंचायतों के सशक्तिकरण हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करना और प्रशिक्षण के माध्यम से पंचायतों का क्षमता विकास भी इस योजना के उद्देश्यों में शामिल है। यह योजना शत-प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है। योजना के संचालन के लिए राज्य स्तर पर 02 समितियों का गठन किया जाएगा। प्रमुख सचिव पंचायती राज विभाग की अध्यक्षता में ई-पंचायत स्टेट रिव्यू कमेटी गठित होगी तथा निदेशक पंचायती राज की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति का गठन किया जाएगा।

‘मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना’ के क्रियान्वयन को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने ‘मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना’ के क्रियान्वयन को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना के क्रियान्वयन का निर्णय प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास, पूंजी निवेश, रोजगार सृजन एवं स्टेक होल्डर्स की आय में वृद्धि की सम्भावनाओं के मद्देनजर लिया गया है। इस मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में नवीन खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को स्थायी पूंजी निवेश के लिए रियायतें एवं वित्तीय अनुदान सुविधाएं अनुमन्य होंगी।

मिशन के तहत 07 योजनाएं हैं। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, कोल्डचेन, मूल्य सम्वर्धन तथा प्रसंस्करण अवसंरचना सुविधाओं का सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइमरी प्रोसेसिंग सेन्टर एवं कलेक्शन सेण्टर की स्थापना, रीफर व्हीकल्स/मोबाइल प्री-कूलिंग वैन, 25 करोड़ रुपये से अधिक का स्थायी पूंजी निवेश करने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाइयांे की स्थापना को प्रोत्साहित करना, खाद्य प्रसंस्करण विषय में डिग्री/डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स चलाने हेतु अवस्थापना सुविधाओं का सृजन तथा खाद्य प्रसंस्करण कौशल विकास शामिल हैं।

योजना के अन्तर्गत भिन्न-भिन्न इकाइयों के लिए रियायतें एवं वित्तीय अनुदान सुविधाएं भिन्न-भिन्न होंगी। यह मिशन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्य खाद्य प्रसंस्करण विकास परिषद (एस0एफ0पी0डी0सी0) के अन्तर्गत संचालित किया जाएगा। राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (एस0एल0ई0सी0) मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संचालित होगी। निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, इस योजना के पदेन मिशन निदेशक होंगे।

इस योजना हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष 2016-17 हेतु 42.4865 करोड़ रुपये का बजट प्रविधानित है। योजना के तहत प्रतिवर्ष 45 करोड़ रुपये तथा मिशन की अवधि 05 वर्ष हेतु 225 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित होगा। इस मिशन के व्यय-भार में केन्द्र सरकार की भागीदारी नहीं है।

मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना अधिसूचना निर्गत होने की तिथि से 05 वर्षाे की अवधि के लिए मान्य होगी। योजनान्तर्गत आॅनलाइन प्राप्त पूर्ण प्रस्ताव को प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धान्त पर एस0एल0ई0सी0 द्वारा प्राथमिकता क्षेत्र का निर्धारण करते हुए स्वीकृत प्रस्तावों को योजनान्तर्गत अनुमन्य सुविधाएं नियमानुसार प्रदान की जाएगी। यह योजना पूरे प्रदेश में लागू होगी।

जय प्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र का 86499.41 लाख रु0 

का पुनः पुनरीक्षित प्रायोजना प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जय प्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के निर्माण सम्बन्धी पुनः पुनरीक्षित परियोजनान्तर्गत एक्सपर्ट कमेटी द्वारा अनुमोदित कतिपय कार्यमदों के कार्य कराए जाने तथा इन कार्यमदों की लागत को सम्मिलित करते हुए कुल लागत 86499.41 लाख रुपये सहित सम्पूर्ण प्रायोजना प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

साथ ही, प्रायोजनान्तर्गत 14 विभिन्न कार्यमदों हेतु प्रस्तावित कुल लागत 9615.07 लाख रुपये के सापेक्ष प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन की अध्यक्षता में गठित एक्सपर्ट कमेटी द्वारा अनुमोदित 8633.37 लाख रुपये की लागत के कार्यमदों के कार्य कराए जाने को भी मंजूरी प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि जय प्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र की निर्माण सम्बन्धी परियोजना के अन्तर्गत कन्वेन्शन ब्लाक (कन्वेन्शन सेन्टर, स्पोट्र्स, होटल ब्लाॅक), म्यूजियम भवन एवं पार्किंग ब्लाॅक का प्राविधान है। वर्तमान में प्रायोजना के निर्माण कार्य हेतु 71980.0085 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है तथा सम्बन्धित प्रायोजनान्तर्गत स्थल पर कार्य कराए जा रहे हैं।

जय प्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र का निर्माण समाजवादी विचारक लोकनायक श्री जय प्रकाश नारायण की स्मृति में कराया जा रहा है। इसके निर्मित होने से कन्वेन्शन ब्लाॅक (कन्वेन्शन सेन्टर, स्पोट्र्स, होटल ब्लाॅक), म्यूजियम भवन एवं पार्किंग ब्लाॅक आदि सुविधाएं जन सामान्य को उपलब्ध हो सकेंगी।

वित्तीय वर्ष 2017-18 से आय-व्ययक में प्लान तथा नाॅन प्लान के वर्गीकरण को समाप्त करने तथा धनराशियों को लाख रु0 में प्रदर्शित करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से आय-व्ययक में प्लान तथा नाॅन प्लान के वर्गीकरण को समाप्त किए जाने तथा धनराशियों को हजार रुपयों के स्थान पर लाख रुपयों में दशमलव के दो अंकों तक प्रदर्शित किए जाने का निर्णय लिया है।

