लखनऊः पेराई सत्र 2018-19 हेतु आज मुरादाबाद परिक्षेत्र की गन्ना सुरक्षण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुरादाबाद परिक्षेत्र के 5 जिलों- बिजनौर, अमरोहा, सम्भल, मुरादाबाद एवं रामपुर की 22 चीनी मिलों से सम्बन्धित गन्ना क्षेत्र आवंटन पर विस्तृत चर्चा की गई।
मुरादाबाद परिक्षेत्र में गत वर्ष की तुलना में गन्ना क्षेत्रफल की तुलनात्मक स्थिति के अुनसार पौधा में 16.14 प्रतिशत और पेड़ी में 18.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इस तरह इस वर्ष 5 जनपदों में 17.40 प्रतिशत गन्ना क्षेत्रफल में कुल वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में मुरादाबाद परिक्षेत्र का कुल गन्ना क्षेत्रफल 408216 हेक्टेयर था जो कि इस वर्ष बढ़कर 479249 हो गया है। परिक्षेत्र की 22 चीनी मिलों की कुल पेराई क्षमता 140400 टी.सी.डी.है। इस सत्र में कुल अनुमानित गन्ना उत्पादन 3931.16 लाख कुन्तल होने की सम्भावना है।
गत पेराई सत्र 2017-18 में मुरादाबाद क्षेत्र की 22 चीनी मिलों ने 2169.88 लाख कुन्तल गन्ने की पेराई कर 249.18 लाख कुन्तल चीनी का उत्पादन किया था और चीनी परता 11.48 प्रतिशत रहा था। बैठक में प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने मुरादाबाद परिक्षेत्र के किसानों को सम्बोधित करते हए कहा कि किसानों को पर्ची निर्गमन सम्बन्धी समस्या अब नहीं होगी और एस्क्रो एकाउन्ट के माध्यम से ही गन्ना मूल्य का भुगतान किया जायेगा। उन्होंने किसानो से अपील की कि गन्ना किसानो ने जिस प्रकार सर्वे कार्य में विभाग और चीनी मिल के कार्मिकों के साथ सहयोग किया है, उसी प्रकार सट्टा प्रदर्शन के समय भी अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करें।
श्री भूसरेड्डी ने यह भी बताया कि सभी गन्ना कृषक परिक्षेत्रों से सम्बन्धित अपनी समस्याओं के बारे में गन्ना विभाग के टोल फ्री नम्बर
1800-121-3203 पर सूचना प्रदान करते रहे, जिससे उनकी समस्याओं का यथाशीघ्र निवारण किया जा सके। संयुक्त आयुक्त, श्री वी.बी. सिंह ने भी किसानो को फार्म मशीनरी बैंक के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की, और ट्रेंच प्लाटिंग तथा ड्रिप इरीगेशन और सह-फसली कृषि अपनाने की सलाह दी।
बैठक में गन्ना किसानो और समिति प्रतिनिधियों द्वारा गन्ना आवंटन के संबंध में अपने सुझाव प्रदान किये गये तथा गन्ना आयुक्त द्वारा किये गये सुधारों और घटतौली व गन्ना माफियाओं पर लगाये गये प्रतिबंध के लिये उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया और बताया कि गन्ने की कालाबाजारी पर प्रतिबंध लगा है और गन्ना किसानों का शोषण रूका है।