नई दिल्ली: केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) 18 से 20 नवम्बर, 2019 तक पुडुचेरी में विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के एशिया-प्रशांत क्षेत्र की 29वीं आरसीपी (रीजनल कॉन्टैक्ट प्वाइंट्स) बैठक आयोजित करेगा।
डब्ल्यूसीओ एकमात्र ऐसा अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो सीमा पार प्रक्रियाओं एवं सीमा शुल्क से जुड़े सिद्धांतों एवं मानकों को तय करने और उन पर अमल सुनिश्चित करने में संलग्न है। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स में है और 180 से भी अधिक देश इसके सदस्य हैं। विश्व भर में डब्ल्यूसीओ में छह क्षेत्र हैं। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र का प्रमुख डब्ल्यूसीओ के उस क्षेत्र के वाइस-चेयर के रूप में एक सदस्य देश ही होता है। भारत डब्ल्यूसीओ के एशिया-प्रशांत क्षेत्र का सदस्य है और यह जुलाई 2018 से ही इसका वाइस-चेयर भी है।
वाइस-चेयर के कार्यालय के अधिदेश के तहत भारत पुडुचेरी में वर्तमान आरसीपी बैठक का आयोजन कर रहा है। पिछली आरसीपी बैठक नवम्बर, 2018 में जयपुर में आयोजित की गई थी। यह इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वार्षिक बैठक है। इसका उद्देश्य अनेक क्षेत्रों में क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करना, सीमा पार व्यापार की प्रक्रियाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गौर करना और सदस्य देशों के बीच संचार बढ़ाने के साथ-साथ अपने-अपने अनुभवों को साझा करना है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 25 से भी अधिक देशों के सीमा शुल्क संबंधी प्रतिनिधिमंडल और डब्ल्यूसीओ के क्षेत्रीय निकायों, क्षेत्रीय क्षमता निर्माण कार्यालय (आरओसीबी) तथा क्षेत्रीय खुफिया संपर्क कार्यालय के प्रतिनिधिगण इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए पुडुचेरी पहुंच चुके हैं। इस बैठक का उद्घाटन सीबीआईसी, भारत के सदस्य (सीमा शुल्क) श्री राज कुमार बर्थवाल ने किया जो इसकी अध्यक्षता भी कर रहे हैं। चेन्नई के मुख्य आयुक्त श्री एम. अजीत कुमार और सीबीआईसी के संयुक्त सचिव (सीमा शुल्क) श्री एल. सत्य श्रीनिवास भी इस बैठक में वाइस-चेयर की टीम के एक हिस्से के रूप में भारत की ओर से मौजूद हैं।
श्री बर्थवाल ने अपने आरंभिक संबोधन में उन चार रणनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जिनका पालन एशिया-प्रशांत क्षेत्र के वाइस-चेयर के रूप में जिम्मेदारी संभालते वक्त किया जाता है। ये सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- क्षेत्र के भीतर अधिक से अधिक संचार या पारस्परिक संपर्क एवं कनेक्टिविटी
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति से लाभ उठाना
- समावेशी दृष्टिकोण
- महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति
श्री बर्थवाल ने क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के रूप में फोकस वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विशेष बल दिया जिनमें कार्य प्रदर्शन का आकलन सुरक्षा एवं अमल, व्यापार में सुविधा के लिए अंतर-एजेंसी सहयोग, सीमा शुल्क संबंधी एकल खिड़की, छोटे महाद्वीपों की अर्थव्यवस्थाएं, क्रांतिकारी बदलाव लाने में मददगार प्रौद्योगिकियों से लाभ उठाना और क्रूज जहाजों के लिए सीमा संबंधी मंजूरी शामिल हैं।
डब्ल्यूसीओ, ब्रुसेल्स के मुख्य वक्ता श्री ताकाशी सातो ने क्षमता निर्माण, व्यापार में सुविधा और अनुपालन एवं अमल से जुड़े कार्यकलापों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर डब्ल्यूसीओ में हो रही प्रगति के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र के लिए विशेष महत्व वाले सेक्टरों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
इससे पहले मुख्य आयुक्त श्री अजीत कुमार ने इस बैठक के लिए पुडुचेरी आए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और इस क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले मुद्दों के साथ-साथ सदस्य देशों द्वारा पेश किए जाने वाले अभिनव विचारों पर विचार-विमर्श करने के अलावा इस बैठक के दौरान अंकटाड, जीएसआई, व्यापार सुविधा पर वैश्विक गठबंधन (जीएटीएफ) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन सीमा शुल्क प्रक्रियाओं से जुड़ी सर्वोत्तम प्रथाओं अथवा तौर-तरीकों को पेश करेंगे। उन्होंने अनुपालन में सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विशेष बल दिया।
बैठक के दौरान इस क्षेत्र के फोकस वाले महत्वपूर्ण सेक्टरों (सुरक्षा, अमल, सुविधा, क्षमता निर्माण इत्यादि इनमें शामिल हैं) के लिए हासिल की गई उपलब्धियों, सीमा शुल्क से जुड़ी प्रक्रियाओं के विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति और डब्ल्यूसीओ तथा इसके क्षेत्रीय निकायों जैसे कि आरओसीबी, थाईलैंड, आरआईएलओ कोरिया, क्षेत्र के आरटीसी इत्यादि के क्षमता निर्माण संबंधी कार्यकलापों पर भी चर्चाएं की जाएंगी। इसके अलावा, निजी क्षेत्र के विभिन्न विशेषज्ञों को भी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई अभिनव प्रगति पर विचार-विमर्श करने के लिए आमंत्रित किया गया है, ताकि अनुपालन में सुविधा से जुड़ी प्रक्रियाओं को सुदृढ़ किया जा सके।
इस तीन दिवसीय बैठक से इस क्षेत्र में हमारे देश की अग्रणी भूमिका और भी अधिक बढ़ जाएगी, अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर सीबीआईसी को और ज्यादा मान्यता मिलेगी तथा इसके साथ ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र के इन देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।