भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने उद्योग जगत में स्वच्छ प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में भारत के योगदान को बेहतर करने के लिए एक समर्पित उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की है। इसे यूटीपीआरईआरएके यानी उत्प्रेरक नाम दिया गया है जो उन्नत तकनीकि प्रदर्शन केंद्र का संक्षिप्त नाम है। ऊर्जा कुशल तकनीकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित यह उत्कृष्टता केंद्र भारतीय उद्योग की ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने के लिए एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाना चाहता है। हालांकि इस केंद्र की स्थापना विद्युत मंत्रालय के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा उन्नत औद्योगिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन केंद्र (एआईटीडीसी) के नाम से विद्युत मंत्रालय के राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (एनपीटीआई) के बदरपुर, नई दिल्ली परिसर में किया गया है। केंद्रीय विद्युत राज्यमंत्री श्री कृष्ण पाल ने नई दिल्ली के एनपीटीआई बदरपुर में आज, 26 जून, 2023 को इस केंद्र का उद्घाटन किया।
यह केंद्र औद्योगिक ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी के लिए एक प्रमुख संस्थान होगा। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि उन्नत औद्योगिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन केंद्र प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करेगा। यह एक प्रदर्शनी सह सूचना केंद्र और ज्ञान भंडार के रूप में कार्य करेगा। यह ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए एक प्लेटफॉर्म होगा, जहां उद्योग के पेशेवरों के बीच कार्यशालाओं और सेमिनारों के जरिये विभिन्न क्षेत्रों की सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।
अगले पांच वर्षों में 10,000 से अधिक ऊर्जा पेशेवरों को प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव
‘उत्प्रेरक’ एक रणनीतिक क्षमता-निर्माण संस्थान के रूप में भी काम करेगा। साथ ही यह ऊर्जा दक्षता में शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए देश भर के ऊर्जा पेशेवरों के लिए एक ही जगह सभी समाधान प्रदान करेगा। अगले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न उद्योगों एवं अन्य संभावित क्षेत्रों के 10,000 से अधिक ऊर्जा पेशेवरों को व्यापक प्रशिक्षण दिए जाने की उम्मीद है।
इनके अलावा, परिकल्पना की गई है कि यह केंद्र राष्ट्रीय ऊर्जा नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करने, ऊर्जा-कुशल समाधानों से शिक्षा एवं अनुसंधान को जोड़ने और ऊर्जा दक्षता के लिए नवोन्मेषी व्यावहारिक समाधान विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
‘2047 तक विकसित देश बनने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी की तैनाती महत्वपूर्ण है‘
केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री कृष्ण पाल ने उन्नत तकनीकी प्रदर्शन केंद्र का उद्घाटन करते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में मदद के लिहाज से भी उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाना आवश्यक है। मंत्री ने कहा कि सरकार ने इसी उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि अपनी प्रगति और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिहाज से भी नवीनतम प्रौद्योगिकी आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘कम लागत पर अच्छी प्रौद्योगिकी तैयार करने की आवश्यकता है। उत्प्रेरक भारतीय उद्योग जगत की ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस प्रकार ऊर्जा की बचत से न केवल उद्योग को बल्कि पूरे देश को मदद मिलेगी।’
इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने इस उत्कृष्टता केंद्र के लिए एक लोगो का अनावरण किया और विवरणिका जारी की।
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‘एनडीसी के तहत उत्सर्जन घटाने संबंधी भारत के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी‘
विद्युत मंत्रालय के सचिव आलोक कुमार ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन कमी लाने संबंधी भारत की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘ग्लासगोव में आयोजित सीओपी 26 में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत के लिए अद्यतन एनडीसी की घोषणा की थी। उसमें यह भी कहा गया था कि 2020 से 2030 की अवधि में भारत अपने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 1 अरब टन की कटौती करेगा। इसमें से लगभग आधा लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा की पैठ बढ़ाकर और शेष ऊर्जा दक्षता उपायों के जरिये पूरा किया जाएगा। बीईई के प्रमुख प्रदर्शन, उपलब्धि एवं व्यापार (पीएटी) कार्यक्रम की दुनिया भर में सराहना की गई है। पीएटी कार्यक्रम के शुरुआती दौर में बेहतर रखरखाव प्रथाओं के कारण ऊर्जा दक्षता मार्जिन कम हो गया था। आगे चलकर हमें लौह एवं इस्पात, सीमेंट, कागज, क्लोर-अल्काली और कपड़ा जैसे अत्यधिक ऊर्जा खपत वाले उद्योगों में नई प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।’
‘जल्द ही भारतीय कार्बन बाजार शुरू होने जा रहा है‘