इस निर्णय के फलस्वरूप आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 से राजस्व एवं पंूजीगत पक्ष की विभिन्न योजनाआंे के लिए बजट साहित्य में प्लान तथा नाॅन प्लान के वर्गीकरण को समाप्त करके बजट प्राविधान एक स्तम्भ में दर्शाये जाएंगे। मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के उपरान्त बजट साहित्य प्रारूपों पर ‘रूल्स आॅफ प्रोसीजर एण्ड कन्डक्ट आॅफ उत्तर प्रदेश लेजिस्लेटिव एसेम्बली, 1958’ के प्रस्तर-232(म) के अनुसार विधान मण्डल की प्राक्कलन समिति का अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा।

पुलिस सेवा भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के गठन विषयक शासनादेश में संशोधन को मंजूरी 

मंत्रिपरिषद ने पुलिस सेवा भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के गठन विषयक शासनादेश दिनांक 02 दिसम्बर, 2008 (यथासंशोधित शासनादेश दिनांक 02 अप्रैल, 2009 एवं दिनांक 25 अक्टूबर, 2013) में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

इस संशोधन के फलस्वरूप कारागार विभाग के सीधी भर्ती के अराजपत्रित कर्मियों की भर्ती पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के कार्यक्षेत्र में शामिल होगी।

मृत पुलिस कर्मियों के आश्रितों को पुलिस बल में आरक्षी एवं समकक्ष पदों पर भर्ती में शारीरिक दक्षता मंे छूट दिए जाने का निर्णय 

मंत्रिपरिषद ने मृत पुलिस कर्मियों के आश्रितों को पुलिस बल में आरक्षी एवं समकक्ष पदों पर भर्ती में शारीरिक दक्षता मंे छूट दिए जाने का निर्णय लिया है।

इस निर्णय के फलस्वरूप मृत पुलिस कर्मियों के आश्रित, जो प्रचलित विभागीय नियमों के अनुसार विभाग में आरक्षी पुलिस, आरक्षी पी0ए0सी0, फायरमैन अथवा कर्मशाला कर्मचारी के पद पर सेवा योजन हेतु प्रत्यावेदन देते हैं, उन पदों के लिए निर्धारित अर्हताओं में शारीरिक मानक की अर्हताओं के तहत न्यूनतम लम्बाई में 2 सेंटीमीटर के स्थान पर 3 सेंटीमीटर की छूट प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही, जो पुरुष अभ्यर्थी निर्धारित 4.8 किलोमीटर की दौड़ अधिकतम 27 मिनट के स्थान पर अधिकतम 30 मिनट अथवा कम समय में पूरी करेंगे तथा जो महिला अभ्यर्थी निर्धारित 2.4 किलोमीटर की दौड़ 16 मिनट के स्थान पर अधिकतम 19 मिनट  अथवा कम समय मंे पूरी करेंगी, उन्हंे इन पदों की भर्ती हेतु अर्ह माना जाएगा।

किसान सहकारी चीनी मिल रसड़ा, जनपद बलिया का मालिकाना हक सुरक्षित रखते हुए इन्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने हेतु निजी निवेशक को दीर्घकालीन लीज पर दिए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 की बन्द पड़ी किसान सहाकारी चीनी मिल लि0, रसड़ा जनपद बलिया का मालिकाना हक सुरक्षित रखते हुए इन्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने हेतु निजी निवेशक को दीर्घकालीन लीज पर दिए जाने हेतु गन्ना आयुक्त एवं निबन्धक, सहकारी चीनी मिल समितियां को राज्य सरकार के मन्तव्य से अवगत कराए जाने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि किसान सहकारी चीनी मिल लि0, रसड़ा जनपद बलिया का अधिकांश अंश राज्य सरकार द्वारा धृत है। इसलिए जनहित के मद्देनजर राज्य सरकार ने उ0प्र0 सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 2007 की धारा-125 (क) के तहत गन्ना आयुक्त एवं निबन्धक सहकारी चीनी मिल समितियां उत्तर प्रदेश को यह मंतव्य व्यक्त किया है।

ज्ञातव्य है कि रसड़ा चीनी मिल का संचालन पेराई सत्र 2013-14 से बन्द है। पुरानी चीनी मिल के संचालन से लाभप्रदता नहीं होने के कारण इसे बन्द कर दिया गया था, दिनांक 31 मार्च, 2015 तक रसड़ा चीनी मिल को 22021.07 लाख रुपये की शुद्ध हानि हो चुकी है। किसान सहकारी चीनी मिल रसड़ा (बलिया) सुव्यवस्थित व्यवसाय नहीं कर पा रही है। चीनी उद्योग के वर्तमान परिवेश में चीनी मिलों को एकल रूप के बजाए इन्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स यथा-चीनी मिल, आसवनी, कोजन प्लान्ट आदि समेकित रूप से चलाना लाभप्रद है।

गन्ना प्रदेश की मुख्य नकदी फसल है, इस कारण रसड़ा चीनी मिल जो बन्द हो गई है, को किसानों की समृद्धि एवं प्रदेश के विकास की दृष्टि से इन्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स के रूप में चलाए जाने की आवश्यकता है, इसमें लगभग 400 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की आवश्यकता होगी। इतनी बड़ी मात्रा में पंूजी निवेश मिल/संघ के स्तर से सम्भव नहीं है, इस कारण निजी निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है।

मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल की क्षमता विस्तार एवं कोजनरेशन प्लान्ट की स्थापना तथा उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 की आसवनी इकाइयां एवं सहयोगी आसवनी इकाइयों में जीरो लिक्विड डिस्जार्च संयंत्रों की स्थापना हेतु ऋण प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा शासकीय गारण्टी दिए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की चीनी मिल मोहिउद्दीनपुर की क्षमता विस्तार एवं 15 मेगावाॅट के कोजनरेशन प्लान्ट की स्थापना हेतु यूनियन बैंक आॅफ इण्डिया, चांदगंज शाखा, लखनऊ से 73.96 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त करने हेतु शासकीय गारण्टी तथा उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ की आसवनी इकाई अनूपशहर, ननौता तथा सहकारी चीनी मिलों यथा-सम्पूर्णानगर, कायमगंज, घोसी तथा नानपारा आसवनी इकाइयों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज संयंत्रों की स्थापना हेतु राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एन0सी0डी0सी0) से 147.42 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त करने हेतु शासकीय गारण्टी प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

पेराई सत्र 2016-17 के लिए सहकारी चीनी मिल्स संघ की चीनी मिलों हेतु शासकीय गारण्टी देने तथा इस शासकीय गारण्टी 

पर गारण्टी शुल्क माफ करने का फैसला 

मंत्रिपरिषद ने पेराई सत्र 2016-17 के लिए उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 की कुल 23 चीनी मिलों हेतु 2001.14 करोड़ रुपये की नकद साख सीमा के विरुद्ध शासकीय गारण्टी प्रदान किए जाने तथा इस शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क 5 करोड़ रुपये को माफ किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति-2013 का कार्यकाल जनवरी, 2018 तक बढ़ाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति-2013 के कार्यकाल को प्रदेश के औद्योगिक हित को ध्यान में रखते हुए एक अतिरिक्त वर्ष अर्थात जनवरी, 2018 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह नीति जनवरी, 2017 में समाप्त हो रही है।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में चीनी उद्योग को बढ़ावा देने तथा पंूजी निवेश को आकर्षित करने हेतु चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति दिनांक 28 जनवरी, 2013 को मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के पश्चात घोषित की गई थी। इस नीति में प्रदेश के 24 चिन्हित जनपदों के अतिरिक्त जनपद शाहजहांपुर में भी नई चीनी मिल तथा उसके सह उत्पाद स्थापित किए जाने की व्यवस्था है।

नीति के तहत विभिन्न प्रकार की छूटे एव रियायतें भी कतिपय शर्ताें एवं प्रतिबन्धों के अधीन प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गई है। इस नीति के अन्तर्गत अब तक 23 कम्पनियों/इकाइयों की 40 विभिन्न परियोजनाएं स्थापित करने हेतु प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनका पंजीकरण किया जा चुका है। पंजीकृत कम्पनियों/इकाइयों में से 07 कम्पनियों/इकाइयों द्वारा परियोजना का कार्य पूर्ण करने के पश्चात व्यावसायिक उत्पादन भी प्रारम्भ किया जा चुका है। इस नीति के अन्तर्गत पंजीकृत अन्य चीनी मिलों द्वारा प्रस्तावित विभिन्न परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। इसलिए इन चीनी मिल समूहों द्वारा चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति-2013 का कार्यकाल बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया है।

छतर मंजिल, लाल बारादरी एवं कोठी दर्शन विलास को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने के लिए संस्कृति विभाग से 

पर्यटन विभाग को हस्तान्तरित करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने लखनऊ में स्थित छतर मंजिल, लाल बारादरी एवं कोठी दर्शन विलास भवनों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने के लिए संस्कृति विभाग से पर्यटन विभाग को हस्तान्तरित करने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि लखनऊ में स्थित छतर मंजिल, लाल बारादरी एवं कोठी दर्शन विलास ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण एवं आकर्षक भवन हैं। वर्तमान में इन ऐतिहासिक भवनों का संरक्षण एवं रख-रखाव संस्कृति विभाग द्वारा किया जा रहा है। पर्यटन विभाग की इन भवनों को हेरिटेज होटल, अवध म्यूजियम, विजिटर सेन्टर तथा लखनऊ आने वाले पर्यटकों तथा कला प्रेमियों हेतु कल्चर/पर्यटन हब के रूप में विकसित किए जाने की योजना है, जहां पर अवधी-संस्कृति (यथा-हस्तकला, गायन, नृत्य इत्यादि) को शोकेस किया जाएगा। यदि इन इमारतों का उचित संरक्षण कर प्रचार-प्रसार किया जाएगा तो निश्चित ही इन इमारतों में पर्यटकों का आवागमन बढे़गा, जिस कारण इनमें उच्च स्तर की रख-रखाव तथा आतिथ्य सत्कार की व्यवस्था करनी होगी। चूंकि पर्यटन विभाग के पास आतिथ्य सत्कार का अनुभव होता है, इसके दृष्टिगत इन इमारतों को पर्यटन विभाग को हस्तान्तरित किए जाने का निर्णय लिया गया है।

भू-अधिग्रहण से सम्बन्धित नया प्रस्तर जोड़े जाने हेतु 

राज्य मुकदमा नीति में संशोधन किए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने भू-अधिग्रहण से सम्बन्धित नया प्रस्तर जोड़े जाने हेतु राज्य मुकदमा नीति में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया है।

यह निर्णय मा0 उच्च न्यायालय द्वारा भू-अधिग्रहण से संबंधित योजित विभिन्न अपीलों मंे समय-समय में पारित आदेशों में की गयी अपेक्षानुसार लिया गया है। इसके तहत राज्य मुकदमा नीति के प्रस्तर-4 ‘अपील दाखिल करना’ के उपप्रस्तर-छः के पश्चात नया उप प्रस्तर छ-छः जोड़कर भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित प्रकरणों में अपील दायर करने के सम्बन्ध में प्राविधान किया है कि ‘भू-अधिग्रहण सम्बन्धित ऐसे मुकदमों में मा0 उच्च न्यायालय स्तर पर कोई अपील दायर नहीं की जाएगी, जिनमें शासन की देयता 2 लाख रुपये से कम है।

भू-अधिग्रहण सम्बन्धी ऐसी सभी अपीलें जो मा0 उच्च न्यायालय में लम्बित है तथा जिसमें देयता 2 लाख रुपये से कम है, को मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन देकर वापस ले लिया जाएगा। इस सम्बन्ध में यह प्रतिबन्ध रहेगा कि यदि किसी संदर्भ में पारित आदेश शासन की नीति के खिलाफ हो या धोखा देकर/झूठ बोलकर/तथ्यों को छिपाकर/कपट पूर्वक प्राप्त किया गया हो अथवा आदेश त्रुटिपूर्ण दृष्टान्त (प्रिसीडेन्स) बन रहा हो अथवा आदेश से प्रतिकर की दरें निर्धारित होती हों, तो न्याय विभाग का परामर्श प्राप्त कर अपील की जाएगी। यदि छोटे मामलों में मूल्यांकन कम होने पर अपील नहीं की गई है तो उसको बड़े मामलों के लिए दृष्टान्त नहीं माना जाएगा और नियमानुसार अपील दायर की जाएगी।

उ0प्र0 राजस्व संहिता नियमावली, 2016 में संशोधन

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली, 2016 संशोधन करते हुए नियम-57 के उप नियम (12) में तालाबों की पट्टा अवधि को 05 वर्ष के स्थान पर 10 वर्ष किए जाने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि नाबार्ड द्वारा मत्स्य पालन योजना के तहत वित्त पोषण के सापेक्ष ऋण अदायगी हेतु न्यूनतम 07 वर्ष की अवधि एवं 11 माह का ग्रेस पीरियड निर्धारित है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली, 2016 में तालाबों की पट्टा अवधि 05 वर्ष हो जाने के कारण बैंकों द्वारा मत्स्य पालकों को ऋण दिए जाने में कठिनाई आ रही है। बैंको द्वारा वित्त पोषण न होने के फलस्वरूप मत्स्य पालकों के लिए उत्पन्न होने वाली विपरीत परिस्थितियां को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया है।

‘उ0प्र0 वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम-2016’ 

के प्रवर्तन के लिए व्यवस्था के प्रस्ताव को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने संस्थागत वित्त विभाग, उ0प्र0 के अन्तर्गत ‘उ0प्र0 वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम-2016’ के प्रवर्तन (इनफोर्समेन्ट) हेतु नामित न्यायालयों, क्षेत्रीय कार्यालयों, महानिदेशक का नोयडा कैम्प कार्यालय/कमाण्ड सेण्टर, गेस्ट हाउस, प्रशिक्षण केन्द्र, विशेष पुलिस थानों की स्थापना एवं उक्त कार्यालयों तथा महानिदेशालय के संचालन हेतु पदों के सृजन, नियुक्ति/प्रतिनियुक्ति/तैनाती एवं शासकीय कार्यों के निर्वहन हेतु आवश्यक वाहनों आदि की व्यवस्था के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि ‘उ0प्र0 वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम-2016’ के लागू हो जाने से जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा, संरक्षा तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां, जो प्रायः जनता का धन जमा कराकर गायब हो जाती हैं, पर प्रभावी नियंत्रण तथा उनके विरुद्ध विधिक एवं दाण्डिक कार्यवाही सुनिश्चित हो सकेगी।

अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति के तहत मेगा परियोजनाओं 

को दी जाने वाली विशेष सुविधाएं एवं रियायतें अनुमोदित 

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति, 2012 के तहत प्रदेश में मेगा परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विभिन्न मेगा परियोजनाओं को दिए जाने वाली विशेष सुविधाओं एवं रियायतों को अनुमोदित कर दिया है।

इन विशेष सुविधाओं एवं रियायतों का प्राविधान केस-टू-केस के आधार पर किया गया है। नीति के तहत मेगा परियोजनाओं का तात्पर्य 200 करोड़ रुपए अथवा अधिक निवेश करने वाली निजी क्षेत्र अथवा संयुक्त क्षेत्र (जिसमें शासकीय अथवा शासकीय उपक्रम की पूंजी 49 प्रतिशत अथवा उससे कम हो) की समस्त औद्योगिक इकाइयों तथा केवल चिकित्सालयों, मेडिकल/डंेटल काॅलेजों, शिक्षण संस्थानों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की जाने वाली शाॅपिंग विलेज की परियोजनाओं से है, जिसमें विस्तारीकरण/विविधीकरण करने वाली इकाइयां भी शामिल हैं।

प्रदेश में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश को आकर्षित करने एवं प्रदेश को अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक गंतव्य के रूप में विकसित किए जाने हेतु यह आवश्यक है कि प्रदेश में अधिकाधिक मेगा परियोजनाओं की स्थापना हो। इस उद्देश्य की पूर्ति एवं मेगा परियोजनाओं की स्थापना हेतु प्रदेश सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिए जाने का प्राविधान किया गया है।

इसमें 200 करोड़ रुपए से अधिक परन्तु 500 करोड़ रुपए से कम तक की पूंजी निवेश वाली मेगा परियोजनाओं को अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 में वर्णित सभी वित्तीय सुविधाओं को सुसंगत शर्तों के अधीन अनुमन्य कराया जाएगा। 500 करोड़ रुपए या उससे अधिक पूंजी निवेश करने वाली मेगा परियोजनाओं को उपर्युक्त सुविधाओं के अलावा केस-टू-केस आधार पर इम्पावर्ड कमेटी की संस्तुति तथा मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के बाद वे सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा सकती हैं, जो अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 से आच्छादित नहीं है।

मेसर्स सैमसंग द्वारा प्रस्तावित कुल पूंजी निवेश 1970 करोड़ रुपए के सापेक्ष 738 करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है। भूमि के सम्बन्ध में स्पष्ट हुआ कि कम्पनी द्वारा नोएडा से हुई वार्ता के आधार पर उपलब्धता के दृष्टिगत कुल 1,20,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की भूमि पर परियोजना स्थापित की जा सकती है एवं नोएडा द्वारा उपलब्धता के दृष्टिगत कुल 1,20,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की भूमि परियोजना स्थापित करने हेतु प्रस्तावित है।

शासनादेश दिनांक 12 मई, 2016 के प्रस्तर 3 में प्राविधानित है कि आधारभूत उत्पादित माल के विक्रय धन पर देय कर (वैट/सी0एस0टी0/जी0एस0टी0) की प्रतिपूर्ति अनुमन्य नहीं होगी। आधारभूत उत्पादन का तात्पर्य, इकाई विगत 5 साल या उससे कम अवधि से कार्यरत है, तो इस अवधि से किसी वर्ष का अधिकतम उत्पादन, से होगा। समिति के समक्ष यह सन्दर्भ प्रस्तुत किया गया था कि क्या ‘अधिकतम वाणिज्यिक उत्पादन’ का तात्पर्य ‘आधारभूत उत्पादित माल के विक्रय धन पर देय कर’ से है ?

विस्तृत विचार-विमर्श के उपरान्त समिति द्वारा यह संस्तुति की गई कि आगणन की व्यवहारिक सुगमता के दृष्टिगत यह उचित होगा कि आधारभूत उत्पादित माल के विक्रय धन के सम्बन्ध में शासनादेश के प्रस्तर 3 को संशोधित किये जाने का प्रस्ताव है।

मे0 पतंजलि आयुर्वेद लि0 द्वारा संज्ञान में लिया गया कि कम्पनी कृषि, खाद्य, हर्बल, पशु आहार, डेरी उत्पाद एवं एफ0एम0सी0जी0 के प्रसंस्करण एवं उत्पादन उत्तराखण्ड राज्य में कर रही है। मूल प्रस्ताव में कम्पनी द्वारा अपनी उत्पादन क्षमताओं में वृद्धि हेतु उत्तर प्रदेश राज्य के यमुना एक्सप्रेस-वे इण्डस्ट्रियल डेवलपमेण्ट अथारटी (कुल लागत 1666.80 करोड़ रुपए) एवं झांसी (कुल लागत 451.63 करोड़ रुपए) में नई इकाइयों की स्थापना का आशय व्यक्त किया है। दोनों परियोजाओं की कुल लागत 2118.34 करोड़ रुपए प्रस्तावित है। कम्पनी द्वारा बुन्देलखण्ड के अतिरिक्त पूर्वांचल एवं मध्यांचल क्षेत्र में भी फीडर इकाइयां स्थापित करना प्रस्तावित है।

मे0 गैलेन्ट इस्पात लि0 द्वारा अपनी प्रस्तावित मेगा परियोजना (जिसके लिए लेटर आफ कम्फर्ट दिनांक 09 जुलाई, 2015 को निर्गत हो चुका है) में अपने संयत्र के विभिन्न सेक्शन की उत्पादन क्षमताओं में वृद्धि की गयी है तथा पैलेट प्लाण्ट को नहीं लगाया जा रहा है। इस बदलाव के कारण परियोजना लागत 378 करोड़ रुपए से घटकर

310.43 करोड़ रुपए हो गई है।

मे0 पसवारा पेपर्स लि0 द्वारा अपनी प्रस्तावित मेगा परियोजना (जिसके लिए लेटर आॅफ कम्फर्ट दिनांक 08 जुलाई, 2015 को निर्गत हो चुका है) में परिवर्तन पर स्वीकृति प्रदान किये जाने का अनुरोध किया गया है।

परियोजना में बदलाव के कारण मै0 पसवारा पेपर्स लि0 की प्रथम चरण की उत्पादन क्षमता 82 हजार 500 एम0टी0पी0ए0 से बढ़ाकर 1 लाख 25 हजार एम0टी0पी0ए0 एवं परियोजना लागत 125.51 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 261.38 करोड़ रुपए कर दी गई है। द्वितीय चरण की उत्पादन क्षमता 01 लाख एम0टी0पी0ए0 ही रखते हुए परियोजना लागत 250 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 264.13 करोड़ रुपए प्रस्तावित की गई है। इस तरह परियोजना की कुल लागत (दो चरणों में) 375.51 करोड़ रुपए से बढ़कर 525.51 करोड़ रुपए प्रस्तावित है। कम्पनी में वाणिज्यिक उत्पादन अप्रैल, 2016 से प्रारम्भ हो चुका है।

उ0प्र0 भू-संपदा (विनियमन एवं विकास) नियमावली, 2016 अनुमोदित 

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश भू-संपदा (विनियमन एवं विकास) नियमावली, 2016 को अनुमोदित कर दिया है। इस नियमावली में कुल 09 अध्याय हैं। नियमावली में अन्य व्यवस्थाओं के साथ-साथ रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथाॅरिटी एवं रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल के गठन की व्यवस्था की गई है।

साथ ही, रेगुलेटरी अथाॅरिटी एवं अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेशों के उल्लंघन के लिए दण्ड एवं जुर्माने से सम्बन्धित प्राविधान भी किए गए हैं। यह नियमावली 31 अक्टूबर, 2016 तक प्रवृत्त की जाएगी। नियमावली के प्राविधानों को लागू करने के लिए कुल 16 फार्म के प्रारूप भी निर्धारित किए गए हैं। इस नियमावली के प्राविधानों के लागू होने के बाद रियल इस्टेट के क्षेत्र में कार्यरत विकासकर्ताओं पर नियमानुसार अंकुश लगेगा तथा जन सामान्य को भी लाभ मिलेगा।

ज्ञातव्य है कि भू-संपदा (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 (अधिनियम संख्या-16 सन् 2016) 01 मई, 2016 से जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में प्रभावी है। इस अधिनियम की धारा-84 में यह व्यवस्था है कि समुचित सरकार इस अधिनियम के लागू होने के 06 महीने के अन्दर अधिनियम को लागू करने के लिए नियमों/नियमावलियों का निर्माण करेगी। राज्य सरकार द्वारा अधिनियम की धारा-84 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके उत्तर प्रदेश भू-संपदा (विनियमन एवं विकास) नियमावली, 2016 तैयार की गई है।

वर्ष 2015-16 में मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेन्ट प्रोग्राम 

के तहत जारी वित्तीय स्वीकृतियां अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेन्ट प्रोग्राम (एम0एस0डी0पी0) के तहत जारी की गई वित्तीय स्वीकृतियों को अनुमोदन प्रदान कर दिया है। एम0एस0डी0पी0 के तहत जारी गई धनराशि पर बजट मैनुअल के प्रस्तर 94 के अनुसार मंत्रिपरिषद का अनुमोदन आवश्यक है।

एम0एस0डी0पी0 में गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में 15021.6068 लाख रुपए की धनराशि जारी की गई है। एम0एस0डी0पी0 के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस योजना में अवमुक्त की गई धनराशि से प्रदेश के 48 जनपदों के 144 विकासखण्डों एवं 18 नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्य कराये जा रहे हैं। इन कार्यों में मुख्य रूप से आगनबाड़ी केन्द, प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र, राजकीय इण्टर काॅलेज, प्राथमिक स्कूल, विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष, राजकीय आई0टी0आई0, राजकीय पाॅलिटेक्निक एवं छात्रावास के निर्माण, हैण्डपम्पों की स्थापना, पाइप पेयजल योजना, राजकीय आयुर्वैदिक/होमियोपैथिक/यूनानी चिकित्सालय आदि का निर्माण शामिल है।

अन्तर्राष्ट्रीय रामलीला केन्द्र (संकुल), अयोध्या में निर्माणाधीन 

थीम पार्क में रेड सैण्ड स्टोन उच्च विशिष्टि के प्रयोग को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने अयोध्या, फैजाबाद में अन्तर्राष्ट्रीय रामलीला केन्द्र (संकुल) के तहत निर्माणाधीन थीम पार्क में रेड सैण्ड स्टोन उच्च विशिष्टि के प्रयोग को मंजूरी प्रदान कर दी है।

प्रायोजना रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग द्वारा योजना का मूल्यांकन करते हुए यह परामर्श दिया गया कि आगणन में योजनान्तर्गत प्रस्तावित रेड सैण्ड स्टोन उच्च विशिष्टि के सम्बन्ध में सक्षम उच्च स्तर (मंत्रिपरिषद) का अनुमोदन प्राप्त किया जाए।

इस परियोजना के पूरे होने से पर्यटकों को लाभ होगा। रोजगार के अवसर बढ़ंेगे तथा देश-विदेश में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार होगा।

उ0प्र0 नगरीय स्थानीय स्वायत्त शासन विधि 

(संशोधन) अध्यादेश, 2016 के प्रारूप को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश नगरीय स्थानीय स्वायत्त शासन विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2016’ के प्रारूप को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 2016 तथा उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की सुसंगत धाराओं में संशोधन प्रस्तावित किया गया है। यह संशोधन प्रस्ताव नगर निकायांे में सीधी भर्ती के अत्यधिक पद रिक्त होने के मद्देनजर अकेन्द्रीयत सेवा के पदों पर चयन हेतु एकीकृत प्रक्रिया अपनाये जाने तथा रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरे जाने के लिए किया गया है।

नगर पंचायत हाटा, कुशीनगर को तृतीय श्रेणी 

की नगर पालिका परिषद घोषित करने का फैसला

मंत्रिपरिषद ने जनपद कुशीनगर की नगर पंचायत हाटा का सीमा विस्तार कर तृतीय श्रेणी की नगर पालिका परिषद घोषित किए जाने सम्बन्धी अन्तिम अधिसूचना के आलेख को अनुमोदित कर दिया है।

