लखनऊ: उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने प्रदेश के बागवानों तथा व्यवसायियों को प्रतिबंधित रसायन ‘कैल्सियम कार्बाइड‘ से आम को न पकाने की सलाह दी है। क्योंकि इस रसायन से पकाए गए आम मानव स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं यहां तक कि इस विधि से पकाए गए फलों के सेवन से कर्क रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री एस0पी0 जोशी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आम की प्रजातियां फल बैठने के 12-16 सप्ताह पश्चात परिपवक्व होती है। किन्तु मुनाफा के लिए आम के परिपवक्वता से 02-03 सप्ताह पूर्व ही इसे तोड़ लिया जाता है। ऐसे तोड़े गए कम परिपवक्व फलों को पकाने के लिए प्रतिबंधित रसायन कैल्सियम कार्बाइड का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि कैल्सियम कार्बाइड फल से नमी ग्रहण कर एसिटिलीन गैस विसर्जित करती है जो कि फल पकाने में सहायक होती है। एसिटिलीन एक ज्वलनशील तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैस है जो वेल्डिंग में भी प्रयुक्त होती है।
श्री जोशी ने बताया कि कैल्सियम कार्बाइड विधि से पकाए गए फलों में खट्टापन होता है तथा फल सुस्वाद एवं स्वास्थ्यवर्धक भी नहीं होते हैं। उन्होंने बताया कि कैल्सियम कार्बाइड पत्थर/पाउडर से नमी की उपस्थिति में एसिटिलीन निकल जाने के पश्चात बचे पाउडर में आर्सेनिक जैसे हेवी मेटल की अशुद्धियां रह जाती हैं जो आम के ऊपरी छिलके में लग सकती है। ऐसे फलों के सेवन से शरीर में विषक्कता पैदा हो सकती है।
उद्यान निदेशक ने बताया कि ऐसे फलों में अन्य अशुद्धियों से फाॅस्फीन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड गैस भी उत्पादित हो सकती है जो न केवल स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होती है अपितु तंत्रिका के रोग भी उत्पन्न कर सकती है। ऐसी अशुद्धियों से आंख में जलन, मिचली, सिरदर्द, श्वसन तंत्र की परेशानियां हो सकती है। उन्होंने बताया कि मानव स्वास्थ्य हित में भारत सरकार ने कैल्सियम कार्बाइड के इस्तेमाल में प्रतिबंध लगाया हुआ है। यहां तक कि विश्व के सभी देशों में इस विधि से फल पकाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।