विद्युत सचिव ने कहा कि उत्सर्जन तीव्रता में कमी के लक्ष्यों को पूरा करने में उद्योग की मदद के मोर्चे पर केंद्र को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भारत जल्द ही भारतीय कार्बन बाजार शुरू करने जा रहा है। विचार यह है कि हम उद्योग को उत्सर्जन तीव्रता में कमी लाने के लिए लक्ष्य देंगे। इन लक्ष्यों को हासिल करने में उद्योग को समर्थ बनाने के लिए हमें अपने उद्योग में नई प्रौद्योगिकी की तैनाती को बढ़ावा देने और उनकी मदद करने की आवश्यकता है। उत्प्रेरक को इस लिहाज से भी देखा जाना चाहिए।’
इस उत्कृष्टता केंद्र को सफल बनाने के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं के बारे में बताते हुए सचिव ने एक संचालन समिति और एक सलाहकार समिति गठित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘इस केंद्र से मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसकी सुविधाएं बरकरार रहें और लगातार अपडेट होते रहें। विद्युत मंत्रालय बीईई के लिए बजट के तहत पर्याप्त रकम आवंटित करेगा लेकिन हमें एक संचालन समिति गठित करने की आवश्यकता है। समिति इस केंद्र में ही अपनी बैठक करेगी, आवश्यक गतिविधियों की सिफारिश करेगी और गतिविधियों पर नजर रखेगी ताकि केंद्र का संचालन अच्छे तरीके से हो सके। दूसरा, हमें यह देखने की जरूरत है कि इस प्लेटफॉर्म पर हितधारकों को एक साथ कैसे लाया जाए, ताकि इन प्रौद्योगिकी का प्रसार करने और उद्योग द्वारा उनकी तैनाती में तेजी लाने संबंधी केंद्र के मुख्य उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके। इन हितधारकों में नए इंजीनियर, ऊर्जा प्रबंधक, ऊर्जा ऑडिटर, निर्णय लेने वाले और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी के विनिर्माता शामिल हैं। इन सभी को साथ लाने के लिए हमारे पास एक सलाहकार समिति होनी चाहिए जिसमें उद्योग एवं अन्य हितधारक शामिल हों। यही समिति विभिन्न गतिविधियों के संचालन में केंद्र का मार्गदर्शन करेगी।’
‘केंद्र की सफलता का आकलन उद्योग द्वारा ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी की तैनाती दर से किया जाना चाहिए‘
सचिव ने कहा कि इस केंद्र में ज्ञान का आदान-प्रदान और सूचनाओं को साझा करना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी की तैनाती के लिए उद्योग के साथ बातचीत करने और ज्ञान के आदान-प्रदान में इस केंद्र की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस केंद्र की सफलता का आकलन इस बात से किया जाना चाहिए कि जमीनी स्तर पर प्रौद्योगिकी की तैनाती किस दर से की जा रही है। अंतत: जब इस प्रौद्योगिकी की व्यापक प्रसार एवं पहुंच हो जाएगी तो हमें नई प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस प्रकार, केंद्र को गतिशील होना चाहिए न कि स्थिर।’
इस केंद्र में लौह एवं इस्पात, सीमेंट, कागज, क्लोर-अल्काली और कपड़ा जैसे पांच पीएटी क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के लिए तीन डेमो हॉल हैं। इन कमरों में विभिन्न ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकी जैसे वैकल्पिक ईंधन एवं कच्चे माल के लिए पूर्व-प्रसंस्करण प्रणाली, किल्न कैल्सिनर (सह-प्रसंस्करण) में वैकल्पिक ईंधन एवं कच्चा माल डालने की व्यवस्था और अपशिष्ट ताप रिकवरी प्रणाली प्रदर्शित की गई हैं। इस केंद्र में प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक गतिविधियों (ऊर्जा पेशेवरों के लिए शिक्षण सत्र आदि) के लिए दो व्याख्यान कक्ष भी हैं।
बीईई के मार्गदर्शन में यह केंद्र दुनिया भर के संस्थानों के साथ उन्नत प्रौद्योगिकी के लिए सहयोग एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण संबंधी कार्य भी करेगा। बीईई इस केंद्र में अनुसंधान गतिविधियों के लिए विभिन्न अनुसंधान संस्थानों जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद (एनसीसीबीएम), केंद्रीय पल्प एवं पेपर अनुसंधान संस्थान (सीपीपीआरआई), राष्ट्रीय माध्यमिक इस्पात प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएसएसटी), जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिजाइन सेंटर (जेएनएआरडीडीसी), साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (एसआईटीआरए) और नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (एनआईटीआरए) आदि के साथ सहयोग करेगा। अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं पूरी होने के बाद संयंत्रों में उनका प्रदर्शन भी किया जा सकता है।
यह केंद्र चिन्हित क्षेत्रों (अत्यधिक ऊर्जा खपत वाले अन्य क्षेत्रों को बाद में शामिल किया जाएगा) में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के संचालन के लिए एक क्षेत्रीय हब के रूप में भी काम करेगा। इन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन कैप्चर, यूजेज एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) जैसी उभरती प्रौद्योगिकी को विकसित किया जा सकता है। पूरी तरह कार्यात्मक होने पर इसमें नेटवर्किंग, कॉन्फ्रेंसिंग, प्रशिक्षण और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी के प्रसार के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी।
इस अवसर पर बीईई और एनपीटीआई के बीच सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
उद्घाटन कार्यक्रम में विद्युत मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अजय तिवारी, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के महानिदेशक अभय बाकरे, एनपीटीआई की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर, बीईई के डीडीजी डॉ. अशोक कुमार और विद्युत मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार जितेश जॉन के अलावा बीईई व एनपीटीआई के अधिकारी एवं मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे।