नई दिल्ली: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पाया है कि कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स, कनार्टक टेलीविजन एसोसिएशन और कन्नड फिल्म प्रोड्यूशर्स एसोसिएशन प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 का उल्लंघन कर रहे हैं। कर्नाटक में दर्शकों के एसोसिएशन ने आयोग से शिकायत में आरोप लगाया था कि राज्य में विविध एसोसिएशन प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण कर रही हैं और डब की गई विषयवस्तु को फिल्मों एवं टीवी धारावाहिकों के रूप में अनुमति नहीं दे रही हैं। आयोग के महानिदेशक ने विस्तृत जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स, कनार्टक टेलीविजन एसोसिएशन और कन्नड फिल्म प्रोड्यूशर्स एसोसिएशन कर्नाटक में डब की गई फिल्मों /टेलीविजन धारावाहिकों को रिलीज/प्रसारित करने से रोकने के काम में लगे हैं। आयोग ने पाया कि डब की गई फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों के प्रदर्शन पर रोक स्पर्धी पक्षों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियां चलाने से रोकती है। इन एसोसिएशन ने अनुरोध किया कि डब की गई फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों से स्थानीय भाषा एवं संस्कृति नष्ट होती है और स्थानीय कलाकारों को अवसरों से वंचित करती है। आयोग ने पाया कि इन एसोसिएशनों के तर्कों का कोई औचित्य नहीं है। आयोग ने यह भी पाया कि वे प्रतिस्पर्धा कानून की धारा 3 का उल्लंघन कर प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण कर रही हैं।
तदनुसार आयोग ने कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स, कनार्टक टेलीविजन एसोसिएशन और कन्नड फिल्म प्रोड्यूशर्स एसोसिएशन को ऐसी अनुचित गतिविधि रोकने का निर्देश दिया जो प्रतिस्पर्धा विरोधी हैं। आयोग ने कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स के विरुद्ध पिछले आदेश का हवाला दिया जहां उसे प्रतिस्पर्धा विरोधी आचारण करते हुए पाया गया था। फिर से कानून के उल्लंघन तथा प्रतिस्पर्धा कानून के प्रति पूर्णत: निरादर के मद्देनजर आयोग ने उस पर 16,82,204/- रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माने की गणना कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स की औसत आय के 10 प्रतिशत की दर से की गई।
कनार्टक टेलीविजन एसोसिएशन और कन्नड फिल्म प्रोड्यूशर्स एसोसिएशन की औसत आय के 8 प्रतिशत के आधार पर गणना करके उन पर क्रमश: 1,74,293/- और 1,68,124/- जुर्माना लगाया गया।