नई दिल्ली: ऑपरेशन विजय की सफल परिणति की इस वर्ष 20 वीं वर्षगांठ है, जिसमें भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने कारगिल युद्ध जीतने के लिए दुर्गम बाधाओं, दुश्मन के इलाकों, विपरीत मौसम और कठिनाइयों से पार करते हुए दुश्मन के कब्जा करने के इरादों को नाकाम कर दिया था। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, भारतीय सेना अपने बहादुर शहीदों की याद में धूमधाम तरीके से इस जीत का जश्न मना रही है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, नई दिल्ली से कारगिल युद्ध स्मारक, द्रास तक एक विजय मशाल की यात्रा (रिले) समारोह के प्रमुख तयशुदा कार्यक्रमों में से एक है। विजय मशाल कारगिल युद्ध के शहीदों के बलिदान का प्रतीक है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज 14 जुलाई, 2019 को थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, सूबेदार संजय कुमार, पीवीसी के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, नई दिल्ली में मशाल की विजय ज्योति प्रज्जवलित की और पीवीसी ने इसे पहले मशाल वाहक के रूप में सेना के निशानेबाज जीतू राय को सौंप दिया।
इस कार्यक्रम के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह, जीओसी-इन-सी उत्तरी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी, फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स और बड़ी संख्या में अधिकारी तथा गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
विजय मशाल को भारतीय सेना के उत्कृष्ट खिलाड़ियों और युद्ध नायकों द्वारा ले जाया जाएगा। यह मशाल रिले उत्तर भारत के नौ प्रमुख कस्बों और शहरों से होते हुए अंत में 26 जुलाई 2019 को द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर समाप्त होगी जहां यह थलसेना अध्यक्ष मौजूद रहेंगे। यात्रा के दौरान, भारतीय सेना के जवान उन नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित जो राष्ट्र के लिए वीरता से लड़े थे।
विजय मशाल का डिजाइन भारतीय सेना में मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर सैनिकों के धैर्य, हिम्मत और गौरव से प्रेरित है। मशाल तांबे, पीतल और लकड़ी से बनी है जो हमारे बहादुर नायकों के तप और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। मशाल के ऊपरी हिस्से में धातु की अमर जवान नक्काशी है, जो शहीद सैनिकों का प्रतीक है। मशाल के लकड़ी वाले निचले हिस्से में अमर जवान के 20 स्वर्ण शिलालेख हैं जो कारगिल विजय के 20 गौरवशाली वर्षों को दर्शाते हैं।
इस विजय मशाल और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से कारगिल वॉर मेमोरियल तक अनन्त लौ की यात्रा, कारगिल विजय दिवस की 20 वीं वर्षगांठ का थीम ‘रिमेंबर, रिज्वाइस एंड रिन्यू’ को जीवंत करती है। हम अपने शहीदों के बलिदान का जिक्र करते हुए उन्हें ‘याद’ करते हैं, हम कारगिल में जीत का जश्न मनाते हुए ‘आनंदित’ होते हैं और हम तिरंगे के सम्मान की रक्षा के लिए अपने संकल्प को ‘दोहराते’ हैं।