नई दिल्ली: केन्द्र और राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा कोविड-19 के समन्वित, वर्गीकृत और सक्रिय प्रबंधन ने राष्ट्रीय मामले की मृत्यु दर (सीएफआर) को कम करना सुनिश्चित किया है। यह वर्तमान में 2.04 प्रतिशत है। कोविड-19 के सहयोगपूर्ण प्रबंधन के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की समीक्षा और सहायता की सतत प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण की अध्यक्षता में दो उच्च स्तरीय वर्चुअल बैठकों का 7 और 8 अगस्त को आयोजन किया गया। इन बैठकों का उद्देश्य राष्ट्रीय औसत से अधिक मामलों और उच्च सीएफआर की रिपोर्ट करने वाले राज्यों के साथ सहयोग करना था ताकि उन्हें कोविड-19 के कारण मृत्यु दर रोकथाम और उसे कम करने के उनके प्रयासों में परामर्श और सहायता प्रदान की जा सके।
आज की बैठक में आठ राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में केन्द्रित 13 जिलों पर ध्यान दिया गया। इनमें असम में कामरूप महानगर हैं; बिहार में पटना; झारखंड में रांची; केरल में अलापुझा और तिरुवनंतपुरम; ओडिशा में गंजम; उत्तर प्रदेश में लखनऊ; पश्चिम बंगाल में 24 परगना उत्तर, हुगली, हावड़ा, कोलकाता और मालदह तथा दिल्ली का नाम भी शामिल है। इन जिलों में भारत के लगभग 9 प्रतिशत सक्रिय मामले हैं और लगभग 14 प्रतिशत कोविड मौत हुई हैं। इनमें कम प्रति मिलियन कम परीक्षण और उच्च पुष्टि प्रतिशत की भी रिपोर्ट मिली हैं। चार जिलों जैसे असम में कामरूप महानगर; उत्तर प्रदेश में लखनऊ; केरल में तिरुवनंतपुरम और अलाप्पुझा में दैनिक नए मामलों में वृद्धि देखी गई है। वर्चुअल बैठक में जिला निगरानी अधिकारियों, जिला कलेक्टरों, नगर निगम के आयुक्तों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और चिकित्सा कॉलेजों के चिकित्सा अधीक्षकों के साथ आठ राज्यों के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) और एमडी (एनएचएम) ने भाग लिया।
बैठक के दौरान कोविड मामले की मृत्यु दर को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। राज्यों को कम प्रयोगशाला उपयोग यानी आरटी-पीसीआर के लिए प्रति दिन 100 परीक्षण प्रतिदिन से कम और अन्य के लिए 10 परीक्षण के मुद्दों से निपटने की सलाह दी गई। इसके अलावा, प्रति मिलियन आबादी पर परीक्षण, पिछले सप्ताह से निरपेक्ष परीक्षणों में कमी; परीक्षण के परिणाम में देरी; स्वास्थ्य और देखभाल कर्मचारियों के बीच उच्च पुष्टि प्रतिशत के बारे में भी सलाह दी गई। उन्हें भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर मरने वाले मरीजों के कुछ जिलों से रिपोर्ट के मद्देनजर समय पर रेफरल और अस्पताल में भर्ती सुनिश्चित करने की सलाह दी गई। राज्यों को एम्बुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित करने और किसी भी हाल में इनके लिए मना न करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। होम आइसोलेशन के तहत बिना लक्षण वाले मामलों की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए दैनिक आधार पर व्यक्तिगत यात्रा, फोन परामर्श पर विशेष ध्यान दिया गया। राज्यों को समय पर मूल्यांकन सुनिश्चित करने और आईसीयू बैड, ऑक्सीजन आपूर्ति आदि जैसे बुनियादी ढांचे के लिए अग्रिम तैयारी करने के लिए भी कहा गया। जो मौजूदा मामलों की संख्या और अनुमानित बढ़ोतरी दर पर आधारित हो।
इस बात पर भी जोर दिया गया कि एम्स, नई दिल्ली मंगलवार और शुक्रवार को सप्ताह में दो बार वर्चुअल सत्र आयोजित कर रहा है, जहां डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम टेली/वीडियो परामर्श के माध्यम से विभिन्न राज्यों के अस्पतालों के आईसीयू के प्रभावी नैदानिक प्रबंधन और मृत्यु दर कम करने के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करती है। राज्यों के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि नैदानिक प्रक्रियाओं में सुधार लाने के लिए इन बैठकों में राज्य उत्कृष्टता केन्द्रों और अन्य अस्पतालों की भागीदारी सुनिश्चित करें। राज्यों को नियंत्रण और बफर जोन के प्रभागी प्रबंधन के लिए मंत्रालय के सभी प्रोटोकॉल का पालन करने की भी सलाह दी गई थी। सह-रुग्णता वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों जैसी उच्च जोखिम वाली आबादी के बीच कड़ी निगरानी के कारण रोकी जा सकने वाली मौतों के बारे में भी ध्यान केन्द्रित किया गया।
कोविड-19 से संबंधित तकनीकी मुद्दों पर सभी प्रामाणिक और अद्यतन जानकारी के लिए, दिशा-निर्देश और सलाह नियमित रूप से देखें: https://www.mohfw.gov.in/ और @MoHFW_INDIA
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कोविड-19 पर किसी भी प्रश्न के मामले में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबर: + 91-11-23978046 या 1075 (टोल-फ्री) पर कॉल करें। कोविड-19 पर राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के हेल्पलाइन नंबरों की सूची https://www.mohfw.gov.in/pdf/coronvavirushelplinenumber.pdf पर भी उपलब्ध है।