भारत के प्रधानमंत्री ने 9 सितंबर 2019 को भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद में 14वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी-14) के दौरान यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के सस्टेनेबल लैंड मैनेजमेंट पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओईएसएलएम) के स्थापना की घोषणा की थी। सीओई-एसएलएम का उद्देश्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देकर सतत भू-प्रबंधन के तरीकों से भू-क्षरण की समस्या को दूर करना है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने सीओई-एसएलएम का औपचारिक उद्घाटन 20 मई 2019 को आईसीएफआरई देहरादून में किया था।
सीओई-एसएलएम ने आईसीएफआरआई की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी सहयोग, दक्षता उन्नयन तथा ज्ञान के अदान-प्रदान के माध्यम से बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना, मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन यूएनसीसीडी के सहयोगी देशों के साथ मिलकर सीओई-एसएलएम और एलडीएन लक्ष्य को प्राप्त करना, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाना तथा संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) एवं जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी) और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रारूप के अनुसार सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) में अपना सहयोग देना है।
सीओई-एसएलएम ने आईसीएफआरआई की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय और उप- राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी सहयोग, दक्षता उन्नयन तथा ज्ञान के अदान-प्रदान के माध्यम से बंजर भूमि को ऊपजाउ बनाना, मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन यूएनसीसीडी के सहयोगी देशों के साथ मिलकर सीओई-एसएलएम और एलडीएन लक्ष्य को प्राप्त करना, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाना तथा संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) एवं जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी) और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रारूप के अनुसार सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) में अपना सहयोग देना है।
सीओई-एसएलएम ने अपने कार्यों के मार्गदर्शन के लिए कुछ विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इनमें भूमि क्षरण के आंकलन, स्थायी भूमि प्रबंधन पर दक्षता उन्नयन के साथ सतत विकास के लक्ष्य एसडीजी, यूएनसीसीडी द्वारा निर्धारित भूमि आधारित संकेतकों के मूल्यांकन, निगरानी और रिपोर्टिंग को मजबूत करना है। केंद्र के अन्य उद्देश्यों में एलडीएन लक्ष्य निर्धारित करना, सूखा जोखिम और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना, मुख्यधारा के लैंगिक अनुपातों पर विचार, भूमि अधिकारों के सुशासन को बढ़ावा देना और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन तथा जैव विविधता की हानि पर भूमि क्षरण के प्रभावों का आकलन करना है।
श्री यादव ने इस अवसर पर दो प्रकाशन “टेक्निकल पेपर ऑन पाथ वे टू अचीव एलडीएन इन इंडिया” और “कंपेडियम ऑफ सस्टेनेबल लैंड मैनेजमेंट प्रैक्टिसेज” भी जारी किए। श्री चंद्र प्रकाश गोयल वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव, श्री बीके सिंह अतिरिक्त वन महानिदेशक (एनएईबी, जीआईएम) श्री एसपी यादव अतिरिक्त महा निदेशक वन (वन्यजीव) और श्री प्रवीर पांडेय अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, श्री अरुण सिंह रावत महानिदेशक, आईसीएफआरई, कंचनदेवी निदेशक, (आईसी) और निदेशक सीओ-एसएलएम, श्री आरके डोगरा उप-महानिदेशक (प्रशासन) आईसीएफआरई, आईसीएफआरई संस्थानों के निदेशक, (एएफआरआई, एफआईआर, एचएफआरआई, टीएफआरआई, आईएफपी, आरएफआरआई आईडब्ल्यूएसटी, आईएएफजीटीबी और आईएफबी,) निदेशक एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून, निदेशक वन शिक्षा, प्राचार्य सीएएसएफओएस, भारतीय वन सर्वेक्षण के उप-महानिदेशक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक, उत्तराखण्ड राज्य वन विभाग के अधिकारी, वैज्ञानिक अधिकारी और आईसीएफआरई के कर्मचारी उपस्थित थे।