नगर पंचायत हाटा का सीमा विस्तार कर तृतीय श्रेणी की नगर पालिका परिषद बनाने के लिए 40 ग्रामों सोनवरसा, गोपालपुर विरैचा, पैकोली, बतरौली, सहबाजपुर, चकनरायनपुर, छपराभगत, महादेव छपरा, पगरा, सिरसिया मुजहना हेतिम, अहिरौली, पिपरही भड़कुलवा, धरमौली, हाटा देहात, पटनी, पटना मिश्रौली, मोतीपाकड़कबिलसहां, मोतीपाकड़श्रीकान्त, मदरहा, गोपालपुर, महुअवा मस्जिदियां, रामपुर मिश्री, करमहा, पिपराकपूर, ढ़ाढा बुजर्ग, ढ़ाढा खुर्द, रामपुर महारथ, महुआरी, मिश्रढाढ़ा, थरूआडीह, बाघनाथ, करमहा उग्रसेन, वरवां खुर्द, मुजहना रहीम, पिपरा शीतल उर्फ बकराबाद देवरिया देहात, रधिया देवरिया, मीरपटटी एवं गौनर को इसमें शामिल किया गया है।

नवसृजित तहसील कासिमाबाद, गाजीपुर में भवन निर्माण के लिए सिंचाई विभाग की निष्प्रयोज्य भूमि राजस्व विभाग को हस्तान्तरित करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने जनपद गाजीपुर के अन्तर्गत नवसृजित तहसील कासिमाबाद के संचालन हेतु भवन निर्माण के लिए सिंचाई विभाग की निष्प्रयोज्य भूमि राजस्व विभाग को हस्तान्तरित किए जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार सिंचाई विभाग की ग्राम मेख, परगना जहूराबाद, तहसील कासिमाबाद में स्थित गाटा संख्या-299ख/कुल रकबा 0.4630 हेक्टेयर निष्प्रयोज्य भूमि, भवन व वृक्ष आदि का कुल मूल्य 10 करोड़ 24 लाख 55 हजार 078 रुपए मात्र का भुगतान प्राप्त कर राजस्व विभाग को हस्तान्तरित करने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है।

आधुनिक विषयों के मदरसा शिक्षकों को दी जा रही

अतिरिक्त धनराशि में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव मंजूर

मंत्रिपरिषद ने केन्द्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत परास्नातक तथा स्नातक के साथ बी0एड0 अर्हताधारी आधुनिक विषयों के शिक्षकों को राज्य सरकार के बजट से प्रतिमाह दी जा रही अतिरिक्त धनराशि में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

इसके तहत मदरसा आधुनिकीकरण योजना में कार्यरत परास्नातक तथा स्नातक के साथ बी0एड0 अर्हताधारी आधुनिक विषयों के शिक्षकों को भी अब राज्य सरकार के बजट से प्रतिमाह 2000 रुपए के स्थान पर 3000 हजार रुपए दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से राज्य सरकार पर लगभग 15 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय भार पड़ेगा। इस प्रस्ताव में किसी प्रकार के परिवर्तन या परिवर्धन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का निर्णय भी लिया गया है।

आधुनिक विषयों के शिक्षकों को दिए जाने वाले अतिरिक्त मानदेय का भुगतान तभी तक ही किया जाएगा जब तक केन्द्रपोषित मदरसा आधुनिकीकरण योजना का संचालन होता रहेगा तथा भारत सरकार द्वारा शिक्षक के मानदेय हेतु केन्द्रांश के रूप में प्रदत्त की जाने वाली धनराशि प्राप्त होती रहेगी। यह योजना भारत सरकार के अधीन मदरसा आधुनिकीकरण योजनान्तर्गत वर्तमान में आच्छादित मदरसों तथा भविष्य में आच्छादित होने वाले मदरसों पर समान रूप से प्रभावी होगी।

राज्य सरकार द्वारा योजना से आच्छादित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों को राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाला अतिरिक्त मानदेय प्रतिमाह नियमित रूप से दिया जायेगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से अलग से व्यवस्था कराकर मानदेय स्वीकृत किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा मानदेय के रूप में दिए जाने वाले अतिरिक्त अनुदान का भुगतान केवल उन्हीं मदरसों में कार्यरत आधुनिक विषयों के शिक्षकों को किया जायेगा जो कि भारत सरकार की ‘मदरसा आधुनिकीकरण योजना’ से आच्छादित है।

वन एवं वन्यजीव विभाग की केन्द्र पुरोनिधानित 

योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न में परिवर्तन

मंत्रिपरिषद ने वन एवं वन्यजीव विभाग में क्रियान्वित की जा रही केन्द्र द्वारा पुरोनिधानित योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न में परिवर्तन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके साथ ही, इस प्रकरण मंे अन्य निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।

प्रदेश के वन एवं वन्यजीव विभाग में क्रियान्वित केन्द्र द्वारा पुरोनिधानित योजनाओं में इन्टेन्सीफिकेशन आॅफ फाॅरेस्ट मैनेजमेन्ट, प्रोजेक्ट टाइगर, इन्टीग्रेटेड डेवलमेन्ट आॅफ वाइल्ड हैबीटेट्स, प्रोजेक्ट एलीफैन्ट, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय बैम्बू मिशन योजना आदि शामिल हैं। फण्डिंग पैटर्न में बदलाव के फलस्वरूप वित्तीय वर्ष 2014-15 के सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्रदेश पर राज्यांश के रूप में 672.5713 लाख रुपये का अतिरिक्त व्यय भार पड़ेगा।

जापानी इंसेफ्लाइटिस तथा एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम 

योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न मंे परिवर्तन अनुमोदित 

मंत्रिपरिषद ने केन्द्र पुरोनिधानित जापानी इंसेफ्लाइटिस (जे0ई0) तथा एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए0ई0एस0) योजनाओं के फण्डिंग पैटर्न मंे परिवर्तन को अनुमोदित कर दिया है। इस परिवर्तन के फलस्वरूप राज्यांश के रूप में राज्य सरकार पर 594.19 लाख रुपये का अतिरिक्त व्ययभार आएगा।

