नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों(पीएसबी) की गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के मामले को सुलझाने के लिए कई उपाय किए हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि दो तरह के बकायेदार हैं- एक वैसे जो घरेलू और वैश्विक मंदी या अन्य कारणों से बकाये का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं और दूसरे वे जो बैंकों के बिना सोचे समझे दिए गए कर्ज का जानबूझकर भुगतान नहीं कर रहे। सरकार इन दोनों श्रेणियों के बकायेदारों से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। श्री जेटली आज यहां वित्त मंत्रालय से सबद्ध परामर्शदातृ समिति की ‘बैंकिंग सेक्टर की गैर निष्पादित संपत्तियों’ पर आयोजित दूसरी बैठक के उद्घाटन पर बोल रहे थे।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि आर्थिक मंदी के कारण जिन कर्जों का भुगतान नहीं हो पा रहा है उनके लिए सरकार ने मुख्यत: स्टील,वस्त्र ऊर्जा और सड़क के अलावा के अन्य दबाव वाले सेक्टरों को पुनर्जीवित करने के कई उपाय किए हैं। श्री जेटली ने कहा कि सकार ने बैंकों को फिर से पूंजी देने के लिए पूर्व के केन्द्रीय बजट 2015-16 और इस साल के बजट 2016-17 में 25,000 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों सहित शीर्षस्थ प्रबंधन की नियुक्ति में पारदर्शिता और पेशावाराना पन लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के बिना किसी तरह के हस्तक्षेप के व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए सरकार ने बैंक प्रबंधन पेशेवरों को पूरी स्वायत्तता देने के कई उपाय किए हैं।
वित्त मंत्री श्री जेटी ने कहा कि दीवालिया कानून संयुक्त संसदीय स्थायी समिति में पारित हो गया है और जल्दी ही मौजूदा संसद सत्र में विचार के लिए पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वसूली कार्यवाही को और अधिक कारगर तथा तीव्र बनाने के लिए प्रतिभूतिकरण और वित्तीय आस्तियों के पुनर्निर्माण और प्रवर्तन प्रतिभूति हित अधिनियम(एसएआरएफएईएसआई) तथा ऋण वसूली न्यायाधिकरण(डीआरटी) अधिनियम में संशोधन कर दिया गया है। श्री जेटली ने कहा कि जहां कहीं भी पाया जाएगा कि बकाये ऋण वसूली के लिए बैंकों द्वारा जमानदारों के खिलाफ की गई कार्रवाई अपर्याप्त है, वैसे मामलों में सरकार ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वे कर्जदारों के बकाये के मामले में जमानदारों के खिलाफ सरफेसी अधिनियम, भारतीय अनुबंध अधिनियम, आरडीडीबी और एफ आई अधिनियम की प्रसांगिक धाराओं के तहत कार्रवाई करें। उन्होंने बताया कि बैंकों को इस आशय के निर्देश पिछले महीने ही जारी कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने दबाव वाले सेक्टरों स्टील,वस्त्र सड़क और ऊर्जा को पुनर्जीवित करने के सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों पर भी प्रकाश डाला।
बाद में परामर्शदातृ समिति के सदस्यों ने कर्ज वसूली और एनपीए पर नियंत्रण पाने के कई सुझाव दिए। संदस्यों ने कहा कि व्यवस्था में और अधिक पादर्शिता लाने की जरूरत है और बैंकों द्वारा जिन कर्जदारों के कर्ज माफ किए गए है उनकी पूरी सूची सामने आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे जानबूझकर कर्ज की वापसी न करने वाले कर्जदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह घटना को दोहराने की कोई हिम्मत न करे। कुछ सदस्यों ने सरकार द्वारा बैंकों के प्रबंधन में पेशेवर लोगों की नियुक्ति की प्रक्रिया की सराहना की। कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि किसानों की मदद के लिए किसानों के कर्ज को पुनर्गठित किया जाना चाहिए। सदस्यों ने कहा कि बैंकों के विलय के कारण किसी तरह के रोजगार में कटौती नहीं की जानी चाहिए। सदस्यों ने सरकार से कहा कि वह सभी भारतीय उद्योगपतियों के बीच बराबरी सुनिश्चित करे। सदस्यों ने कहा कि कुछ प्रमुख उद्योगपतियों द्वारा जानबूझकर कर्ज न चुकाने का खामियाजा दूसरों उद्योगपतियों को नहीं भुगतना पड़े। कुछ सदस्यों ने कहा कि बैंकों द्वारा बड़े कॉरपारेट घरानों को दिए कर्ज की वसूली के लिए एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
इस बैठक में परामर्शदातृ समिति के श्री अनिरुदन संपत,श्री बैजंता जय पांडा,श्री दिलीपकुमार मंसुखलाल गांधी,श्री कैलाश नारायण सिंह देव,श्रीमती पूनम महाजन, श्री प्रभात सिंह प्रताप सिंह चौहान, श्री रामचरित निषाद, श्री श्रीराम मल्याद्रि, श्री सुभाष चंद्र बहेरिया, श्रीमती सुप्रिया सदानंनद सुले, श्री सुरेशचनाबसप्पा अंगाडी (सभी लोकसभा के सदस्य), श्री दिग्विजय सिंह, डा.केपीरामालिंगम, श्री राजकुमारधूत, श्री रणविजय सिंह जुदेव,श्री सतीश चंद्र मिश्रा, कुमारी शैलजा और सुखेंदु शेखर राय(सभी राज्यसभा सदस्य) ने भाग लिया।