ज्ञातव्य है कि नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम विभाग के अधीन राज्य नगरीय विकास अभिकरण, लखनऊ द्वारा संचालित केन्द्र पुरोनिधानित योजना जापानी इंसेफ्लाइटिस (जे0ई0) तथा एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए0ई0एस0) जिसमें फण्डिंग पैटर्न केन्द्रांश/राज्यांश के रूप में 75ः25 निर्धारित था। इस फण्डिंग पैटर्न में भारत सरकार द्वारा किए गए परिवर्तन के फलस्वरूप केन्द्रांश/राज्यांश का अनुपात 50ः50 हो गया है।

उ0प्र0 राज्य अभिलेखागार सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य अभिलेखागार सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है।

उ0प्र0 कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग जेल वार्डर 

संवर्ग सेवा नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग जेल वार्डर संवर्ग सेवा नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है।

उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग में बंदीरक्षक संवर्ग के कार्मिकों यथा-अन्तर्कारा, रिजर्व बंदीरक्षक एवं महिला बंदीरक्षक की अलग-अलग तीन सेवा नियमावलियां थीं। प्रख्यापित नियमावली में अन्तर्कारा, रिजर्व बंदीरक्षक एवं महिला बंदीरक्षक का एक ही पदनाम जेल वार्डर रख गया है। जेल वार्डर की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये जाने हेतु उनकी भर्ती उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के माध्यम से कराये जाने का प्राविधान किया गया है। नियमावली में जेल वार्डर की शारीरिक अर्हता, भर्ती प्रक्रिया आदि पुलिस आरक्षी के अनुरूप रखी गयी है। नियमावली के प्रख्यापित होने से जेल वार्डरों की भर्ती की प्रक्रिया में शुचिता, पारदर्शिता एवं गुणवत्ता रहेगी।

उ0प्र0 पुलिस सेवा नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा नियमावली, 2016 के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है।

उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में पुलिस उपाधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक ज्येष्ठ वेतनमान, अपर पुलिस अधीक्षक के पदों पर चयन, पदोन्नति, प्रशिक्षण, वेतनमान, नियुक्ति एवं स्थायीकरण को विनियमित करने की दृष्टि से 4 मई, 1942 को उत्तर प्रदेश सर्विस रूल्स, 1942 प्रख्यापित किया गया था, जिसमें अभी तक आवश्यकता अनुसार 12 संशोधन हो चुके थे।

उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा नियमावली, 1942 की होने के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा नियमावली, 2016 प्रख्यापित की गई है। प्रख्यापित नियमावली में विभागीय परीक्षा समाप्त किए जाने, संवर्ग में कैडर रिव्यू के उपरान्त पदों की संख्या में वृद्धि होने एवं अपर पुलिस अधीक्षक, उच्च वेतनमान रु0 37,400-67,000 ग्रेड-पे रु0 10,000 के अतिरिक्त 10 पदों का सृजन होने सम्बन्धी संशोधनों को शामिल किया गया है।

उ0प्र0 अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा 

(चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2016 का प्रख्यापन प्रस्ताव मंजूर

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2016 के प्रख्यापन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह निर्णय उ0प्र0 अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा में सहायक अध्यापक (पुरुष/महिला) की भर्ती में आ रही असुविधाओं के दृष्टिगत लिया गया है।

इस संशोधन के अनुसार सहायक अध्यापक एल0टी0 ग्रेड (पुरुष शाखा/महिला शाखा) के वर्तमान में सम्भागीय संवर्ग के स्थान पर अब इसे प्रदेश स्तरीय संवर्ग बनाया गया है। सहायक अध्यापक एल0टी0 ग्रेड (पुरुष शाखा/महिला शाखा) के नियुक्ति प्राधिकारी सम्भागीय उप शिक्षा निदेशक तथा सम्भागीय बालिका विद्यालय निरीक्षिका के स्थान पर अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) बनाए गए हैं।

सीधी भर्ती के शैक्षिक अर्हता सम्बन्धी नियम को संशोधित कर सामान्य रूप से एल0टी0 ग्रेड अध्यापक के विभिन्न विषयों की अर्हता स्नातक उपाधि के साथ बी0एड0 डिग्री रखी गई है। सीधी भर्ती के लिए आवेदन का प्रारूप एवं आवेदन की फीस का निर्धारण राज्य सरकार (शासन) द्वारा किया जाएगा। सीधी भर्ती द्वारा चयन क्वालिटी प्वाइन्ट्स के आधार पर किया जाएगा।

उ0प्र0 विकास प्राधिकरण केन्द्रीयत सेवा नियमावली, 2016 को प्रख्यापित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण केन्द्रीयत सेवा (सोलहवां संशोधन) नियमावली, 2004 में संशोधन कर उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण केन्द्रीयत सेवा (बीसवां संशोधन) नियमावली, 2016 को प्रख्यापित करने का निर्णय लिया है।

इस संशोधन से उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण केन्द्रीयत सेवा के प्रशासनिक संवर्ग के तहत अनुसचिव के पद पर पदोन्नति विभागीय चयन समिति के माध्यम से नियम-24 के तहत की जाएगी तथा इस हेतु लोक सेवा आयोग से परामर्श करना आवश्यक नहीं होगा।

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